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मुख्यमंत्री कोविड-19 बाल कल्याण योजना से छूटे अनाथों का सहारा कौन?

कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर ने कई बच्चों के सिर से उनके माता-पिता का साया छीन लिया. ऐसे अनाथ बच्चों के पालन पोषण के लिए सरकार ने पेंशन योजना भी लागू की है, लेकिन सरकारी स्तर पर अब तक जितने बच्चों को चिन्हिंत किया गया है, उनका आंकड़ा बताता है कि कई और अनाथ बच्चों के लिए इस योजना का लाभ उठाना काफी मुश्किल है.

Chief Minister Covid-19 Child Welfare Scheme
मुख्यमंत्री कोविड-19 बाल कल्याण योजना
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Published : Jun 7, 2021, 11:35 AM IST

दमोह। कोरोना महामारी ने कई बच्चों के सिर से माता-पिता का साया छीन लिया है. ऐसे अनाथ बच्चों के पालन पोषण के लिए सरकार ने पेंशन योजना लागू की है, लेकिन सरकारी स्तर पर अब तक जितने बच्चों को चिन्हिंत किया गया है, उनका आंकड़ा बताता है कि कई और यतीम बच्चों के लिए यह योजना अभी दूर की कौड़ी है.

मुख्यमंत्री कोविड-19 बाल कल्याण योजना

5 हजार रुपए की आर्थिक सहायता
दरअसल, मुख्यमंत्री कोविड-19 बाल कल्याण योजना के तहत जिले में ऐसे बच्चों को पेंशन का लाभ दिया जाना है, जिनके सिर से माता-पिता का साया उठ चुका है. ऐसे बच्चों की परवरिश ठीक तरह से हो सके, इसके लिए उन्हें हर महीने 5 हजार रुपए की आर्थिक सहायता दी जाएगी. यह आर्थिक सहायता उनका भरण पोषण करने वाले अभिभावकों को मिलेगी. जिले में इस योजना के तहत 1 जून से ऐसे अनाथ बच्चों के लिए पेंशन की पहली किस्त खातों में डाली गई. ऐसे में चौका देने वाली बात ये है कि सरकार के कुछ नियम ही इस योजना में आड़े आ रहे हैं. वहीं, अभी तक जितने बच्चे योजना के तहत खोजे गए हैं. उनका आंकड़ा बता रहा है कि कई और पात्र बच्चों के लिए इस योजना का लाभ उठा पाना कितना मुश्किल भरा है.

क्या है योजना, कौन है पात्र
इस योजना के तहत सरकार ने 1 मार्च से लेकर 30 जून के बीच की अवधि में कोरोना या अन्य किसी बीमारी से मरने वाली अभिभावकों के, 0 से 21 वर्ष तक के बच्चों के भरण-पोषण के लिए 5 हजार रुपए मासिक पेंशन योजना शुरू की है. इसके अलावा जो बच्चे कॉलेज में पढ़ रहे हैं. उनकी 24 वर्ष तक की उम्र की पढ़ाई का खर्च भी प्रदेश सरकार ही वहन करेगी. इस नियम में सबसे बड़ी बाधा वह तिथि आ रही है, जिसमें सरकार ने यह तय किया है कि 1 मार्च से 30 जून के बीच मृत्यु होती है तो ही योजना का लाभ मिल सकेगा. बता दें कि यदि किसी परिवार में 1 मार्च के पूर्व और 1 जून 2021 के उपरांत मृत्यु होती है तो उस परिवार के बच्चे इस योजना में पात्र नहीं होंगे. यही इस योजना का सबसे दु:खद पहलू है. जो दर्जनों यतीम बच्चों को इस योजना से दूर कर रहा है.

पता ही नहीं क्या है योजना
बता दें कि मल्लपुरा में रहने वाले 13 वर्षीय दीपेश और 11 वर्षीय दीक्षा के पिता हेमराज रैकवार की मृत्यु पिछले महीने कोरोना से हो गई थी। परिवार के किसी सदस्य को यह नहीं पता कि मुख्यमंत्री पेंशन स्कीम क्या है और उसका लाभ इन यतीम बच्चों को कैसे मिल पाएगा। मृतक हेमराज के भाई राजेश बताते हैं कि उनके पास अभी किसी विभाग से कोई कर्मचारी नहीं आया है जो यह जानकारी दे सके या बता सके कि इस योजना का कैसे लाभ मिलेगा? हालांकि टीवी समाचारों में जरूर सुना कि मुख्यमंत्री 1 लाख रुपए मृतक के परिजनों को देंगे। लेकिन वह राशि भी कैसे मिलेगी इस बात की भी उन्हें जानकारी नहीं है। कुछ ऐसा ही हाल सिविल वार्ड 4 में रहने वाले जैन परिवार का है। हाल ही में पिता की कोरोना से मौत के बाद अब बच्चे का जिम्मा दादा के कंधों पर आ गया है। लेकिन उन्हें भी अभी इस योजना के बारे में कोई जानकारी नहीं है।

