छिंदवाड़ा। एक महीने पहले ही दिव्यांगों को दी गई मोटराइज्ड ट्राइसाइकिल (motorized tricycle) का सर्विस सेंटर नहीं होने से दिव्यांग परेशान हो रहे हैं. सैकड़ों साइकिलें कबाड़ में तब्दील हो गई हैं. अब दिव्यांग फिर से दफ्तरों के चक्कर लगा रहे हैं.
एलिम्को ने दी थीं ट्राइसाइकिल
एडिप योजना के तहत 31 जुलाई को छिंदवाड़ा में जिले भर के 4146 दिव्यांगजनों को 4.32 करोड़ रुपए के नि:शुल्क सहायक उपकरण वितरित किए गए थे. इस कार्यक्रम में केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार (Minister Doctor Virendra Kumar) ने अध्यक्षता की थी. वहीं प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chouhan) भी जुड़े थे. भारतीय कृत्रिम अंग निर्माण निगम एलिम्को ने जिला प्रशासन सामाजिक न्याय विभाग और भारतीय रेड क्रॉस सोसायटी के सहयोग से सहायक उपकरण दिव्यांगों को बांटे थे, जिसमें से 180 मोटराइज्ड ट्राइसाइकिल जिले भर में पहले चरण में वितरित की गई हैं.
ट्राइसाइकिल के खराब हो गए चार्जर
जैसे ही दिव्यांगों को बैटरी से चलने वाली ट्राइसाइकिल मिली थी. चेहरे पर खुशियां थीं. उम्मीद थी कि अब उनकी समस्याएं खत्म होगी, लेकिन कुछ दिन बाद ही उनके लिए परेशानी का सबब बन गई हैं. दरअसल, अधिकतर ट्राइसाइकिल में बैटरी चार्ज करने वाले चार्जर खराब हो गए हैं. वहीं बैटरी भी खराब हो गई, लेकिन जिले भर में कहीं भी सर्विस सेंटर नहीं होने की वजह से न तो उपकरण मिल रहे हैं, न ही ट्राइसाइकिल सुधारी जा रही हैं. इसकी वजह से ट्राइसाइकिल कबाड़ में तब्दील हो रही हैं और दिव्यांग परेशान हो रहे हैं.
गुणवत्ता पर उठाए सवाल
दिव्यांग एकता कल्याण मंत्री प्रदेश सचिव अरविंद बाथव ने बताया कि पूरे प्रदेश से दिव्यांगों की ऐसी शिकायतें आ रही हैं, जो भी सहायक उपकरण दिव्यांगों को वितरित किए गए हैं अधिकतर खराब हैं. कई चाइनीज आइटम हैं. ऐसे में इनकी गुणवत्ता पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं. इस मामले में भी अब दिव्यांग मुख्यमंत्री से मिलकर समस्या बताएंगे.
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सहायक उपकरण बनाकर भूला प्रशासन
इस मामले में दिव्यांगों ने कलेक्टर से मिलकर शिकायत भी की है. कलेक्टर का कहना था कि उपकरण एलिम्को कंपनी द्वारा वितरित किए गए हैं. उनके सुधारने की जिम्मेदारी भी उन्हीं की है, लेकिन सर्विस सेंटर कहां है और कैसा है इस मामले में उन्हें कोई जानकारी नहीं है.