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यहां विराजित है 18 भुजाधारी एकलौती गणेश प्रतिमा, 500 साल पुराना है इतिहास - दमोह में अशोक कालीन गणेश मंदिर

दमोह शहर से 27 किमी दूर दमोह-सागर रोड पर झागर गांव में विशाल सरोवर के किनारे स्थित श्री सिद्वि विनायक गणेश मंदिर में 18 भुजाधारी भगवान गणेश की विलक्षण प्रतिमा है जिसके दर्शन के लिए भक्त दूर दूर से आते हैं.

500 year old Ganesha statue in Jhagar village of Damoh district
18 भुजाधारी गणेश की प्रतिमा
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Published : Aug 26, 2020, 7:28 PM IST

Updated : Aug 26, 2020, 8:57 PM IST

दमोह। अपने आम में कई ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों को संजोए दमोह जिले में ऐसे कई स्थान हैं, जिसे देख कर आप का खुश हो जाएंगे. जिले में कई ऐसे स्थान हैं जिन्हें देख सुन कर देश के इतिहास पर गर्व होगा, वहीं कई ऐसे स्थान भी हैं जहां जाकर आप के मन को शांति मिलेगी. ऐसा ही एक स्थान है दमोह शहर से 27 किमी दूर दमोह-सागर रोड पर झागर गांव का सिद्वि विनायक गणेश मंदिर, जहां 18 भुजाधारी भगवान गणेश की विलक्षण प्रतिमा विराजमान हैं, जिसके दर्शन के लिए भक्त दूर-दूर से आते हैं.

18 भुजाधारी गणेश की प्रतिमा

500 साल पुराना इतिहास
8 भुजाधारी इकलौती गणेश प्रतिमा को लेकर विख्यात इस मंदिर का इतिहास 500 साल पुराना है. इस मंदिर के आस पास हजारों साल पुराने अशोक सम्राट के जमाने के शिलालेख पाए गए हैं. जिस कारण अनुमान लगाया जाता है कि सम्राट अशोक ने भारत भ्रमण के दौरान यहां अपना पड़ाव बनाया होगा. पहले यह मंदिर खंडहर जैसी स्थिति में था. लेकिन करीब 20 वर्ष पहले लोगों ने श्रमदान और चंदा करके मंदिर का निर्माण कराया था.

जिंदा हो गया मृत हिरण

गणेश मंदिर के सामने विशाल तालाब है, जो बारह महीना जल से लबालब भरा होता है. गांव के बुजुर्गों का कहना है कि एक बार शिकारी हिरण का शिकार कर शव सरोवर के एक पत्थर पर रख मंदिर में भजन करने लगा, तब हिरण जीवित होकर खड़ा हो गया और स्वमेव बंधन मुक्त हो गया. वह पत्थर जहां हिरण का शव रखा हुआ था उसे आज भी लोग काली सीढ़ी के नाम से पुकारते हैं. मंदिर के पीछे बरगद का विशाल प्राचीन वट वृक्ष है, जिसकी डाल प्रतिमा के सिर के ऊपर से निकल रही प्रतीत होती है.

20 साल पहले हुआ निर्माण
इस मंदिर के निर्माण की शुरूआत बाबा भगवान गिरी ने की थी. इसके बाद गांव के लोगों के दान देना शुरू किया और इसका निर्माण पूरी हो सका. क्षेत्र के लोगों सहित राजनीतिक हस्तियों का इस मंदिर से विशेष लगाव है और शुभ कार्य की शुरूआत सिद्वि विनायक के दर्शन करके होती है. गणेश के दर्शन के लिए देश-प्रदेश से भी भारी संख्या में श्रद्वालु आते हैं.

यहां गणेश उत्सव के दौरान तीन दिवसीय परंपरागत मेले का आयोजन किया जाता है. हर साल की तरह इस बार भी तिल गणेश चतुर्थी पर गुरुवार को यहां तीन दिवसीय परंपरागत मेले का आयोजन किया जाएगा. हालांकि इस साल कोरोना के कारण इसमें काफी पाबंदिया रहेगी, जिसे लेकर मंदिर प्रशासन ने भी भक्तों से अपील की है कि लोग कोरोना की गाइडलाइन का पालन करें.

दमोह। अपने आम में कई ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों को संजोए दमोह जिले में ऐसे कई स्थान हैं, जिसे देख कर आप का खुश हो जाएंगे. जिले में कई ऐसे स्थान हैं जिन्हें देख सुन कर देश के इतिहास पर गर्व होगा, वहीं कई ऐसे स्थान भी हैं जहां जाकर आप के मन को शांति मिलेगी. ऐसा ही एक स्थान है दमोह शहर से 27 किमी दूर दमोह-सागर रोड पर झागर गांव का सिद्वि विनायक गणेश मंदिर, जहां 18 भुजाधारी भगवान गणेश की विलक्षण प्रतिमा विराजमान हैं, जिसके दर्शन के लिए भक्त दूर-दूर से आते हैं.

18 भुजाधारी गणेश की प्रतिमा

500 साल पुराना इतिहास
8 भुजाधारी इकलौती गणेश प्रतिमा को लेकर विख्यात इस मंदिर का इतिहास 500 साल पुराना है. इस मंदिर के आस पास हजारों साल पुराने अशोक सम्राट के जमाने के शिलालेख पाए गए हैं. जिस कारण अनुमान लगाया जाता है कि सम्राट अशोक ने भारत भ्रमण के दौरान यहां अपना पड़ाव बनाया होगा. पहले यह मंदिर खंडहर जैसी स्थिति में था. लेकिन करीब 20 वर्ष पहले लोगों ने श्रमदान और चंदा करके मंदिर का निर्माण कराया था.

जिंदा हो गया मृत हिरण

गणेश मंदिर के सामने विशाल तालाब है, जो बारह महीना जल से लबालब भरा होता है. गांव के बुजुर्गों का कहना है कि एक बार शिकारी हिरण का शिकार कर शव सरोवर के एक पत्थर पर रख मंदिर में भजन करने लगा, तब हिरण जीवित होकर खड़ा हो गया और स्वमेव बंधन मुक्त हो गया. वह पत्थर जहां हिरण का शव रखा हुआ था उसे आज भी लोग काली सीढ़ी के नाम से पुकारते हैं. मंदिर के पीछे बरगद का विशाल प्राचीन वट वृक्ष है, जिसकी डाल प्रतिमा के सिर के ऊपर से निकल रही प्रतीत होती है.

20 साल पहले हुआ निर्माण
इस मंदिर के निर्माण की शुरूआत बाबा भगवान गिरी ने की थी. इसके बाद गांव के लोगों के दान देना शुरू किया और इसका निर्माण पूरी हो सका. क्षेत्र के लोगों सहित राजनीतिक हस्तियों का इस मंदिर से विशेष लगाव है और शुभ कार्य की शुरूआत सिद्वि विनायक के दर्शन करके होती है. गणेश के दर्शन के लिए देश-प्रदेश से भी भारी संख्या में श्रद्वालु आते हैं.

यहां गणेश उत्सव के दौरान तीन दिवसीय परंपरागत मेले का आयोजन किया जाता है. हर साल की तरह इस बार भी तिल गणेश चतुर्थी पर गुरुवार को यहां तीन दिवसीय परंपरागत मेले का आयोजन किया जाएगा. हालांकि इस साल कोरोना के कारण इसमें काफी पाबंदिया रहेगी, जिसे लेकर मंदिर प्रशासन ने भी भक्तों से अपील की है कि लोग कोरोना की गाइडलाइन का पालन करें.

Last Updated : Aug 26, 2020, 8:57 PM IST
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