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3 सौ साल पुराना है दमोह जिले का ये मंदिर, जानें क्या हैं इससे जुड़ी मान्यताएं

दमोह के छोर पर स्थित एक ऐसा दरबार जो लोगों की मनोकामना को पूरा करता है.नवरात्र के साथ-साथ हर दिन ही लोगों की आस्था का केंद्र है.हां की खास बात यह है कि मां वैष्णो देवी की तरह ही यह तीन प्रतिमाएं दमोह के लोगों की मनोकामना को पूरा करती है.

लोगों की आस्था का केंद्र मां बड़ी देवी का दरबार
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Published : Apr 6, 2019, 7:41 PM IST

दमोह। दमोह के छोर पर स्थित 300 साल पुराना मां बड़ी देवी का दरबार भक्तों की आस्था का केंद्र बन गया है. बुंदेलखंड के लोग इस दरबार को बड़ी बऊ का दरबार भी कहते हैं. नवरात्र के समय यहां भक्तों का तांता लगा रहता है. भक्तों का मानना है कि यह दरबार भक्तों की हर मनोकामना को पूरा करता है.

लोगों की आस्था का केंद्र मां बड़ी देवी का दरबार

ये है दरबार का इतिहास

दमोह में रहने वाला हजारी परिवार कानपुर के पास एक गांव से 3 सौ साल पहले मां महाकाली, मां महालक्ष्मी और मां सरस्वती की प्रतिमाओं को अपनी कुल देवी के रूप में पूजते हुए दमोह लेकर आया था. माता के स्वप्न के अनुसार हजारी परिवार ने दमोह के इस स्थान पर विश्राम किया था और उसके बाद से ही मां की प्रतिमाएं यहीं पर स्थापित हो गई. पहले तो हजारी परिवार द्वारा खेत के बीच बने छोटे से मंदिर में इन तीन प्रतिमाओं की पूजा अर्चना की जाती थी, लेकिन कालांतर में यह माता की तीन प्रतिमाएं दमोह की कुलदेवी बन गई और सभी लोग बड़ी देवी के नाम से इस स्थान को जाने लगे.

भक्तों का कहना है कि मां बड़ी देवी उनकी मनोकामनाएं पूरी करती है. यही कारण है कि नवरात्र के 9 दिन तक यहां पर अखंड कीर्तन के माध्यम से मां की भक्ति लगातार की जाती है.

दमोह। दमोह के छोर पर स्थित 300 साल पुराना मां बड़ी देवी का दरबार भक्तों की आस्था का केंद्र बन गया है. बुंदेलखंड के लोग इस दरबार को बड़ी बऊ का दरबार भी कहते हैं. नवरात्र के समय यहां भक्तों का तांता लगा रहता है. भक्तों का मानना है कि यह दरबार भक्तों की हर मनोकामना को पूरा करता है.

लोगों की आस्था का केंद्र मां बड़ी देवी का दरबार

ये है दरबार का इतिहास

दमोह में रहने वाला हजारी परिवार कानपुर के पास एक गांव से 3 सौ साल पहले मां महाकाली, मां महालक्ष्मी और मां सरस्वती की प्रतिमाओं को अपनी कुल देवी के रूप में पूजते हुए दमोह लेकर आया था. माता के स्वप्न के अनुसार हजारी परिवार ने दमोह के इस स्थान पर विश्राम किया था और उसके बाद से ही मां की प्रतिमाएं यहीं पर स्थापित हो गई. पहले तो हजारी परिवार द्वारा खेत के बीच बने छोटे से मंदिर में इन तीन प्रतिमाओं की पूजा अर्चना की जाती थी, लेकिन कालांतर में यह माता की तीन प्रतिमाएं दमोह की कुलदेवी बन गई और सभी लोग बड़ी देवी के नाम से इस स्थान को जाने लगे.

