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बाघ की मौत ने उठाए लाइट एंड साउंड प्रूफ हाईवे पर सवाल, 960 करोड़ रुपये खर्च के बावजूद नहीं रुक रहीं जानवरों की मौतें - भारत का साउंड और लाइट प्रूफ हाईवे

छिंदवाड़ा में देश का पहला साउंड और लाइट प्रूफ हाईवे बनाया गया है. इस हाइवे में पेंच टाइगर रिजर्व के वन्यप्राणी आसानी से नीचे से आ जा सकते हैं और ऊपर से वाहन गुजरते हैं. इसके बावजूद भी वन्यजीवों की मौतें हो रही हैं. (india first sound and light proof high way chhindwara)

sound proof highway chhindwara
साउंड प्रूफ हाईवे छिंदवाड़ा
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Published : Apr 11, 2022, 8:24 PM IST

छिंदवाड़ा। पेंच टाइगर रिजर्व के वन्यजीवों को वाहनों की आवाज और रात के लाइटों से परेशानी न हो इसके लिए 29 किलोमीटर का देश का पहला साउंड और लाइट प्रूफ हाईवे बनाया गया है. इस हाइवे में पेंच टाइगर रिजर्व के वन्यप्राणी आसानी से नीचे से आ जा सकते हैं और ऊपर से वाहन गुजरते हैं. जिसकी वजह से जानवरों को परेशानी नहीं होती और दुर्घटना का भी डर खत्म हो जाता है. इसके बावजूद भी वन्यजीवों की मौतें हो रही हैं. हाल ही में हुई टाइगर की मौत के बाद इस हाईवे पर सवाल खड़े होने लगे हैं. (india first sound and light proof high way chhindwara)

लाइट एंड साउंड प्रूफ हाईवे छिंदवाड़ा

सड़क दुर्घटना का शिकार हो रहे बाघः वन्य प्राणियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए 960 करोड़ रुपए खर्च करके 29 किलोमीटर की साउंड एवं लाइट प्रूफ हाइवे का निर्माण किया गया है, लेकिन इस पर भी सवाल उठ रहे हैं. कुछ दिन पहले ही इसी हाईवे पर बटवानी गांव के पास में एक बाघ सड़क दुर्घटना का शिकार होकर मौत के मुंह में समा गया था.

बफर जोन से गुजरता है नेशनल हाईवे-44ः दरअसल सिवनी से नागपुर जाने वाला नेशनल हाईवे-44 पेंच टाइगर रिजर्व के बफर जोन से होकर गुजरता है. 29 किलोमीटर के इस इलाके में अधिकतर टाइगर रिजर्व के वन्यजीवों का आना जाना रहता है. इसी कारण से वन्यजीव अधिकांश सड़क दुर्घटना का शिकार हो जाते थे. एनएचएआई ने इस समस्या को खत्म करते हुए 29 किलोमीटर का लाइट और साउंड प्रूफ नेशनल हाईवे तैयार किया है. (national highway 44 chhindwara)

Pench Tiger Reserve
पेंच टाइगर रिजर्व

5 किलोमीटर ऊंचा एनिमल अंडरपासः करीब 5 मीटर ऊंचे एनिमल अंडरपास के ऊपरी हिस्से से वहान बाहर निकलते हैं, जबकि निचले हिस्से से प्राणियों की आवाजाही हो रही है. वन क्षेत्र की 21. 69 किलोमीटर फोरलेन सड़क एवं अंडरपास के दोनों किनारों पर साउंड बैरियर और हेड लाइट रिड्यूसर लगाकर करीब 4 मीटर ऊंची दीवार तैयार की गई है. इससे वाहनों के हेड लाइट की तेज रोशनी व शोरगुल जंगल तक नहीं पहुंचता. ट्रैफिक का असर भी वन्य प्राणियों पर भी नहीं पड़ता है. (animal under pass in chhindwara)

4 मीटर ऊंची लोहे की दीवारें बनींः अंडर पास के ऊपर हिस्से में 4 मीटर ऊंची लोहे की दीवार खड़ी की गई है, जो साउंड बैरियर का काम करती है. रात में भारी वाहनों के हेड लाइट की रोशनी को रोकने के लिए रिड्यूसर का भी काम करती है. इसकी वजह से रात में वाहनों की रोशनी सीधे जानवरों पर नहीं पड़ती. इससे जानवर विचलित भी नहीं होते. वन्यजीवों के सड़क पार करने के लिए राजमार्ग के 3.5 किलोमीटर हिस्से में 14 एनिमल अंडरपास का निर्माण भी किया गया है. साथ ही पानी निकासी के लिए 58 पुलिया में से 18 एनिमल क्रॉसिंग कल्वर्ट भी बनाए गए हैं. ताकि वन्यजीव हाईवे पर आए बिना ही सड़क पार कर लेंगे. (facilities of sound proof highway in india)

sound proof highway chhindwara
टाइगर की मौत के बाद उठे सवाल

बाघों की लड़ाई से सहम उठा टाइगर रिजर्व, देखें वीडियो

देश में पहली बार किया प्रयोगः दरअसल पेंच टाइगर रिजर्व के बफर एरिया में होने के चलते जिले के मोहगांव से खवासा के बीच राष्ट्रीय राजमार्ग में 29 किलोमीटर हिस्से का निर्माण पिछले 11 सालों से अटका हुआ था जंगल का प्राकृतिक रास्ता हाईवे को क्रॉस कर पेंच से कान्हा नेशनल पार्क को जोड़ता है. आवाजाही के लिए वन्यप्राणी इसी रास्ते का इस्तेमाल करते हैं, इसलिए वन विभाग ने वन्यजीवों की सुरक्षा की शर्तों को मद्देनजर रखते हुए सड़क निर्माण की अनुमति नहीं दी थी. इस प्रोजेक्ट में बदलाव करते हुए इस हाईवे को हाईटेक बनाया गया है.

