भोपाल। मध्य प्रदेश में जून माह में राज्यसभा की रिक्त हो रही तीन सीटों के लिए चुनाव होने वाले हैं. इनमें से दो स्थान भाजपा और एक कांग्रेस के खाते में जाना तय है. इन चुनावों के लिए उम्मीदवारों के नामों का चयन कर भाजपा और कांग्रेस अपने को ओबीसी हितैषी बताने की कोशिश कर सकती हैं और यह चुनौती भी है उनके लिए. मध्य प्रदेश के तीन राज्य सभा सांसद -- कांग्रेस के विवेक तन्खा और भाजपा के एमजे अकबर और संपतिया उइके का कार्यकाल जून माह में खत्म हो रहा है. इन तीन सीटों के लिए चुनाव होना है. चुनाव के लिए अधिसूचना जारी हो चुकी है और 31 मई तक नामांकन भरे जाएंगे. कुल मिलाकर 31 से पहले उम्मीदवार का नाम तय करना हेागा.
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मैंने भी विदेश यात्रा रद्द कर दी है अब केवल एक ही चीज ओबीसी को न्याय भी दिलाना है और चुनाव की तैयारी करके जीतना भी है।
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) May 12, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
हो जाओ तैयार साथियों, हो जाओ तैयार।
सोचने का समय गया। pic.twitter.com/DcmbgxIEt8
">मैंने भी विदेश यात्रा रद्द कर दी है अब केवल एक ही चीज ओबीसी को न्याय भी दिलाना है और चुनाव की तैयारी करके जीतना भी है।
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हो जाओ तैयार साथियों, हो जाओ तैयार।
सोचने का समय गया। pic.twitter.com/DcmbgxIEt8मैंने भी विदेश यात्रा रद्द कर दी है अब केवल एक ही चीज ओबीसी को न्याय भी दिलाना है और चुनाव की तैयारी करके जीतना भी है।
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) May 12, 2022
हो जाओ तैयार साथियों, हो जाओ तैयार।
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OBC रिजर्वेशन का मुद्दा कितना बड़ा?: राज्य में वर्तमान समय में अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण का मामला गरमाया हुआ है. नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव में ओबीसी को आरक्षण देने को लेकर कांग्रेस और भाजपा में लंबे अरसे से आरोप-प्रत्यारोप चल रहे हैं. दोनों ही दल ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण दिए जाने की अरसे से पैरवी करते आ रहे हैं. भाजपा के शासन काल में पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग की रिपोर्ट ने ओबीसी को 35 प्रतिशत आरक्षण देने की बात कही. पंचायत और नगरीय निकाय में ओबीसी को आरक्षण देने का मामला सर्वोच्च न्यायालय में पहुंचा. सुप्रीम कोर्ट सरकार के तर्को से सहमत नहीं हुआ और उसने राज्य में चुनाव बगैर ओबीसी आरक्षण के कराने का फैसला दे दिया. शिवराज सरकार पिछड़ा वर्ग को आरक्षण देने का वादा कर रही है.
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हमें भाजपा सरकार से कोई उम्मीद नहीं है।
— Kamal Nath (@OfficeOfKNath) May 11, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
उन्होंने 2 साल तक कोई प्रयास नहीं किये, कोई कानून नहीं लाये, संविधान में संशोधन हो सकता था कि ओबीसी वर्ग को आरक्षण का लाभ मिले लेकिन इन्होंने कोई कार्यवाही नहीं की, इसीलिए सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा फैसला दिया है। pic.twitter.com/5jRJNOS0z2
">हमें भाजपा सरकार से कोई उम्मीद नहीं है।
— Kamal Nath (@OfficeOfKNath) May 11, 2022
उन्होंने 2 साल तक कोई प्रयास नहीं किये, कोई कानून नहीं लाये, संविधान में संशोधन हो सकता था कि ओबीसी वर्ग को आरक्षण का लाभ मिले लेकिन इन्होंने कोई कार्यवाही नहीं की, इसीलिए सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा फैसला दिया है। pic.twitter.com/5jRJNOS0z2हमें भाजपा सरकार से कोई उम्मीद नहीं है।
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उन्होंने 2 साल तक कोई प्रयास नहीं किये, कोई कानून नहीं लाये, संविधान में संशोधन हो सकता था कि ओबीसी वर्ग को आरक्षण का लाभ मिले लेकिन इन्होंने कोई कार्यवाही नहीं की, इसीलिए सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा फैसला दिया है। pic.twitter.com/5jRJNOS0z2
OBC का हितैषी बताने की होड़: अब राज्य में राज्यसभा की तीन सीटों के लिए चुनाव होना है. दोनों ही दल अपने को ओबीसी वर्ग का बड़ा हितैषी बताते चले आ रहे हैं. ऐसे में सबसे पहले सामने आ रहे राज्यसभा चुनाव में उम्मीदवारी के जरिए राजनीतिक दलों को अपने आप को ओबीसी हितैषी बताने की बड़ी चुनौती है. राज्य में भाजपा के पास पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती पिछड़े वर्ग का बड़ा चेहरा हैं तो कांग्रेस के पास पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव. अब देखना होगा कि क्या भाजपा पिछड़े वर्ग को लुभाने के लिए इस वर्ग से जुड़े व्यक्ति को राज्यसभा का उम्मीदवार बनाती है या फिर अन्य राजनीतिक गणित के आधार पर उम्मीदवार का चयन करती है. यही स्थिति कांग्रेस की है। कांग्रेस यादव को मैदान में उतारकर बड़ा दांव खेल सकती है. दोनों ही राजनीतिक दल ओबीसी उम्मीदवार बनाकर नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव में मतदाता को लुभाने का का दांव चल सकती हैं. इसे नकारा नहीं जा सकता.