कितने बच्चे हुए चिन्हित
मुख्यमंत्री पेंशन योजना का हाल यह है कि जिले में अब तक मात्र 7 बच्चों को ही चिन्हित किया गया है. जिसमें बटियागढ़ के ग्राम सादपुर के 9 वर्षीय हर्ष अहिरवार, बटियागढ़ की ही 17 साल सोनम अहिरवार, दमोह विधानसभा से एक 15 वर्षीय सुनील अहिरवार और ग्राम भिलोनी की दो सगी बहनों (13 साल की कुमकुम 10 साल की प्रिया) को चिन्हित किया गया है. इन सभी बच्चों के माता और पिता दोनों ही अब इस दुनिया में नहीं हैं. ये बच्चे त्रासदी पूर्ण जीवन जीने के लिए मजबूर हैं. इसके अलावा हटा के शास्त्री वार्ड में रहने वाल 15 साल के अमन और भूमिका कुशवाहा के माता-पिता भी नहीं हैं. उनको भी इस योजना में शामिल किया गया है. पिछले दिनों केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री प्रहलाद पटेल ने उनके निवास पर जाकर उन्हें योजना का प्रमाण पत्र दिया था.


पहले बीमारी ने मां को छिना, अब पिता का उठा साया, चार बच्चे हुए अनाथ

अभी मात्र 7 बच्चे चिन्हित
महिला एवं बाल विकास विभाग के सशक्तिकरण अधिकारी संजीव कुमार मिश्र ने कहा कि, योजना के नाम से पता चलता है कि इसमें केवल कोरोना से मृत हुए लोगों के बच्चे ही पात्र होंगे, लेकिन ऐसा नहीं है. नियम देखें तो स्पष्ट हो जाता है कि इसमें किसी अन्य बीमारी से भी जिन लोगों की मौत हुई है. उनके बच्चे भी मासिक पेंशन के हकदार हैं. इसके अलावा कॉलेज में पढ़ने वाले बच्चों की पढ़ाई का 24 वर्ष तक का खर्च भी सरकार उठाएगी. अभी दमोह जिले में 7 बच्चों को चिन्हित किया गया है.

दमोह। कोरोना महामारी ने कई बच्चों के सिर से माता-पिता का साया छीन लिया है. ऐसे अनाथ बच्चों के पालन पोषण के लिए सरकार ने पेंशन योजना लागू की है, लेकिन सरकारी स्तर पर अब तक जितने बच्चों को चिन्हिंत किया गया है, उनका आंकड़ा बताता है कि कई और यतीम बच्चों के लिए यह योजना अभी दूर की कौड़ी है.

मुख्यमंत्री कोविड-19 बाल कल्याण योजना

5 हजार रुपए की आर्थिक सहायता
दरअसल, मुख्यमंत्री कोविड-19 बाल कल्याण योजना के तहत जिले में ऐसे बच्चों को पेंशन का लाभ दिया जाना है, जिनके सिर से माता-पिता का साया उठ चुका है. ऐसे बच्चों की परवरिश ठीक तरह से हो सके, इसके लिए उन्हें हर महीने 5 हजार रुपए की आर्थिक सहायता दी जाएगी. यह आर्थिक सहायता उनका भरण पोषण करने वाले अभिभावकों को मिलेगी. जिले में इस योजना के तहत 1 जून से ऐसे अनाथ बच्चों के लिए पेंशन की पहली किस्त खातों में डाली गई. ऐसे में चौका देने वाली बात ये है कि सरकार के कुछ नियम ही इस योजना में आड़े आ रहे हैं. वहीं, अभी तक जितने बच्चे योजना के तहत खोजे गए हैं. उनका आंकड़ा बता रहा है कि कई और पात्र बच्चों के लिए इस योजना का लाभ उठा पाना कितना मुश्किल भरा है.

