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सांसारिक जीवन छोड़ मुनि बने बाल ब्रह्मचारी, बड़ी संख्या में पहुंचे भक्त

दमोह में पंचकल्याणक महोत्सव का आयोजन किया गया, जहां बाल ब्रह्मचारियों ने सांसारिक जीवन छोड़ मुनि की दीक्षा ली.

Panchakalyanak Festival
पंचकल्याणक महोत्सव
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Published : Feb 15, 2021, 4:37 PM IST

दमोह। बिहार की राजधानी पटना में रहने वाले बाल ब्रह्मचारी दर्पण ने सांसारिक जीवन को अलविदा कर दिया है, अब बाल ब्रह्मचारी दर्पण ने वैज्ञानिक संत आचार्य श्री निर्भय सागर जी महाराज से मुनि की दीक्षा ले ली है. दीक्षा लेने के दौरान सैकड़ों लोग मौजूद रहे.दीक्षा लेने के बाद मुनि ब्रह्मदत्त सागर के नाम से उनका नामकरण किया गया.

Panchakalyanak Festival
सागर जी महाराज ने दिलाई दीक्षा
  • पंचकल्याणक महोत्सव में दी गई दीक्षा

दमोह में पंचकल्याणक महोत्सव चल रहा है, जिसमें शामिल होने के लिए देश ही नहीं बल्कि अन्य राज्यों से भी बड़ी संख्या में जैन धर्म के लोग आए हुए हैं. इसी मौके पर आचार्य निर्भय सागर द्वारा मंगल प्रवचन एवं मुनि दीक्षा संपन्न कराई गई. दीक्षा के पूर्व केश लौंच आचार्य श्री ने किया. बाल ब्रह्मचारी दर्पण को हल्दी तेल के साथ स्नान कराया गया और शाही पोषाक पहनाई गई. इसके बाद वह हाथी पर सवार होकर दीक्षा स्थल पहुंचे. वहां गणधर वलय विधान किया गया.

Panchakalyanak Festival
सांसारिक जीवन छोड़ मुनि बने बाल ब्रह्मचारी

इनको मिला यह सौभाग्य

विधान के लिए सौधर्म इन्द्र बनने का सौभाग्य मलैया ट्रैक्टर वालों को प्राप्त हुआ, दीक्षार्थी दर्पण धर्म को माता पिता बनने का सौभाग्य संतोष कुमार फिरोजाबाद वालों को मिला. 21 श्रावकों ने आचार्य श्री को शास्त्र भेंट किया गया. दीक्षार्थी को मयूर पंख से बनी नवीन पिच्छी रतलाई डॉक्टर परिवार ने दी. कमंडल दीक्षार्थी के छोटे भाई रतनेश और गौरव जैन ने दिया. दीक्षार्थी की बहन छाया सौरभ जैन को इन्दौर कौशलौंच छेलने का सौभाग्य मिला.

मुनि दीक्षा सौभाग्य की बात

वैज्ञानिक संत आचार्य निर्भय सागर जी महाराज ने कहा कि राग से विराग की ओर जाना दीक्षा है. असंयम को छोड़कर संयम धारण दीक्षा है. दिगंबरी दीक्षा लेना बच्चों का खेल नहीं. गुरु के समक्ष शिष्य का समर्पण भाव होना दीक्षा है. वैराग्य जीवन की सबसे बड़ी घटना है.

Panchakalyanak Festival
सांसारिक जीवन छोड़ मुनि बने बाल ब्रह्मचारी

आचार्यों के चित्रों का अनावरण

इस अवसर पर आचार्य श्री विद्यासागर , आचार्य अभिनंदन सागर, आचार्य विपुल सागर और महाराज के चित्र का अनावरण किया गया, अनावरण त्यागी वृति ब्रह्मचारियों ने किया. अर्थिका सत्यवती और सकल मति माताजी ने ससंघ उपस्तिथि में मंगल प्रवचन भी दिए. आचार्य श्री ने दीक्षा के पूर्व दीक्षार्थी के परिजनों रिश्तेदारों एवं उपस्थित जनसमुदाय एवं संघस्थ साधुओं से दीक्षा देने की अनुमति मांगी. जिसकी सभी ने अनुमति दी.

देश भर से आए भक्त

इस अवसर पर अजमेर, दिल्ली, इन्दौर, भोपाल, सागर, जबलपुर, छतरपुर, बण्डा, रतलाई, टीकमगढ़, झालवाड़ा, बरहन, आगरा, मैनपुरी, मेरठ, भिंड, मुरैना, पटना बिहार, हिम्मत नगर गुजरात, कटनी, मुंबई, जयपुर, शहडोल, बरा नरसिंहपुर इत्यादि अनेक स्थानों से हजारों की संख्या में आए लोग शामिल हुए। कार्यक्रम का संचालन मुनि श्री शिवदत्त सागर प्रतिष्ठाचार्य आशीष अभिषेक जैन ने किया.

