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दमोह के हरीश पटेल ने मायानगरी मुंबई में बनाई अपनी खास पहचान - दमोह

बुंदेलखंड की बलिदानी माटी में जन्मे हरीश पटेल ने अपने हुनर के दम पर मायानगरी में अपनी पहचान बनाई और बतौर सिनेमैटोग्राफर कई फिल्मों में काम किया.

सिनेमैटोग्राफर हरीश पटेल
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Published : Nov 19, 2019, 3:19 PM IST

Updated : Nov 19, 2019, 4:23 PM IST

दमोह। मायानगरी में सिनेमैटोग्राफर के रूप में अपनी पहचान बनाने वाले हरीश पटेल ने कई फिल्मों में अपनी कला के जरिए बेहतर छायांकन दिया है, साथ ही अन्य भाषाओं की फिल्मों में भी अपनी भूमिका अदा कर रहे हैं. दमोह पहुंचे हरीश पटेल ने ईटीवी भारत ने बातचीच की. हरीश ने बताया कि मध्यम वर्गीय परिवार से ताल्लुक रखते हैं, उनकी स्कूली शिक्षा सरस्वती शिशु मंदिर से हुई थी. बचपन से ही सिनेमा की तरफ रुझान होने के चलते वे सांस्कृतिक कार्यक्रमों और नाटकों में हिस्सा लेते थे. यहीं से उनका सफर शुरु हुआ.

सिनेमैटोग्राफर हरीश पटेल

बुंदेली माटी से मुंबई पहुंचे हरीश पटेल ने संघर्षों के बाद सिनेमैटोग्राफी के लिए अपने करियर का लक्ष्य बनाया और अपने मुकाम को हासिल भी किया. कई बड़े फिल्म स्टार के साथ वे फिल्में बना चुके हैं. उनकी पहली फिल्म निर्वाना 13 थी. उसके बाद उन्होंने एक विलेन, हॉफ गर्लफ्रेंड जैसी बॉलीवुड फिल्म में भी काम किया है. साथ ही उन्होंने पंजाबी, गुजराती, मराठी फिल्मों में भी अपनी इस कला का लोहा मनवाया है.

ईटीवी भारत ने उनसे उनके संघर्ष की कहानी के साथ बुंदेलखंड में फिल्म को लेकर किस तरह से काम हो सकता है. इसको लेकर चर्चा की. उन्होंने बताया कि क्षेत्र में बुंदेली फिल्म को लेकर काफी संभावनाएं हैं. यहां कई कलाकार हैं, जो बॉलीबुड के अलावा कई फिल्म इंडस्ट्री में अपना लोहा मनवा चुके हैं. चाहे सागर के गोविंद नामदेव हों या आशुतोष राणा. इन नामों को कौन नहीं जानता.

बुंदेलखंड अंचल की कई प्रतिभाओं ने फिल्म इंडस्ट्री में स्टार के रूप में अपनी पहचान बनाई है, लेकिन हरीश पटेल ने अलग ही मुकाम हासिल किया है. सिनेमैटोग्राफर के रूप में हरीश पटेल उन सभी एंगल को अपने कैमरे में कैद करते हैं. जो फिल्म को ऊंचाइयों तक ले जाते हैं. हरीश पटेल कहते हैं कि आगामी दिनों में बुंदेलखंड में भी अनेक फिल्मों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेंगे.

दमोह। मायानगरी में सिनेमैटोग्राफर के रूप में अपनी पहचान बनाने वाले हरीश पटेल ने कई फिल्मों में अपनी कला के जरिए बेहतर छायांकन दिया है, साथ ही अन्य भाषाओं की फिल्मों में भी अपनी भूमिका अदा कर रहे हैं. दमोह पहुंचे हरीश पटेल ने ईटीवी भारत ने बातचीच की. हरीश ने बताया कि मध्यम वर्गीय परिवार से ताल्लुक रखते हैं, उनकी स्कूली शिक्षा सरस्वती शिशु मंदिर से हुई थी. बचपन से ही सिनेमा की तरफ रुझान होने के चलते वे सांस्कृतिक कार्यक्रमों और नाटकों में हिस्सा लेते थे. यहीं से उनका सफर शुरु हुआ.

सिनेमैटोग्राफर हरीश पटेल

बुंदेली माटी से मुंबई पहुंचे हरीश पटेल ने संघर्षों के बाद सिनेमैटोग्राफी के लिए अपने करियर का लक्ष्य बनाया और अपने मुकाम को हासिल भी किया. कई बड़े फिल्म स्टार के साथ वे फिल्में बना चुके हैं. उनकी पहली फिल्म निर्वाना 13 थी. उसके बाद उन्होंने एक विलेन, हॉफ गर्लफ्रेंड जैसी बॉलीवुड फिल्म में भी काम किया है. साथ ही उन्होंने पंजाबी, गुजराती, मराठी फिल्मों में भी अपनी इस कला का लोहा मनवाया है.

