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उज्जवला के 'अंधेरे' में धुआं-धुआं जिंदगी! पहचान बदली पर परिवेश नहीं

ग्रामीण इलाकों में उज्ज्वला योजना के तहत कई परिवारों को लाभ मिला था, लेकिन कोविड-19 संक्रमण के चलते हर वर्ग का व्यक्ति आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में कोविड-19 संक्रमण के चलते कई लोगों के रोजगार चले गए हैं. जैसे-तैसे वह मेहनत मजदूरी कर अपने घर परिवार का पालन पोषण करने की जद्दोजहद में लगे हुए है. लॉकडाउन और कोरोना कर्फ्यू ने आर्थिक रूप से लोगों को तोड़ दिया है जिसका असर अब दिखाई देने लगा है. लोगों का कहना है कि इस महामारी के दौर में परिवार का पेट पालने के पैसे नहीं है, तो उज्जवला योजना के तहत खरिदे गैस सिलेंडर कैसे भरवाए.

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Published : Apr 28, 2021, 11:33 AM IST

Updated : Apr 28, 2021, 1:23 PM IST

Ujjwala's darkness
उज्जवला का अंधेरा

छिंदवाड़ा। साहब! पहले मेहनत मजदूरी कर अपने परिवार का पालन पोषण करते थे, दो पैसा बचाकर गैस भी ले लेते थे. अब स्थिति यह है कि परिवार का पेट पालने के लिए पैसे नहीं है. गैस कहां से भरवाए? दो वक्त का खाना जुटाना ही मुश्किल हो रहा है. यह शब्द उन परिवारों के है, जिन्हें केंद्र सरकार की उज्जवला योजना के तहत गैस सिलेंडर तो मिल गए, लेकिन अब इन लोगों के पास सिलेंडर में गैस भऱवाने के लिए भी पैसे नहीं बचे है. नौबत तो ये है कि घर में गैस सिलेंडर के बाजू में लकड़ी का चुल्हा जलाकर रोटी बनाना पड़ रही है. रोटी भी वहीं बना पा रहा है जिनके घर में रोटी बनाने के लिए आटा बचा हो. कई लोग पर तो कोरोना कर्फ्यू की ऐसी मार पड़ी कि उनके घर में आटा भी खत्म हो गया है. परिवार का पेट पालने के लिए भी पैसे नहीं बचे.

उज्जवला के 'अंधेरे' में धुआं-धुआं जिंदगी!
  • कोरोना संक्रमण से आर्थिक स्थिति खराब

ग्रामीण क्षेत्रों में ईटीवी भारत ने बिसापुर कला और सर्र के ग्रामीणों से की बात कि उन्हें उज्ज्वला योजना के तहत गैस मिली थी. वह उसका उपयोग भी कर रहे थे, लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण आर्थिक स्थिति इतनी खराब हो गई, कि परिवार का पालन पोषण करना ही मुश्किल हो गया है. लगातार गैस और पेट्रोल-डीजल के बढ़े दाम ने रही सही कसर पूरी कर दी है. पहले तो गैस भरने का सोचते भी थे, लेकिन अब बढ़ते दामों के कारण सिलेंडर भरने का सोचना भी बंद कर दिया है.

सरकार ने दिए निर्देश, सभी हितग्राहियों को मिले उज्जवला योजना का लाभ

  • फिर चूल्हे की ओर लौटी ग्रामीण महिलाएं

छिंदवाड़ा जिले में वर्तमान में गैस के दाम 833 रुपए है. ग्रामीण महिलाओं ने बताया कि मेहनत मजदूरी करके मुश्किल से परिवार चला लेते थे. कोरोना कर्फ्यू और लॉकडाउन के दौरान ऐसे हाल हो गए हैं, कि परिवार का पालन पोषण करना भी मुश्किल हो गया है. उन्होंने बताया कि गैस के दाम इतने बढ़ गए कि उन्होंने दोबारा गैस सिलेंडर भरवाया ही नहीं. फिर से वह पारंपरिक चूल्हे की ओर लौट आए हैं. जैसे-तैसे वह लकड़ियां एकत्रित कर चूल्हा जलाने के लिए गोबर थोप कर कंडे बना रहे हैं.

  • उज्जवला योजना के तहत दिया था गैस कनेक्शन

प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के तहत गरीब परिवार को सरकार वित्तीय सहायता पहुंचाती है. जिसमें सरकार की ओर से 1,600 रुपए दिए जाते हैं. यह पैसा एलपीजी गैस कनेक्शन खरीदने के लिए दिया जाता हैं. जिसके साथ उन्हें चूल्हा खरीदने, पहली बार एलपीजी सिलेंडर बनाने में आने वाला खर्च को चुकाने के लिए यह सुविधा भी दी जाती है.