दमोह। बिहार की राजधानी पटना में रहने वाले बाल ब्रह्मचारी दर्पण ने सांसारिक जीवन को अलविदा कर दिया है, अब बाल ब्रह्मचारी दर्पण ने वैज्ञानिक संत आचार्य श्री निर्भय सागर जी महाराज से मुनि की दीक्षा ले ली है. दीक्षा लेने के दौरान सैकड़ों लोग मौजूद रहे.दीक्षा लेने के बाद मुनि ब्रह्मदत्त सागर के नाम से उनका नामकरण किया गया.

Panchakalyanak Festival
सागर जी महाराज ने दिलाई दीक्षा
  • पंचकल्याणक महोत्सव में दी गई दीक्षा

दमोह में पंचकल्याणक महोत्सव चल रहा है, जिसमें शामिल होने के लिए देश ही नहीं बल्कि अन्य राज्यों से भी बड़ी संख्या में जैन धर्म के लोग आए हुए हैं. इसी मौके पर आचार्य निर्भय सागर द्वारा मंगल प्रवचन एवं मुनि दीक्षा संपन्न कराई गई. दीक्षा के पूर्व केश लौंच आचार्य श्री ने किया. बाल ब्रह्मचारी दर्पण को हल्दी तेल के साथ स्नान कराया गया और शाही पोषाक पहनाई गई. इसके बाद वह हाथी पर सवार होकर दीक्षा स्थल पहुंचे. वहां गणधर वलय विधान किया गया.

Panchakalyanak Festival
सांसारिक जीवन छोड़ मुनि बने बाल ब्रह्मचारी

इनको मिला यह सौभाग्य

विधान के लिए सौधर्म इन्द्र बनने का सौभाग्य मलैया ट्रैक्टर वालों को प्राप्त हुआ, दीक्षार्थी दर्पण धर्म को माता पिता बनने का सौभाग्य संतोष कुमार फिरोजाबाद वालों को मिला. 21 श्रावकों ने आचार्य श्री को शास्त्र भेंट किया गया. दीक्षार्थी को मयूर पंख से बनी नवीन पिच्छी रतलाई डॉक्टर परिवार ने दी. कमंडल दीक्षार्थी के छोटे भाई रतनेश और गौरव जैन ने दिया. दीक्षार्थी की बहन छाया सौरभ जैन को इन्दौर कौशलौंच छेलने का सौभाग्य मिला.

मुनि दीक्षा सौभाग्य की बात

वैज्ञानिक संत आचार्य निर्भय सागर जी महाराज ने कहा कि राग से विराग की ओर जाना दीक्षा है. असंयम को छोड़कर संयम धारण दीक्षा है. दिगंबरी दीक्षा लेना बच्चों का खेल नहीं. गुरु के समक्ष शिष्य का समर्पण भाव होना दीक्षा है. वैराग्य जीवन की सबसे बड़ी घटना है.

Panchakalyanak Festival
सांसारिक जीवन छोड़ मुनि बने बाल ब्रह्मचारी

आचार्यों के चित्रों का अनावरण

इस अवसर पर आचार्य श्री विद्यासागर , आचार्य अभिनंदन सागर, आचार्य विपुल सागर और महाराज के चित्र का अनावरण किया गया, अनावरण त्यागी वृति ब्रह्मचारियों ने किया. अर्थिका सत्यवती और सकल मति माताजी ने ससंघ उपस्तिथि में मंगल प्रवचन भी दिए. आचार्य श्री ने दीक्षा के पूर्व दीक्षार्थी के परिजनों रिश्तेदारों एवं उपस्थित जनसमुदाय एवं संघस्थ साधुओं से दीक्षा देने की अनुमति मांगी. जिसकी सभी ने अनुमति दी.

देश भर से आए भक्त

इस अवसर पर अजमेर, दिल्ली, इन्दौर, भोपाल, सागर, जबलपुर, छतरपुर, बण्डा, रतलाई, टीकमगढ़, झालवाड़ा, बरहन, आगरा, मैनपुरी, मेरठ, भिंड, मुरैना, पटना बिहार, हिम्मत नगर गुजरात, कटनी, मुंबई, जयपुर, शहडोल, बरा नरसिंहपुर इत्यादि अनेक स्थानों से हजारों की संख्या में आए लोग शामिल हुए। कार्यक्रम का संचालन मुनि श्री शिवदत्त सागर प्रतिष्ठाचार्य आशीष अभिषेक जैन ने किया.

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