ETV Bharat / state

बच्चों में ना सुनने की भी डालें आदत पेरेंट्स- मनोचिकित्सक - Psychiatrist Doctor Tushar gave information

छिंदवाड़ा में सामने आया है जहां 14 साल के एक नाबालिग ने एंड्रॉयड मोबाइल की मांग पूरी नहीं होने पर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली.

Concept image
सांकेतिक चित्र
author img

By

Published : Jun 9, 2021, 4:36 PM IST

Updated : Jun 9, 2021, 5:52 PM IST

छिंदवाड़ा। बच्चों की जरूरतें पूरी ना हो तो जरा सी लापरवाही में, वे जानलेवा कदम उठा लेते हैं. ऐसा ही एक मामला छिंदवाड़ा में सामने आया है जहां 14 साल के एक नाबालिग ने एंड्रॉयड मोबाइल की मांग पूरी नहीं होने पर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. आखिर बच्चों की मनोदशा को कैसे मां-बाप जान सकते हैं और कैसे बच्चों को इस अवसाद से निकाल सकते हैं. इन बातों के लिए ETV BHARAT में मनोचिकित्सक डॉक्टर तुषार ताल्हन से बातचीत की.

बच्चों में ना सुनने की भी डालें आदत पेरेंट्स- मनोचिकित्सक

बच्चों में ना सुनने की आदत भी डालें पेरेंट्स

छिंदवाड़ा इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में प्रोफेसर मनोचिकित्सक डॉक्टर तुषार ताल्हन ने ETV BHARAT से खास बातचीत में बताया कि अधिकतर मां-बाप, आजकल बच्चों की हर जिद पूरा करते हैं. इसी समय से बच्चों को लगता है कि हम जो भी मांगेंगे जरूरत पूरी हो जाएगी लेकिन इसके बड़े साइड इफेक्ट भी है. बच्चा पहले छोटी जिद करता है फिर बाद में बड़ी जिद करता है जिसे कई बार मां-बाप पूरा नहीं कर पाते और आप जब उन्हें इस बारे में मना करते हैं तो भी गलत कदम उठाते हैं. इसलिए बच्चों की हर जिद पूरी ना करें और उन्हें इस बारे में जरूर बताएं कि उसके लिए क्या जरूरी है और वे उनकी जिद क्यों पूरा नहीं करना चाहते. इससे बच्चों में ना सुनने की आदत लगेगी.

Black Band बांधकर गुरुवार से विरोध करेंगी Nurses

बच्चों की सुने बात, नहीं महसूस होने दें अकेलापन

जब कभी बच्चा जिद करें और गुस्सा करने लगे तो उसकी बातों पर ध्यान दें. अधिकतर बच्चे या बड़े जब डिप्रेशन में होते हैं तो अकेला रहना पसंद करते हैं और अकेलेपन में भी कई विचार मन में लाते हैं, कोशिश की जाए कि वह अकेले ना रहे और उनकी हर बातों को सुने उन्हें किसी भी प्रकार की सलाह ना दें ज्यादातर उनकी बातों को सुने.

बच्चों की बातों को ना करें इग्नोर

अक्सर कई बार बच्चे जब जिद करते हैं या कोई मांग करते है उसके बाद वे हमें कई बार सिग्नल देते हैं घर में चाकू रखा हो तो चाकू उठाकर एक्टिंग करते हैं कई बार मरने की बात करते हैं. जब बच्चे ऐसी बात करें तो ऐसी बातों को इग्नोर ना करें बल्कि फौरन इस बारे में उनसे बात करें. इससे समझ में आता है कि बच्चा आपका किस मानसिक स्थिति में जा रहा है.

छिंदवाड़ा। बच्चों की जरूरतें पूरी ना हो तो जरा सी लापरवाही में, वे जानलेवा कदम उठा लेते हैं. ऐसा ही एक मामला छिंदवाड़ा में सामने आया है जहां 14 साल के एक नाबालिग ने एंड्रॉयड मोबाइल की मांग पूरी नहीं होने पर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. आखिर बच्चों की मनोदशा को कैसे मां-बाप जान सकते हैं और कैसे बच्चों को इस अवसाद से निकाल सकते हैं. इन बातों के लिए ETV BHARAT में मनोचिकित्सक डॉक्टर तुषार ताल्हन से बातचीत की.

बच्चों में ना सुनने की भी डालें आदत पेरेंट्स- मनोचिकित्सक

बच्चों में ना सुनने की आदत भी डालें पेरेंट्स

छिंदवाड़ा इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में प्रोफेसर मनोचिकित्सक डॉक्टर तुषार ताल्हन ने ETV BHARAT से खास बातचीत में बताया कि अधिकतर मां-बाप, आजकल बच्चों की हर जिद पूरा करते हैं. इसी समय से बच्चों को लगता है कि हम जो भी मांगेंगे जरूरत पूरी हो जाएगी लेकिन इसके बड़े साइड इफेक्ट भी है. बच्चा पहले छोटी जिद करता है फिर बाद में बड़ी जिद करता है जिसे कई बार मां-बाप पूरा नहीं कर पाते और आप जब उन्हें इस बारे में मना करते हैं तो भी गलत कदम उठाते हैं. इसलिए बच्चों की हर जिद पूरी ना करें और उन्हें इस बारे में जरूर बताएं कि उसके लिए क्या जरूरी है और वे उनकी जिद क्यों पूरा नहीं करना चाहते. इससे बच्चों में ना सुनने की आदत लगेगी.

Black Band बांधकर गुरुवार से विरोध करेंगी Nurses

बच्चों की सुने बात, नहीं महसूस होने दें अकेलापन

जब कभी बच्चा जिद करें और गुस्सा करने लगे तो उसकी बातों पर ध्यान दें. अधिकतर बच्चे या बड़े जब डिप्रेशन में होते हैं तो अकेला रहना पसंद करते हैं और अकेलेपन में भी कई विचार मन में लाते हैं, कोशिश की जाए कि वह अकेले ना रहे और उनकी हर बातों को सुने उन्हें किसी भी प्रकार की सलाह ना दें ज्यादातर उनकी बातों को सुने.

बच्चों की बातों को ना करें इग्नोर

अक्सर कई बार बच्चे जब जिद करते हैं या कोई मांग करते है उसके बाद वे हमें कई बार सिग्नल देते हैं घर में चाकू रखा हो तो चाकू उठाकर एक्टिंग करते हैं कई बार मरने की बात करते हैं. जब बच्चे ऐसी बात करें तो ऐसी बातों को इग्नोर ना करें बल्कि फौरन इस बारे में उनसे बात करें. इससे समझ में आता है कि बच्चा आपका किस मानसिक स्थिति में जा रहा है.

Last Updated : Jun 9, 2021, 5:52 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.