Ujjwala's darkness
चूल्हा जलाने के लिए मजबूर महिलाएं

डिंडौरी: उज्जवला योजना में अवैध वसूली की शिकायत करने जनसुनवाई में पहुंची महिलाएं

  • सरकार के पास नहीं है डाटा

जिला आपूर्ति अधिकारी जीपी लोधी ने कहा कि उनके पास उज्वला योजना से संबंधित कोई डाटा नहीं है. छिंदवाड़ा जिले में कितने कनेक्शन बांटे गए हैं इसकी कोई जानकारी नहीं है. उन्होंने कहा कि यह सभी डाटा गैस कंपनियों और गैस वितरण करने वाली एजेंसियों के पास है.

छिंदवाड़ा। साहब! पहले मेहनत मजदूरी कर अपने परिवार का पालन पोषण करते थे, दो पैसा बचाकर गैस भी ले लेते थे. अब स्थिति यह है कि परिवार का पेट पालने के लिए पैसे नहीं है. गैस कहां से भरवाए? दो वक्त का खाना जुटाना ही मुश्किल हो रहा है. यह शब्द उन परिवारों के है, जिन्हें केंद्र सरकार की उज्जवला योजना के तहत गैस सिलेंडर तो मिल गए, लेकिन अब इन लोगों के पास सिलेंडर में गैस भऱवाने के लिए भी पैसे नहीं बचे है. नौबत तो ये है कि घर में गैस सिलेंडर के बाजू में लकड़ी का चुल्हा जलाकर रोटी बनाना पड़ रही है. रोटी भी वहीं बना पा रहा है जिनके घर में रोटी बनाने के लिए आटा बचा हो. कई लोग पर तो कोरोना कर्फ्यू की ऐसी मार पड़ी कि उनके घर में आटा भी खत्म हो गया है. परिवार का पेट पालने के लिए भी पैसे नहीं बचे.

उज्जवला के 'अंधेरे' में धुआं-धुआं जिंदगी!
  • कोरोना संक्रमण से आर्थिक स्थिति खराब

ग्रामीण क्षेत्रों में ईटीवी भारत ने बिसापुर कला और सर्र के ग्रामीणों से की बात कि उन्हें उज्ज्वला योजना के तहत गैस मिली थी. वह उसका उपयोग भी कर रहे थे, लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण आर्थिक स्थिति इतनी खराब हो गई, कि परिवार का पालन पोषण करना ही मुश्किल हो गया है. लगातार गैस और पेट्रोल-डीजल के बढ़े दाम ने रही सही कसर पूरी कर दी है. पहले तो गैस भरने का सोचते भी थे, लेकिन अब बढ़ते दामों के कारण सिलेंडर भरने का सोचना भी बंद कर दिया है.

सरकार ने दिए निर्देश, सभी हितग्राहियों को मिले उज्जवला योजना का लाभ

  • फिर चूल्हे की ओर लौटी ग्रामीण महिलाएं

छिंदवाड़ा जिले में वर्तमान में गैस के दाम 833 रुपए है. ग्रामीण महिलाओं ने बताया कि मेहनत मजदूरी करके मुश्किल से परिवार चला लेते थे. कोरोना कर्फ्यू और लॉकडाउन के दौरान ऐसे हाल हो गए हैं, कि परिवार का पालन पोषण करना भी मुश्किल हो गया है. उन्होंने बताया कि गैस के दाम इतने बढ़ गए कि उन्होंने दोबारा गैस सिलेंडर भरवाया ही नहीं. फिर से वह पारंपरिक चूल्हे की ओर लौट आए हैं. जैसे-तैसे वह लकड़ियां एकत्रित कर चूल्हा जलाने के लिए गोबर थोप कर कंडे बना रहे हैं.

  • उज्जवला योजना के तहत दिया था गैस कनेक्शन

प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के तहत गरीब परिवार को सरकार वित्तीय सहायता पहुंचाती है. जिसमें सरकार की ओर से 1,600 रुपए दिए जाते हैं. यह पैसा एलपीजी गैस कनेक्शन खरीदने के लिए दिया जाता हैं. जिसके साथ उन्हें चूल्हा खरीदने, पहली बार एलपीजी सिलेंडर बनाने में आने वाला खर्च को चुकाने के लिए यह सुविधा भी दी जाती है.

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चूल्हा जलाने के लिए मजबूर महिलाएं

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  • सरकार के पास नहीं है डाटा

जिला आपूर्ति अधिकारी जीपी लोधी ने कहा कि उनके पास उज्वला योजना से संबंधित कोई डाटा नहीं है. छिंदवाड़ा जिले में कितने कनेक्शन बांटे गए हैं इसकी कोई जानकारी नहीं है. उन्होंने कहा कि यह सभी डाटा गैस कंपनियों और गैस वितरण करने वाली एजेंसियों के पास है.

Last Updated : Apr 28, 2021, 1:23 PM IST
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