दमोह। राहुल सिंह को टिकट देने के मामले में लंबे समय से चली आ रही पूर्व वित्त मंत्री और प्रदेश के कद्दावर नेता जयंत मलैया की नाराजगी क्या दूर हो गई है? कमोबेश मलैया ने रविवार अपनी अस्वस्थता के बावजूद भी दमोह जिले में 4 सभाएं कर ऐसा ही संदेश दिया है. जयंत मलैया ने अभाना, बांदकपुर, खजरी और इमलिया घाट में चुनावी सभाओं को संबोधित किया. मलैया भाजपा द्वारा उपलब्ध कराए गए हेलीकॉप्टर में उड़ान भरकर इन सभाओं को करने पहुंचे. दमोह उपचुनाव में पार्टी ने उन्हें हेलीकॉप्टर उपलब्ध कराए जाने को लेकर अब नगर में राजनीतिक हलकों में कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं.
- मलैया रुके, पर माने नहीं
माना जा रहा था कि जयंत मलैया और उनकी बेटे सिद्धार्थ मलैया टिकट ना मिलने के कारण अपनी पार्टी से नाराज हैं. सिद्धार्थ चुनाव लड़ने के इच्छुक भी थे. यहां तक कि वह निर्दलीय मैदान में उतरने की तैयारी कर चुके थे. लेकिन उन्हें उनके पिता जयंत मलैया ने किसी तरह मनाकर चुनाव लड़ने से रोक दिया. इसके बाद लगातार कई मंत्री और नेताओं का उनके निवास पर बार-बार आना जाना चलता रहा. यहां तक की केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर भी 2 दिन पहले उनके निवास पर मिलने पहुंचे थे. इसके पहले दर्जनभर मंत्री और दो बार मुख्यमंत्री खुद और वीडी शर्मा उनसे मुलाकात कर चुके थे.
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- ऐसा एकाएक क्या हो गया?
गौरतलब है कि 8 और 9 अप्रैल को लगातार दो दिन शिवराज सिंह चौहान दमोह आए थे. उन्होंने बांसा में सभा तथा दमोह में बूथ सेक्टर कार्यकर्ताओं को संबोधित किया था. वहीं उन्होंने कहा था कि जयंत मलैया का वह सम्मान किसी भी कीमत पर कम नहीं होने देंगे. उनका सम्मान मेरा सम्मान है. कार्यक्रम के 1 दिन बाद ही जयंत मलैया को सभाएं करने के लिए हेलीकॉप्टर दे दिया गया. साथ ही सिद्धार्थ मलैया को उपचुनाव का नगर प्रभारी भी बना दिया गया. पिछले 20 दिन से प्रदेश अध्यक्ष, कई मंत्री, संगठन के बड़े पदाधिकारी, हजारों कार्यकर्ता दमोह में डेरा डाले हुए हैं. लेकिन उन्हें जल्द ही इस बात का एहसास हो गया कि जयंत मलैया के बगैर वह दमोह की जनता और स्थानीय कार्यकर्ताओं का भरोसा नहीं जीत सकते. पूरी ताकत लगाने के बाद भी भाजपा को वह प्रतिसाद नहीं मिल पाया जिसकी उन्हें उम्मीद थी. अपने हाथ से बाजी जाते देख भाजपा ने एन केन प्रकारेण किसी भी तरह जयंत मलैया को मना कर उन्हें मैदान में तो उतार दिया, लेकिन इसका क्या और कितना असर होगा इस पर सबकी निगाहें लगी हैं.
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- मलैया के आने से बदला मिजाज
मलैया परिवार का भाजपा के पक्ष में प्रचार करना राहुल सिंह और भाजपा के लिए भले ही राहत भरी बात हो सकती है, लेकिन इससे अब कांग्रेस के लिए मुश्किलें खड़ी हो जाएगी. चुनाव का अंतिम दौर चल रहा है. जहां एक ओर भाजपा की तरफ से पूरी सरकार और संगठन के साथ हजारों कार्यकर्ता बागडोर संभाले हुए हैं, वहीं कांग्रेस प्रत्याशी संगठन और जनता के भरोसे पूरा चुनाव लड़ रहे हैं. ऐसे में मतदाता टिकाऊ और बिकाऊ के मुद्दे पर मुहर लगाएंगे या भाजपा को जिताएंगे इस पर वह मौन साधे हुए हैं.