छिंदवाड़ा। पेंच टाइगर रिजर्व के वन्यजीवों को वाहनों की आवाज और रात के लाइटों से परेशानी न हो इसके लिए 29 किलोमीटर का देश का पहला साउंड और लाइट प्रूफ हाईवे बनाया गया है. इस हाइवे में पेंच टाइगर रिजर्व के वन्यप्राणी आसानी से नीचे से आ जा सकते हैं और ऊपर से वाहन गुजरते हैं. जिसकी वजह से जानवरों को परेशानी नहीं होती और दुर्घटना का भी डर खत्म हो जाता है. इसके बावजूद भी वन्यजीवों की मौतें हो रही हैं. हाल ही में हुई टाइगर की मौत के बाद इस हाईवे पर सवाल खड़े होने लगे हैं. (india first sound and light proof high way chhindwara)

लाइट एंड साउंड प्रूफ हाईवे छिंदवाड़ा

सड़क दुर्घटना का शिकार हो रहे बाघः वन्य प्राणियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए 960 करोड़ रुपए खर्च करके 29 किलोमीटर की साउंड एवं लाइट प्रूफ हाइवे का निर्माण किया गया है, लेकिन इस पर भी सवाल उठ रहे हैं. कुछ दिन पहले ही इसी हाईवे पर बटवानी गांव के पास में एक बाघ सड़क दुर्घटना का शिकार होकर मौत के मुंह में समा गया था.

बफर जोन से गुजरता है नेशनल हाईवे-44ः दरअसल सिवनी से नागपुर जाने वाला नेशनल हाईवे-44 पेंच टाइगर रिजर्व के बफर जोन से होकर गुजरता है. 29 किलोमीटर के इस इलाके में अधिकतर टाइगर रिजर्व के वन्यजीवों का आना जाना रहता है. इसी कारण से वन्यजीव अधिकांश सड़क दुर्घटना का शिकार हो जाते थे. एनएचएआई ने इस समस्या को खत्म करते हुए 29 किलोमीटर का लाइट और साउंड प्रूफ नेशनल हाईवे तैयार किया है. (national highway 44 chhindwara)

Pench Tiger Reserve
पेंच टाइगर रिजर्व

5 किलोमीटर ऊंचा एनिमल अंडरपासः करीब 5 मीटर ऊंचे एनिमल अंडरपास के ऊपरी हिस्से से वहान बाहर निकलते हैं, जबकि निचले हिस्से से प्राणियों की आवाजाही हो रही है. वन क्षेत्र की 21. 69 किलोमीटर फोरलेन सड़क एवं अंडरपास के दोनों किनारों पर साउंड बैरियर और हेड लाइट रिड्यूसर लगाकर करीब 4 मीटर ऊंची दीवार तैयार की गई है. इससे वाहनों के हेड लाइट की तेज रोशनी व शोरगुल जंगल तक नहीं पहुंचता. ट्रैफिक का असर भी वन्य प्राणियों पर भी नहीं पड़ता है. (animal under pass in chhindwara)

4 मीटर ऊंची लोहे की दीवारें बनींः अंडर पास के ऊपर हिस्से में 4 मीटर ऊंची लोहे की दीवार खड़ी की गई है, जो साउंड बैरियर का काम करती है. रात में भारी वाहनों के हेड लाइट की रोशनी को रोकने के लिए रिड्यूसर का भी काम करती है. इसकी वजह से रात में वाहनों की रोशनी सीधे जानवरों पर नहीं पड़ती. इससे जानवर विचलित भी नहीं होते. वन्यजीवों के सड़क पार करने के लिए राजमार्ग के 3.5 किलोमीटर हिस्से में 14 एनिमल अंडरपास का निर्माण भी किया गया है. साथ ही पानी निकासी के लिए 58 पुलिया में से 18 एनिमल क्रॉसिंग कल्वर्ट भी बनाए गए हैं. ताकि वन्यजीव हाईवे पर आए बिना ही सड़क पार कर लेंगे. (facilities of sound proof highway in india)

sound proof highway chhindwara
टाइगर की मौत के बाद उठे सवाल

बाघों की लड़ाई से सहम उठा टाइगर रिजर्व, देखें वीडियो

देश में पहली बार किया प्रयोगः दरअसल पेंच टाइगर रिजर्व के बफर एरिया में होने के चलते जिले के मोहगांव से खवासा के बीच राष्ट्रीय राजमार्ग में 29 किलोमीटर हिस्से का निर्माण पिछले 11 सालों से अटका हुआ था जंगल का प्राकृतिक रास्ता हाईवे को क्रॉस कर पेंच से कान्हा नेशनल पार्क को जोड़ता है. आवाजाही के लिए वन्यप्राणी इसी रास्ते का इस्तेमाल करते हैं, इसलिए वन विभाग ने वन्यजीवों की सुरक्षा की शर्तों को मद्देनजर रखते हुए सड़क निर्माण की अनुमति नहीं दी थी. इस प्रोजेक्ट में बदलाव करते हुए इस हाईवे को हाईटेक बनाया गया है.

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