छिंदवाड़ा। कभी उन बेसहारों को गले से लगाकर तो देखो, कभी उनकी उम्मीद की किरण बनकर तो देखो, खुदा की इबादत करनेवालों इन्हीं में खुदा बसता है, कभी उनकी चौखट पर जाकर तो देखो... इन लाइनों को चरितार्थ किया है छिंदवाड़ा की शिक्षिका किरण सोनी ने, जो आज उन बेसहारों के लिए एक सहारा हैं, गरीबों की उम्मीद हैं और महिला सशक्तिकरण की एक मिसाल हैं.
सात लड़कियों का किया कन्यादान
किरण सोनी शासकीय स्कूल में शिक्षिका हैं, साथ ही समाजसेविका के रूप में भी काम करती हैं. किरण ने तालीम के साथ-साथ आर्थिक रूप से कमजोर लोगों की मदद की है. अब तक किरण सात लड़कियों की शादी करा चुकी हैं.
माता-पिता से मिली प्रेरणा
किरण बताती हैं कि लोगों की मदद करने की सीख उन्हें अपने माता-पिता से मिली थी. बचपन में उन्होंने अपनी एक सहेली की मदद की थी. फ्रेंड की फ्रॉक खरीदने के लिए उन्होंने पैसे इकट्ठे किए थे, जिससे उन्हें बेहद खुशी हुई थी. इसके बाद वे समाजसेवा के काम से जुड़ गईं, हालांकि जल्दी शादी के कारण उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा, लेकिन शादी के 10 साल बाद जब वे शिक्षा विभाग से जुड़ीं तो उनके काम को गति मिली.
शिक्षा के साथ आर्थिक मदद
मदद पाने वाली रुपाली विश्वकर्मा बताती हैं कि मैडम किरण ने उसे न केवल पढ़ाया बल्कि उसकी शादी कराने में आर्थिक मदद भी की. वहीं मदद पाने वाली शीला यादव बताती हैं कि मैडम उनकी जिंदगी में एक मसीहा की तरह आईं, जिन्होंने न केवल उन्हें पढ़ाने में मदद की बल्कि उनके परिवार को आर्थिक मदद भी दी, साथ ही उनकी बहन की शादी भी कराई.
शासकीय हाई स्कूल शुकुलूठाना में पढ़ाने वाली किरण सोनी गरीब और असहायों की मसीहा बनकर उभरी हैं. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर ईटीवी भारत शिक्षिका किरण के जज़्बे को सलाम करता है.