छिंदवाड़ा। आश्विन कृष्ण पक्ष शुरु होते ही लोग पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध और पूजन करते हैं. मान्यता है कि पितृ पक्ष में पूर्वज पृथ्वी पर मिलने आते हैं. जिले में लोग पितृपक्ष के मौके पर जगह- जगह पिंडदान करके अपने पूर्वजों को याद कर रहे हैं.
गुरुवार को लोगों ने परासिया के कोयलांचल स्थित न्यूटन पेच नदी पर अपने पूर्वजों को याद करते हुए विधि विधान के साथ पूजन किया. इस दौरान सूर्य को जल अर्पित करने बड़ी संख्या में लोग बहती जल धारा के बीच पहुंचे. जहां पिंड बनकर लोगों ने पूर्वजों को याद किया.
लोगो का मानना है कि पितृ पक्ष में पूर्वज पिंडदान, अन्न एवं जल ग्रहण करने की इच्छा से अपनी संतानों के पास रहते हैं. संताने भी अपना ऋण चुकाने इन 15 दिनों में तर्पण और श्राद्ध करते हैं.
क्या है पौराणिक महत्व
पितृ पक्ष में श्राद्ध करने का विशेष महत्व है. मान्यता है कि पितर स्वर्ग लोग से उतरकर धरती पर आते हैं. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार अगर पितृ पक्ष में विधिवत श्राद्ध, पिंड दान और तर्पण किया जाए तो दिवंगत आत्मा को शांति मिलती है और वे प्रसन्न होते हैं.