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छिंदवाड़ा में सोयाबीन पर येलो मोजेक रोग का प्रकोप, यहां जानिए फसल को बचाने के तरीके

छिंदवाड़ा के पांढुर्णा क्षेत्र में बोई गई सोयाबीन की फसल पर येलो मोजेक रोग का प्रकोप है. जिससे फसल पीली पड़कर सूख रही है. फसल को हो रहे नुकसान के कारण चार साल बाद अच्छी फसल की आस लगाए किसानों को निराशा हाथ लग रही है. पढ़िए पूरी खबर...

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Published : Aug 25, 2020, 1:00 AM IST

Disease outbreak on soybean crop in chhindwada
सोयाबीन की फसल पर रोग का प्रकोप

छिंदवाड़ा। जिले के पांढुर्णा तहसील के किसान इन दिनों सोयाबीन की फसल को लेकर चिंतित हैं. किसानों द्वारा इस वर्ष लगाई गई सोयाबीन की सफल पर येलो मोजेक रोग ने अटैक कर दिया है. जिससे किसानों को काफी नुकसान हुआ है.

जानकारी के मुताबिक किसानों ने 4 साल बाद इस बार सोयाबीन की फसल पर सबसे ज्यादा भरोसा जताया था. पांढुर्णा क्षेत्र की 4500 हेक्टेअर भूमि में सोयाबीन की फसल लगाई गई है, लेकिन इन दिनों फसल पर येलो मोजैक का कहर है. रोग के कारण फसल की पत्तियां पीली होकर सूखने लगी हैं. वहीं फली के दाने भी सूख रहे हैं. जिससे किसानों की उम्मीदों पर पानी फिर गया है.

क्या है उपाय?

कृषि विस्तार अधिकारी किशोर डीगरसे ने बताया कि येलो मोजेक सोयाबीन की फसल के लिए सबसे बड़ी घातक बीमारी है. ये बीमारी कीटों के द्वारा फैलती है, जो धीरे-धीरे पूरे खेत को अपने जद में ले लेती है. इसके बचाव के लिए शुरुआती अवस्था में ही कीटनाशक का छिड़काव करना चाहिए. वहीं यदि प्रकोप एक दो पौधों में है तो उन्हें उखाड़कर मिट्टी में दबा देना चाहिए.

छिंदवाड़ा। जिले के पांढुर्णा तहसील के किसान इन दिनों सोयाबीन की फसल को लेकर चिंतित हैं. किसानों द्वारा इस वर्ष लगाई गई सोयाबीन की सफल पर येलो मोजेक रोग ने अटैक कर दिया है. जिससे किसानों को काफी नुकसान हुआ है.

जानकारी के मुताबिक किसानों ने 4 साल बाद इस बार सोयाबीन की फसल पर सबसे ज्यादा भरोसा जताया था. पांढुर्णा क्षेत्र की 4500 हेक्टेअर भूमि में सोयाबीन की फसल लगाई गई है, लेकिन इन दिनों फसल पर येलो मोजैक का कहर है. रोग के कारण फसल की पत्तियां पीली होकर सूखने लगी हैं. वहीं फली के दाने भी सूख रहे हैं. जिससे किसानों की उम्मीदों पर पानी फिर गया है.

क्या है उपाय?

कृषि विस्तार अधिकारी किशोर डीगरसे ने बताया कि येलो मोजेक सोयाबीन की फसल के लिए सबसे बड़ी घातक बीमारी है. ये बीमारी कीटों के द्वारा फैलती है, जो धीरे-धीरे पूरे खेत को अपने जद में ले लेती है. इसके बचाव के लिए शुरुआती अवस्था में ही कीटनाशक का छिड़काव करना चाहिए. वहीं यदि प्रकोप एक दो पौधों में है तो उन्हें उखाड़कर मिट्टी में दबा देना चाहिए.

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