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कमलनाथ के आदर्श गांव बीसापुर में पानी के लिए तरस रहे ग्रामीण, सीएम बनने के बाद भी नहीं बदले हालात

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Published : Apr 8, 2019, 7:33 PM IST

सीएम कमलनाथ ने छिंदवाड़ा से सांसद रहते हुए बीसापुरकला गांव आदर्श ग्राम योजना के तहत गोद लिया था. लेकिन, आदर्श गांव बनने के बाद भी यहां पानी की विकराल समस्या है. आलम यह है कि गांव में महीनेभर में एक बार ही पानी आता है. जिससे ग्रामीणों परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

सीएम कमलनाथ का आदर्श गांव बीसापुरकला

छिंदवाड़ा। 5 हजार पांच सौ की आबादी और पानी के लिए एक हैंडपंप, ये हालात हैं मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के आदर्श गांव बीसापुर में. पानी की इस कदर किल्लत है कि यहां का हर वासिंदा जद्दोजहद करता नजर आता है. ग्रामीणों की माने तो गांव में महीने भर में एक बार ही पानी आता है. बीसापुर स्वागत द्वार, आदर्श आंगनबाड़ी केंद्र, हाई स्कूल, पक्की सड़के, सामुदायिक भवन जैसी कई सौगातें मिली लेकिन गांव में पानी नहीं होने से ये सब अधूरी ही नजर आती है.

सीएम कमलनाथ के आदर्श गांव बीसापुर में पानी की विकराल समस्या

गांव में पानी न होने से ग्रामीण भी सांसद महोदय से खासे नाराज नजर आते हैं. वे कहते हैं कि सांसद चुनावी समर में तो गांव की ओर रुख करते हैं. लेकिन, चुनावी बेला खत्म होते ही वे हम से मुंह मोड़ लेते हैं. गांव में पानी के अलावा अन्य समस्यायों ने भी डेरा डाल रखा है.

बीसापुर में सड़कों का निमार्ण तो हुआ लेकिन, नालियां न बनाए जाने से उनका गंदा पानी सड़कों पर ही बहता रहता है. जिससे यहां बीमारियों का खतरा भी रहता है. कमलनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद लोग उम्मीद कर रहे हैं उनकी समस्या दूर होगी.

छिंदवाड़ा। 5 हजार पांच सौ की आबादी और पानी के लिए एक हैंडपंप, ये हालात हैं मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के आदर्श गांव बीसापुर में. पानी की इस कदर किल्लत है कि यहां का हर वासिंदा जद्दोजहद करता नजर आता है. ग्रामीणों की माने तो गांव में महीने भर में एक बार ही पानी आता है. बीसापुर स्वागत द्वार, आदर्श आंगनबाड़ी केंद्र, हाई स्कूल, पक्की सड़के, सामुदायिक भवन जैसी कई सौगातें मिली लेकिन गांव में पानी नहीं होने से ये सब अधूरी ही नजर आती है.

सीएम कमलनाथ के आदर्श गांव बीसापुर में पानी की विकराल समस्या

गांव में पानी न होने से ग्रामीण भी सांसद महोदय से खासे नाराज नजर आते हैं. वे कहते हैं कि सांसद चुनावी समर में तो गांव की ओर रुख करते हैं. लेकिन, चुनावी बेला खत्म होते ही वे हम से मुंह मोड़ लेते हैं. गांव में पानी के अलावा अन्य समस्यायों ने भी डेरा डाल रखा है.

बीसापुर में सड़कों का निमार्ण तो हुआ लेकिन, नालियां न बनाए जाने से उनका गंदा पानी सड़कों पर ही बहता रहता है. जिससे यहां बीमारियों का खतरा भी रहता है. कमलनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद लोग उम्मीद कर रहे हैं उनकी समस्या दूर होगी.

Intro:चुनाव का मौसम आते ही नेता जी के लिए जनता भगवान से कम नहीं होती है लेकिन जैसे ही चुनाव हो जाएं तो नेताजी उसी जनता को भूल जाते हैं। 2014 में ग्रामीण इलाकों को संवारने के लिए सांसद आदर्श ग्राम योजना की शुरुआत की गई थी, खुशी योजना के तहत छिंदवाड़ा के सांसद और वर्तमान मुख्यमंत्री कमलनाथ में मोहखेड़ ब्लॉक के बीसापुर गांव को गोद लिया था। जहां पर आज भी लोग पीने के पानी को तरस रहे हैं।


Body:छिंदवाड़ा लोकसभा के मोहखेड़ ब्लॉक के बीसापुर गांव को सांसद कमलनाथ ने आदर्श ग्राम योजना के तहत गोद लिया था वैसे तो यह गांव काफी संपन्न है लेकिन गोद लेने के बाद इस गांव में कितना बदलाव आया है यह खुद ग्रामीण बता रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि यहां की सबसे बड़ी समस्या है पीने का पानी गांव में जलस्तर कम होने की वजह से पीने का पानी नहीं मिलता है और उन्हें महीनों नल का इंतजार करना पड़ता है जिसके लिए या तो ग्रामीण पानी का स्टॉक करते हैं या फिर 2 किलोमीटर का सफर करके पानी लाना पड़ता है।

सीएम बनने के बाद काम में तेजी आई है।

ग्रामीणों का कहना है वैसे तो छिंदवाड़ा में 40 सालों से कमलनाथ सांसद हैं उन्होंने बीसापुर गांव को गोद तो लिया है लेकिन उस दौरान ऐसा कोई काम नहीं किया जिस को वे याद कर सके हालांकि मुख्यमंत्री बनने के बाद पानी की समस्या से निपटने के लिए पाइप लाइन बिछाने का काम जरूर किया है।

उम्मीद बहुत थी लेकिन हुआ कुछ नहीं।

ग्रामीणों का कहना है कि जैसे ही कमलनाथ ने उनके गांव को गोद लिया था तो उनको काफी उम्मीद थी लेकिन हुआ कुछ नहीं आंगनबाड़ी स्कूलों और ग्राम पंचायतों में थोड़ा बहुत सुधार तो हुआ है, सबसे बड़ी समस्या पानी की थी जिस पर कोई सुधार नहीं आया है और ना ही अब उनको कोई उम्मीद है क्योंकि चुनाव के वक्त वादे बहुत किए जाते हैं फिर उन्हें जनता याद नहीं आती है।

खेती के लिए नहर की माँग।

सांसद का आदर्श गांव पीने के पानी की समस्या से तो जूझ ही रहा है इनके सामने खेतों में सिंचाई के लिए पानी भी बड़ी समस्या है किसानों का कहना है कि चौरई में बने माचागोरा डैम का पानी अगर इनके गांव में मिलता है तो इनके खेत भी लहलहा सकते हैं लेकिन उसके लिए सीएम साहब कहते हैं कि आपने बहुत देर कर दी।


Conclusion:गांव को गोद लेने के बाद लोगों में उम्मीद जागी थी कि कमलनाथ जैसे नेता गांव का कायाकल्प कर देंगे वो तो पूरा नहीं हो सका। अब लोगों को उम्मीद है कि मुख्यमंत्री बनने के बाद शायद वे इस गांव में पानी की व्यवस्था तो कर ही सकते हैं। जिससे कि खेतों में हरियाली और पीने को आसानी से पानी मिल जाएगा।
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