ईटीवी भारत ने उनसे उनके संघर्ष की कहानी के साथ बुंदेलखंड में फिल्म को लेकर किस तरह से काम हो सकता है. इसको लेकर चर्चा की. उन्होंने बताया कि क्षेत्र में बुंदेली फिल्म को लेकर काफी संभावनाएं हैं. यहां कई कलाकार हैं, जो बॉलीबुड के अलावा कई फिल्म इंडस्ट्री में अपना लोहा मनवा चुके हैं. चाहे सागर के गोविंद नामदेव हों या आशुतोष राणा. इन नामों को कौन नहीं जानता.

बुंदेलखंड अंचल की कई प्रतिभाओं ने फिल्म इंडस्ट्री में स्टार के रूप में अपनी पहचान बनाई है, लेकिन हरीश पटेल ने अलग ही मुकाम हासिल किया है. सिनेमैटोग्राफर के रूप में हरीश पटेल उन सभी एंगल को अपने कैमरे में कैद करते हैं. जो फिल्म को ऊंचाइयों तक ले जाते हैं. हरीश पटेल कहते हैं कि आगामी दिनों में बुंदेलखंड में भी अनेक फिल्मों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेंगे.

Intro:फिल्म इंडस्ट्री में सिनेमैटोग्राफर के रूप में दमोह निवासी हरीश पटेल बना रहे अपनी पहचान

दमोह की गलियों से निकलकर बॉलीवुड के साथ अन्य फिल्म इंडस्ट्री में किया मकाम कायम

बुंदेलखंड की कहानियों पर बनाना चाहते हैं फिल्में कर रहे हैं प्रयास

Anchor. दमोह के रहने वाले हरीश पटेल सिनेमैटोग्राफर के रूप में मुंबई में अपनी पहचान बना रहे हैं, कई फिल्मों में अपनी सिनेमैटोग्राफी कला के जरिए बेहतर छायांकन देने वाले हरीश पटेल बॉलीवुड के साथ अन्य भाषाओं की फिल्मों में भी अपनी भूमिका अदा कर रहे हैं. दमोह पहुंचे हरीश पटेल से ईटीवी भारत ने सीधी बात की. साथ ही यह जाना कि वे इस मुकाम तक पहुंचने के पीछे किस तरह के संघर्षों से जुझे हैं.


Body:Vo. दमोह की बुंदेली माटी से मुंबई पहुंचे हरीश पटेल ने संघर्षों के बाद सिनेमैटोग्राफी के लिए अपने कैरियर का लक्ष्य बनाया. वही अब वह मुकाम पर है. कई बड़े फिल्म के स्टार के साथ वे फिल्में बना चुके हैं, और इन्हीं स्टार को भी अपने कैमरे में कैद भी करते हैं. विदेशों की यात्राएं, विदेशों के विभिन्न स्थानों पर फोटोशूट सहित उन्होंने पंजाबी, गुजराती, मराठी फिल्मों में भी अपनी इस कला का लोहा मनवाया है. ईटीवी भारत ने उनसे उनके संघर्ष की कहानी के साथ बुंदेलखंड में फिल्म को लेकर किस तरह से काम हो सकता है. इसको लेकर चर्चा की. साथ ही आगामी दिनों में बुंदेलखंड में उनके द्वारा फिल्म निर्माण को लेकर बनाई जा रही कार्य योजना पर भी विस्तार से बातचीत की.

121 - हरीश पटेल - सिनेमैटोग्राफर


Conclusion:Vo. बुंदेलखंड अंचलों के रहने वाले कई लोग फिल्म इंडस्ट्री में स्टार के रूप में लोगों के बीच पहचान बनाए हैं. लेकिन हरीश पटेल ने अलग ही मुकाम हासिल किया है. सिनेमैटोग्राफर के रूप में हरीश पटेल उन सभी एंगल को अपने कैमरे में कैद करते हैं. जो फिल्म को ऊंचाइयों तक ले जाते हैं. हरीश पटेल कहते हैं कि आगामी दिनों में भी बुंदेलखंड में भी अनेक फिल्मों के निर्माण में भूमिका का निर्वहन करेंगे.

आशीष कुमार जैन
ईटीवी भारत दमोह
Last Updated : Nov 19, 2019, 4:23 PM IST
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