क्या है योजना, कौन है पात्र
इस योजना के तहत सरकार ने 1 मार्च से लेकर 30 जून के बीच की अवधि में कोरोना या अन्य किसी बीमारी से मरने वाली अभिभावकों के, 0 से 21 वर्ष तक के बच्चों के भरण-पोषण के लिए 5 हजार रुपए मासिक पेंशन योजना शुरू की है. इसके अलावा जो बच्चे कॉलेज में पढ़ रहे हैं. उनकी 24 वर्ष तक की उम्र की पढ़ाई का खर्च भी प्रदेश सरकार ही वहन करेगी. इस नियम में सबसे बड़ी बाधा वह तिथि आ रही है, जिसमें सरकार ने यह तय किया है कि 1 मार्च से 30 जून के बीच मृत्यु होती है तो ही योजना का लाभ मिल सकेगा. बता दें कि यदि किसी परिवार में 1 मार्च के पूर्व और 1 जून 2021 के उपरांत मृत्यु होती है तो उस परिवार के बच्चे इस योजना में पात्र नहीं होंगे. यही इस योजना का सबसे दु:खद पहलू है. जो दर्जनों यतीम बच्चों को इस योजना से दूर कर रहा है.

पता ही नहीं क्या है योजना
बता दें कि मल्लपुरा में रहने वाले 13 वर्षीय दीपेश और 11 वर्षीय दीक्षा के पिता हेमराज रैकवार की मृत्यु पिछले महीने कोरोना से हो गई थी। परिवार के किसी सदस्य को यह नहीं पता कि मुख्यमंत्री पेंशन स्कीम क्या है और उसका लाभ इन यतीम बच्चों को कैसे मिल पाएगा। मृतक हेमराज के भाई राजेश बताते हैं कि उनके पास अभी किसी विभाग से कोई कर्मचारी नहीं आया है जो यह जानकारी दे सके या बता सके कि इस योजना का कैसे लाभ मिलेगा? हालांकि टीवी समाचारों में जरूर सुना कि मुख्यमंत्री 1 लाख रुपए मृतक के परिजनों को देंगे। लेकिन वह राशि भी कैसे मिलेगी इस बात की भी उन्हें जानकारी नहीं है। कुछ ऐसा ही हाल सिविल वार्ड 4 में रहने वाले जैन परिवार का है। हाल ही में पिता की कोरोना से मौत के बाद अब बच्चे का जिम्मा दादा के कंधों पर आ गया है। लेकिन उन्हें भी अभी इस योजना के बारे में कोई जानकारी नहीं है।

कितने बच्चे हुए चिन्हित
मुख्यमंत्री पेंशन योजना का हाल यह है कि जिले में अब तक मात्र 7 बच्चों को ही चिन्हित किया गया है. जिसमें बटियागढ़ के ग्राम सादपुर के 9 वर्षीय हर्ष अहिरवार, बटियागढ़ की ही 17 साल सोनम अहिरवार, दमोह विधानसभा से एक 15 वर्षीय सुनील अहिरवार और ग्राम भिलोनी की दो सगी बहनों (13 साल की कुमकुम 10 साल की प्रिया) को चिन्हित किया गया है. इन सभी बच्चों के माता और पिता दोनों ही अब इस दुनिया में नहीं हैं. ये बच्चे त्रासदी पूर्ण जीवन जीने के लिए मजबूर हैं. इसके अलावा हटा के शास्त्री वार्ड में रहने वाल 15 साल के अमन और भूमिका कुशवाहा के माता-पिता भी नहीं हैं. उनको भी इस योजना में शामिल किया गया है. पिछले दिनों केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री प्रहलाद पटेल ने उनके निवास पर जाकर उन्हें योजना का प्रमाण पत्र दिया था.


पहले बीमारी ने मां को छिना, अब पिता का उठा साया, चार बच्चे हुए अनाथ

अभी मात्र 7 बच्चे चिन्हित
महिला एवं बाल विकास विभाग के सशक्तिकरण अधिकारी संजीव कुमार मिश्र ने कहा कि, योजना के नाम से पता चलता है कि इसमें केवल कोरोना से मृत हुए लोगों के बच्चे ही पात्र होंगे, लेकिन ऐसा नहीं है. नियम देखें तो स्पष्ट हो जाता है कि इसमें किसी अन्य बीमारी से भी जिन लोगों की मौत हुई है. उनके बच्चे भी मासिक पेंशन के हकदार हैं. इसके अलावा कॉलेज में पढ़ने वाले बच्चों की पढ़ाई का 24 वर्ष तक का खर्च भी सरकार उठाएगी. अभी दमोह जिले में 7 बच्चों को चिन्हित किया गया है.

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