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देश का पहला स्मार्ट गांव, जानें इस स्मार्ट गांव की खूबियां

दमोह जिले की तहसील जबेरा के पड़रिया थोबन गांव में बनी साफ-सुथरी सड़कें, दिवारों पर बनी कलाकृतियां, स्मार्ट स्कूल, स्मार्ट गांव फाउंडेशन के प्रयासों का परिणाम है. इस फाउंडेशन की पहल पर पड़रिया थोबन अब एक गांव स्मार्ट गांव में बदल चुका है.

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Published : Nov 17, 2019, 3:38 PM IST

देश का पहला स्मार्ट गांव

दमोह। सरकार लगातार स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट पर काम कर रही है. शहर को सुविधायुक्त और साफ-सुथरा बनाने के लिए जागरुकता अभियान चलाए जा रहे हैं, लेकिन दमोह जिले की जबेरा विधानसभा का एक गांव ऐसा भी है, जहां लोगों के छोटे-छोटे प्रयासों ने इसे स्मार्ट गांव में तब्दील कर दिया है.

देश का पहला स्मार्ट गांव

स्मार्ट सोच का स्मार्ट रिजल्ट

कहते हैं कि हर हकीकत की शुरुआत एक सोच से होती है और इस स्मार्ट गांव की शुरुआत अमेरिका में रहने वाले इस इलाके के कुछ युवाओं की सोच से हुई. उन्होंने अपने पैसों का सहयोग देकर इस गांव को स्मार्ट गांव बनाने का काम शुरू किया और तैयार हो गया 250 की आबादी वाला ये गांव स्मार्ट गांव. बता दें कि ये गांव पूरी तरह से खेती पर ही निर्भर है और लगभग हर घर में पशु हैं. बावजूद इसके यहां की सड़कों पर ना धूल-मिट्टी नजर आती है और न ही गोबर.

यहां प्लास्टिक पूरी तरह से बैन

स्मार्ट गांव में सभी लोग खुद अपने-अपने आस पास की सफाई करते हैं. गांव के लोगों का कहना है कि गांव में प्लास्टिक पूरी तरह प्रतिबंधित है. गांव में कोई भी व्यक्ति प्लास्टिक का उपयोग नहीं करता है. खासतौर से सिंगल यूज प्लास्टिक तो इस गांव में मिलता ही नहीं है. सभी घरों की दीवारों पर पेंटिंग बनाई गई है, जो साफ-सफाई, शिक्षा, स्वास्थ्य, नशा मुक्ति और रोजगार की ओर प्रेरित करती हैं.

स्मार्ट गांव फाउंडेशन के लोगों का कहना है कि वो इस गांव को प्रेरणा स्त्रोत बनाना चाहते हैं और चाहते हैं कि देश-प्रदेश का हर गांव स्मार्ट गांव बने. इस गांव ने ये साबित कर दिया है कि किसी भी गांव या शहर को स्मार्ट बनाने के लिए करोड़ों-अरबों के बजट की नहीं बल्कि जरुरत है तो सिर्फ एक स्मार्ट सोच की.

दमोह। सरकार लगातार स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट पर काम कर रही है. शहर को सुविधायुक्त और साफ-सुथरा बनाने के लिए जागरुकता अभियान चलाए जा रहे हैं, लेकिन दमोह जिले की जबेरा विधानसभा का एक गांव ऐसा भी है, जहां लोगों के छोटे-छोटे प्रयासों ने इसे स्मार्ट गांव में तब्दील कर दिया है.

देश का पहला स्मार्ट गांव

स्मार्ट सोच का स्मार्ट रिजल्ट

कहते हैं कि हर हकीकत की शुरुआत एक सोच से होती है और इस स्मार्ट गांव की शुरुआत अमेरिका में रहने वाले इस इलाके के कुछ युवाओं की सोच से हुई. उन्होंने अपने पैसों का सहयोग देकर इस गांव को स्मार्ट गांव बनाने का काम शुरू किया और तैयार हो गया 250 की आबादी वाला ये गांव स्मार्ट गांव. बता दें कि ये गांव पूरी तरह से खेती पर ही निर्भर है और लगभग हर घर में पशु हैं. बावजूद इसके यहां की सड़कों पर ना धूल-मिट्टी नजर आती है और न ही गोबर.

यहां प्लास्टिक पूरी तरह से बैन

स्मार्ट गांव में सभी लोग खुद अपने-अपने आस पास की सफाई करते हैं. गांव के लोगों का कहना है कि गांव में प्लास्टिक पूरी तरह प्रतिबंधित है. गांव में कोई भी व्यक्ति प्लास्टिक का उपयोग नहीं करता है. खासतौर से सिंगल यूज प्लास्टिक तो इस गांव में मिलता ही नहीं है. सभी घरों की दीवारों पर पेंटिंग बनाई गई है, जो साफ-सफाई, शिक्षा, स्वास्थ्य, नशा मुक्ति और रोजगार की ओर प्रेरित करती हैं.