भक्तों का कहना है कि मां बड़ी देवी उनकी मनोकामनाएं पूरी करती है. यही कारण है कि नवरात्र के 9 दिन तक यहां पर अखंड कीर्तन के माध्यम से मां की भक्ति लगातार की जाती है.

Intro:300 साल पुराना है मां बड़ी देवी का दमोह में स्थित यह दरबार

कानपुर के गांव से हजारी परिवार इतनी ही साल पहले दमोह लेकर आया था 3 देवियों की यह प्रतिमा

मां वैष्णो देवी की तरह मां महाकाली मां महालक्ष्मी मां महासरस्वती की है मनोकामना पूरी करने वाली यह प्रतिमाएं


Anchor. दमोह के छोर पर स्थित एक ऐसा दरबार जो लोगों की मनोकामना को पूरा करता है. यह दरबार वैसे तो मां बड़ी देवी दरबार के नाम से जाना जाता है. लेकिन बुंदेलखंड के लोग इस दरबार को बड़ी बऊ का दरबार भी कहते हैं, और यह दरबार 300 साल से दमोह के लोगों की मनोकामना को पूरा भी कर रहा है. साल के 2 नवरात्र के समय यह दरबार भक्तों की आस्था श्रद्धा एवं मनोकामना को पूरा करने वाला साबित होता है. यही कारण है कि वैष्णो देवी की तरह विराजमान यहां पर माता की तीन प्रतिमाएं भक्तों की सभी मनोकामना को पूरा भी कर रही हैं.


Body:Vo. दमोह में निवास करने वाला हजारी परिवार कानपुर के पास एक गांव से 300 साल पहले मां महाकाली, मां महालक्ष्मी एवं मां महासरस्वती की प्रतिमाओं को अपनी कुल देवी के रूप में पूजते हुए दमोह लेकर आया था. माता के स्वप्न के अनुसार हजारी परिवार ने दमोह के इस स्थान पर विश्राम किया था, और उसके बाद से ही मां की प्रतिमाएं यहीं पर स्थापित हो गई. पहले तो हजारी परिवार द्वारा खेत के बीच बने छोटे से मंदिर में इन तीन प्रतिमाओं की पूजा अर्चना की जाती थी. लेकिन कालांतर में यह माता की तीन प्रतिमाएं दमोह की कुलदेवी बन गई और सभी लोग बड़ी देवी के नाम से इस स्थान को जाने लगे. तब से लेकर अब तक यह स्थान नवरात्र के साथ-साथ हर दिन ही लोगों की आस्था का केंद्र है. यहां की खास बात यह है कि मां वैष्णो देवी की तरह ही यह तीन प्रतिमाएं दमोह के लोगों की मनोकामना को पूरा करती है.

बाइट - आशीष शास्त्री महाराज बड़ी देवी मंदिर पुजारी

बाइट - बबलू भक्त भक्त मां बड़ी देवी


Conclusion:Vo. दमोह जिले की लोगों की कुल देवी के रूप में विख्यात मां बड़ी देवी के दरबार में दमोह के रहने वाले लोग चाहे वह देश में हो या विदेश में साल में दो बार इस स्थान पर मत्था टेकने जरूर आते हैं. वजह साफ है वे कहते हैं वे स्वीकार करते हैं कि मां बड़ी देवी के प्रताप से ही उनको इस ऊंचाई तक पहुंचने का मौका मिला है. क्योंकि उनकी मनोकामनाएं पूरी हुई है. माताओं बहनों को भी मां बड़ी देवी संतान सुख की प्राप्ति कराती है, ऐसा यहां आने वाले लोग स्वीकार करते हैं. यही कारण है कि नवरात्र के 9 दिन तक यहां पर अखंड कीर्तन के माध्यम से मां की भक्ति लगातार की जाती है. दमोह का यह स्थान एक प्रसिद्ध स्थान के रूप में लगातार 300 वर्षों से विख्यात चला रहा है.

आशीष कुमार जैन
ईटीवी भारत दमोह
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