दमोह। तस्वीर में नज़र आ रहे राहुल सिंह लोधी जब कांग्रेस में हुआ करते थे ये तस्वीर तब की है. इस पुरानी तस्वीर में वो अजय टंडन को पगड़ी बांधते नज़र आ रहे हैं. कुछ ऐसी ही तस्वीर दमोह चुनावों के नतीज़ों ने खींच दी. जहां भाजपा में शामिल हो कर दमोह से दम भरने वाले राहुल सिंह लोधी को जनता ने नज़रअंदाज़ कर कांग्रेस के प्रत्याशी अजय टंडन को जीत की पगड़ी पहना दी. दमोह विधानसभा उपचुनाव मतगणना पूरी होने के साथ ही संपन्न हो गया. कांग्रेस के लिए इस जीत ने संजीवनी का काम किया है तो भाजपा के लिए मंथन करने का अवसर भी दिया है. क्या वजह रही कि प्रदेश में सरकार होने और इतनी मजबूती के साथ चुनाव लड़ने के बाद भी आखिर चूक कहां हो गई जो जीती बाजी पलट गई और हार में तब्दील हो गई।
कांग्रेस और भाजपा में भारी वोटों का अंतर
भाजपा संगठन लाख कोशिशों के बाद भी दमोह विधानसभा उपचुनाव में अपने प्रत्याशी को विजय श्री नहीं दिला पाया. पूरी तरह से हाईटेक रहा यह चुनाव कांग्रेस ने बहुत ही सीमित संसाधनों और मुट्ठी भर कार्यकर्ताओं के दम पर लड़ा. आम जनता का साथ मिला और कांग्रेस ने विजयश्री का वरण किया. 6 राउंड को छोड़कर लगभग हर राउंड में कांग्रेस ने भाजपा प्रत्याशी को अच्छे खासे वोटों के अंतर से पटखनी देकर दमोह सीट पर अपना दूसरी बार भी कब्जा बरकरार रखा. यह परिणाम कांग्रेस के लिए अपनी छवि को बनाने और आम जनमानस के दिलों में जगह बनाने का एक अवसर है तो भाजपा के लिए भी हार से सबक लेने का समय. सोशल मीडिया पर भी जमकर घमासान मचा हुआ है जिसमें एक फोटो बहुत तेजी से वायरल हो रही है जिसमें जयंत मलैया हॉकी लेकर शॉट लगाते दिख रहे हैं।
6 भाजपा तो 20 राउंड कांग्रेस जीती
इस पूरे चुनाव में 26 राउंड में मतगणना हुई. जिसमें 289 (सहायक केंद्र अलग) मतदान केंद्रों की गणना की गई. इन सभी 26 राउंड में कांग्रेस प्रत्याशी अजय टंडन को 6 बार पिछड़ना पड़ा. तो वही 20 राउंड में भाजपा प्रत्याशी पिछड़े. कांग्रेस प्रत्याशी अजय टंडन ने पहले राउंड से लेकर चौथे राउंड तक करीब 2607 मतों की बढ़त बनाई. लेकिन पांचवें राउंड में वह झटका खा गए और उनकी बढ़त 2041 पर सिमट गई. इसके बाद छठवें राउंड से उन्होंने पुनः बढ़त बनाना शुरू किया तो 17 राउंड तक लगातार आगे ही बढ़ते रहे. 18, 19 एवं 20 वे राउंड में कांग्रेस को एक बार फिर झटका लगा और उनके मत कम हुए. लेकिन 21 वे राउंड में कांग्रेस ने फिर थोड़ी सी बढ़त बनाई. 22 और 23 वे राउंड में एक बार फिर झटका लगा. उसके बाद 24 से लगातार 26 वे राउंड तक कांग्रेस प्रत्याशी बढ़त बनाए रहे, और अंत में 17089 मतों से जीत हासिल कर ली.