स्मार्ट गांव फाउंडेशन के लोगों का कहना है कि वो इस गांव को प्रेरणा स्त्रोत बनाना चाहते हैं और चाहते हैं कि देश-प्रदेश का हर गांव स्मार्ट गांव बने. इस गांव ने ये साबित कर दिया है कि किसी भी गांव या शहर को स्मार्ट बनाने के लिए करोड़ों-अरबों के बजट की नहीं बल्कि जरुरत है तो सिर्फ एक स्मार्ट सोच की.

Intro:दमोह जिले का एक गांव बना जिले का पहला स्मार्ट गांव

दमोह जिले की तहसील जबेरा के गांव पड़रिया थोबन को मिली नई पहचान

Anchor. विदेश में रहने वाले युवा की पहल पर दमोह जिले की जबेरा विधानसभा की एक गांव को स्मार्ट गांव बना दिया गया. इस गांव में जहां साफ सफाई पर विशेष ध्यान दिया गया है. वहीं हर घर को खूबसूरत बनाने के लिए भी गांव के लोगों ने स्वयं प्रयास करके काम किया है, और इसमें सहयोग किया है. विदेश में रहने वाले कुछ युवाओं के स्मार्ट गांव फाउंडेशन के द्वारा इस फाउंडेशन की पहल पर अब एक गांव स्मार्ट गांव की ओर कदम बढ़ाया है. जिसकी तारीफ केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल स्वयं कर चुके हैं.


Body:Vo. दमोह जिले के जबेरा विधानसभा के अंतर्गत आने वाले ग्राम पड़रिया धोवन को स्मार्ट गांव फाउंडेशन की मदद से स्मार्ट गांव का तमगा मिल गया है. केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री ने भी इस गांव का निरीक्षण कर स्मार्ट गांव की लॉन्चिंग की थी. साथ ही गांव के लोगों के प्रयास की सराहना करते हुए इसी प्रकार से और भी गांव के स्मार्ट बनाए जाने की आशा भी जताई. दरअसल अमेरिका में रहने वाले इस विधानसभा के कुछ युवाओं के द्वारा स्मार्ट गांव की परिकल्पना की गई. उन्होंने अपने पैसों का सहयोग देकर इस गांव को स्मार्ट गांव बनाने का उपक्रम शुरू किया, और तैयार हो गया ढाई सौ की आबादी वाला यह गांव स्मार्ट गांव. पूरी तरीके से खेती पर ही निर्भर है और इस स्मार्ट गांव को बनाने के लिए इन युवाओं ने जो मेहनत की है. केंद्रीय मंत्री ने इस गांव की हर गली को घूमा और पाया कि और भी गांव इस तरह से स्मार्ट बन सकते हैं. उन्होंने गांव के लोगों को शुभकामनाएं भी दी थी. साथ ही संदेश भी दिया था कि और भी गांव स्मार्ट गांव की ओर बढ़े.

बाइट - पप्पू सिंह स्मार्ट गांव सजाने वाले
बाइट - जितेंद्र बाजपाई स्मार्ट ग्राम परिकल्पना दाता



Conclusion:Vo. स्मार्ट गांव में सभी लोग स्वयं के द्वारा अपने घर और अपने गांव की गली को रोज साफ सफाई करते हैं. गांव के लोगों का कहना है कि गांव में प्लास्टिक पूरी तरह प्रतिबंधित है. गांव में कोई भी व्यक्ति प्लास्टिक का उपयोग नहीं करता है. खासतौर से सिंगल यूज़ प्लास्टिक तो इस गांव में मिलता ही नहीं है. सभी घरों की दीवाल पर पेंटिंग बनाई गई है. यह पेंटिंग भी एक संदेश देती हैं. जो साफ-सफाई शिक्षा स्वास्थ्य नशा मुक्ति और रोजगार से प्रेरित होती हैं. यहां के युवाओं का कहना है कि जल्दी इस गांव में वाईफाई भी उपलब्ध होगा. इस गांव में सभी बच्चे स्कूल जाते हैं. और सबसे अच्छी बात गांव की है कि गांव स्मार्ट बनाने से पहले यहां के युवाओं ने यहां के स्कूल को स्मार्ट बनाया. यह बच्चों के लिए आधुनिक फर्नीचर दिया जो सुंदरता के साथ-साथ बच्चों को स्कूल के लिए भी प्रेरित करता है.

आशीष कुमार जैन
ईटीवी भारत दमोह
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