छिंदवाड़ा। कोरोना संक्रमण के तेजी से बढ़ते मामलों के मद्देनजर छिंदवाड़ा में कोरोना कर्फ्यू लगाया गया है. कर्फ्यू के कारण जिले के लघु और मध्यम उद्योगों का हाल बेहाल हैं और यह बंद होने की कगार पर हैं. जिले में कई ऐसे छोटे-छोटे उघोग भी हैं, जो सिजनेबल इस्तेमाल होने वाली वस्तुओं को बनाते हैं, लेकिन कोरोना काल में अब यह सभी उघोग और इसमें काम करने वाले मजदूर आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहे हैं.
- क्या है इमलीखेड़ा औद्योगिक क्षेत्र की स्थिति?
छिंदवाड़ा शहर के इमलीखेड़ा स्थित औद्योगिक क्षेत्र में छोटी-बड़ी करीब 25-30 फैक्ट्रियां हैं. जो कूलर अलमारियां और लकड़ी के फर्नीचर जैसी छोटी वस्तुएं बनाती हैं. कोरोना कर्फ्यू के चलते बाजार बंद हैं और फैक्ट्रियों के पास बने माल की मांग नहीं है और जिस वजह से काम पूरी तरीके से बंद है. लिहाजा फैक्ट्रियों में काम करने वाले मजदूरों पर रोजी-रोटी का संकट मंडरा रहा है. हालांकि इस इलाके में कुछ फैक्ट्रियां अभी भी चल रही है, जिसमें महज 10 फीसदी मजदूर ही काम कर पा रहे हैं.
- क्या कहते हैं फैक्ट्रियों के मालिक ?
गर्मी के सीजन में सबसे ज्यादा मांग कूलर-पंखों की होती है. इसके साथ ही शादियों का सीजन होने की वजह से उपहार में दिए जाने वाले फर्नीचर, अलमारी भी काफी मात्रा में बिकती है, लेकिन कोरोना के दौर में लगी रोक के कारण अब पिछले साल का तैयार माल तक नहीं बिक पाया है और आगे बाजार में भी कोई मांग नहीं है. फैक्ट्री मालिकों का कहना है कि सीजनेबल आइटम का पुराना स्टॉक ही अभी तक बिका नहीं. कुछ आर्डर पुराने हैं जिसे पूरा करने के लिए सीमित मात्रा में मजदूरों को बुलाना पड़ रहा है.
- MSME सेक्टर में अगले 6 महीनों में क्या रहेगी स्थिति?
कोरोना काल में लगे लॉकडाउन से पूरे देश में लघु और मध्यम उद्योगों पर मार पड़ी है. इसे लेकर केयर रेटिंग एजेंसी ने एक सर्वे किया है, जिसमें उन्होंने छोटे और मझोले उद्योग सेक्टर (MSME) को लेकर चिंताजनक बात पाई है. सर्वे के मुताबिक, कोरोना की दूसरी लहर की वजह से व्यापार अनिश्चितता के बीच ज्यादातर कोविड प्रभावित MSME अगले 6 महीनों तक अपने व्यावसायिक गतिविधियों में किसी भी सुधार की उम्मीद नहीं कर सकते.
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- 54 फीसदी लोगों ने कहा हालात और होंगे खराब
क्रेडिट केटिंग एजेंसी ने लॉकडाउन के प्रभाव का आंकलन करने के लिए 27 अप्रैल से 11 मई के बीच छोटे और मध्यम उद्यमों समेत 305 लोगों को सर्वे में शामिल किया, जिसमें 54 फीसदी ने अगले 6 महिनों में व्यापार की स्थिति खराब होने की आशंका जताई है. 34% लोगों ने व्यावसायिक स्थिति में कोई बदलाव नहीं होने की उम्मीद जताई है, जबकि सिर्फ 12% ने गतिविधियों में सुधार की उम्मीद जताई है.
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- यूपी से आने वाले मजदूरों पर प्रभाग
छोटी फैक्ट्रियों में फर्नीचर बनाने के लिए ज्यादातर मजदूर उत्तर प्रदेश से छिंदवाड़ा आते हैं. कोरोना कर्फ्यू की वजह से सभी मजदूर वापस अपने घर चले गए हैं, लेकिन अब व्यापार ठप होने की वजह से फैक्ट्री मालिक भी उन्हें बुलाने के मूड में नहीं है. जिसका सीधा प्रभाव मजदूरों की रोजी रोटी पर पड़ रहा है.