कहां-कहां मिली शिकस्त
ऐसा नहीं है कि भाजपा को केवल शहर में ही हार का मुंह देखना पड़ा. गांव में भी भाजपा को मुंह की खानी पड़ी. शहर के फुटेरा 4 को छोड़कर बाकी तमाम पोलिंग स्टेशन पर भाजपा को करारी हार मिली. दूसरी ओर जितने भी दिग्गज हैं उन सभी के वार्डों में भी भाजपा को हार का सामना करना पड़ा. उनमें केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल के निवास वाले वार्ड बजरिया 6, पूर्व मंत्री जयंत मलैया के वार्ड मांगंज 4, पूर्व मंत्री रामकृष्ण कुसमरिया के वार्ड सिविल 7, पथरिया के पूर्व विधायक लखन पटेल के मांगंज वार्ड 1, नगर पालिका अध्यक्ष मालती असाटी के असाटी वार्ड, भाजपा जिला अध्यक्ष प्रीतम सिंह लोधी, पूर्व जिला अध्यक्ष विद्यासागर पांडे, हेमंत छाबड़ा, राजेंद्र सिंघई सहित कई बड़े नेताओं के वार्ड में भी भाजपा को करारी शिकस्त मिली. इसके अलावा लोधी बहुल इलाकों सहित राहुल सिंह लोधी के खासे प्रभाव वाले बांदकपुर क्षेत्र में भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा. जबकि वहां मुख्यमंत्री, प्रदेश अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री तक ने सभा की थी. केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल और स्टार प्रचारक ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जिस लक्ष्मण कुटी क्षेत्र में कुर्मी वोटरों को लुभाने के लिए सभा की थी उस पूरी बेल्ट में भी कांग्रेस ही एक तरफा जीती. इसके अलावा भाजपा के जितने भी मंडल अध्यक्षों के वार्ड और ग्राम है वहां भी भाजपा को हार का सामना करना पड़ा. इसी तरह पथरिया से बसपा विधायक रामबाई ने भी भाजपा के लिए जमकर प्रचार किया पर उनके प्रभाव वाले कई गांव में भी भाजपा को बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा.
मलैया परिवार ने मुझे हरवाया : राहुल सिंह लोधी
कितनी ताकत झोंकी
भाजपा ने दमोह उपचुनाव को प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया था. जयंत मलैया की नाराजगी के कारण पहले दिन से ही भाजपा यह मानकर चल रही थी कि इस चुनाव में उसकी नैया आसानी से पार नहीं लगेगी. यही कारण है कि लगातार पांच बार प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान दमोह आए और उन्होंने 7 से अधिक सभाएं की. प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा 20 दिन तक दमोह में ही बने रहे. इसके अलावा 1 दर्जन से अधिक मंत्री, 40 से 50 विधायक, संगठन के तमाम पदाधिकारी भी आचार संहिता लगने के बाद से ही 15 अप्रैल तक दमोह में ही डेरा डाले रहे. इसके अतिरिक्त ज्योतिरादित्य सिंधिया, उमा भारती, प्रहलाद पटेल, केंद्रीय मंत्री के मुरलीधर राव सहित तमाम दिग्गज नेताओं ने कई सभाएं की ताकि भाजपा को जीत दिला सकें, लेकिन उनकी यह सारी सभाएं और तमाम जातीय सम्मेलन मिलकर भी इस चुनाव की दिशा-दशा और परिणाम नहीं बदल सके.
हर रणनीति हो गई फेल
भाजपा ने पहले दिन से ही है प्रचारित करना शुरू कर दिया था कि प्रत्याशी राहुल लोधी नहीं बल्कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और भाजपा का निशान कमल का फूल है. लेकिन भाजपा की यह रणनीति बिकाऊ और टिकाऊ के मुद्दे को खत्म नहीं कर पाई. इसके उलट पूरे प्रदेश में लॉक डाउन लग गया लेकिन दमोह में नहीं लगा जबकि पॉजिटिव केस लगातार बढ़ते रहे. जनता को यह समझते देर नहीं लगी कि कोरोना जैसी वैश्विक महामारी में दमोह को मौत के मुहाने पर खड़ा करने वाला केवल एक मात्र यह उप चुनाव ही जिम्मेदार है. लोगों में आक्रोश बहुत अधिक था लेकिन मुंह से कुछ कहने की बजाय आम जनता ने बटन दबाकर जबाव देना बेहतर समझा. इसके अतिरिक्त 4 अप्रैल को नील कमल गार्डन में आयोजित एक कार्यक्रम में जब नामी अपराधिक तत्वों ने सम्मेलन में शिरकत करके कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई तो शहर में एक मैसेज यह भी गया कि भाजपा अब चुनाव के लिए अपराधियों का सहारा ले रही है. उस पर पथरिया विधायक का प्रचार करना भी लोगों को रास नहीं आया. रही सही कसर लक्ष्मण कुटी में केंद्रीय मंत्री के "पूतना" वाले बयान और 16 अप्रैल को श्याम नगर में प्रदेश के एक कद्दावर मंत्री की गाड़ी में नोट रखे होने के बाद भी पुलिस की मौजूदगी में गाड़ी को सुरक्षित निकालने में पूरी हो गई. यह वह सारे मुद्दे थे जो लोगों के दिलों दिमाग में बैठ गए और भड़ास के रूप में 17 अप्रैल को सामने आए, जिसका असर 2 मई को दिखा. आखिरकार हर पैंतरा, हर नीति अपनाने के बाद भी भाजपा को दमोह की जनता का जनादेश नहीं मिल सका. कांग्रेस ने भाजपा को एक अच्छे अंतर से शिकस्त देकर ये साबित कर दिया कि वाकई जनता ही जनार्दन है. राजनीति के खेल में जनता ही राजा है वो ही बनाती है,और वो ही खेल बिगाड़ भी देती है.