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पितृ पक्ष के मौके पर लोगों ने पूर्वजों को किया याद, कर रहे श्राद्ध और पूजन

छिंदवाड़ा में पितृ पक्ष के मौके पर लोग नदी के तटों पर बड़ी संख्या में पहुंचकर श्राद्ध और पूजन कर रहे है.15 दिनों तक चलने वाले पितृ पक्ष में लोग अपने पूर्वजों को याद करते हैं.

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Published : Sep 19, 2019, 12:27 PM IST

पितृ पक्ष पर कर रहे लोग पिंड दान

छिंदवाड़ा। आश्विन कृष्ण पक्ष शुरु होते ही लोग पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध और पूजन करते हैं. मान्यता है कि पितृ पक्ष में पूर्वज पृथ्वी पर मिलने आते हैं. जिले में लोग पितृपक्ष के मौके पर जगह- जगह पिंडदान करके अपने पूर्वजों को याद कर रहे हैं.

पितृ पक्ष पर कर रहे लोग पिंड दान

गुरुवार को लोगों ने परासिया के कोयलांचल स्थित न्यूटन पेच नदी पर अपने पूर्वजों को याद करते हुए विधि विधान के साथ पूजन किया. इस दौरान सूर्य को जल अर्पित करने बड़ी संख्या में लोग बहती जल धारा के बीच पहुंचे. जहां पिंड बनकर लोगों ने पूर्वजों को याद किया.

लोगो का मानना है कि पितृ पक्ष में पूर्वज पिंडदान, अन्न एवं जल ग्रहण करने की इच्छा से अपनी संतानों के पास रहते हैं. संताने भी अपना ऋण चुकाने इन 15 दिनों में तर्पण और श्राद्ध करते हैं.

क्या है पौराणिक महत्व
पितृ पक्ष में श्राद्ध करने का विशेष महत्‍व है. मान्‍यता है कि पितर स्‍वर्ग लोग से उतरकर धरती पर आते हैं. पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार अगर पितृ पक्ष में विधिवत श्राद्ध, पिंड दान और तर्पण किया जाए तो दिवंगत आत्‍मा को शांति मिलती है और वे प्रसन्‍न होते हैं.

छिंदवाड़ा। आश्विन कृष्ण पक्ष शुरु होते ही लोग पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध और पूजन करते हैं. मान्यता है कि पितृ पक्ष में पूर्वज पृथ्वी पर मिलने आते हैं. जिले में लोग पितृपक्ष के मौके पर जगह- जगह पिंडदान करके अपने पूर्वजों को याद कर रहे हैं.

पितृ पक्ष पर कर रहे लोग पिंड दान

गुरुवार को लोगों ने परासिया के कोयलांचल स्थित न्यूटन पेच नदी पर अपने पूर्वजों को याद करते हुए विधि विधान के साथ पूजन किया. इस दौरान सूर्य को जल अर्पित करने बड़ी संख्या में लोग बहती जल धारा के बीच पहुंचे. जहां पिंड बनकर लोगों ने पूर्वजों को याद किया.

लोगो का मानना है कि पितृ पक्ष में पूर्वज पिंडदान, अन्न एवं जल ग्रहण करने की इच्छा से अपनी संतानों के पास रहते हैं. संताने भी अपना ऋण चुकाने इन 15 दिनों में तर्पण और श्राद्ध करते हैं.

क्या है पौराणिक महत्व
पितृ पक्ष में श्राद्ध करने का विशेष महत्‍व है. मान्‍यता है कि पितर स्‍वर्ग लोग से उतरकर धरती पर आते हैं. पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार अगर पितृ पक्ष में विधिवत श्राद्ध, पिंड दान और तर्पण किया जाए तो दिवंगत आत्‍मा को शांति मिलती है और वे प्रसन्‍न होते हैं.

Intro:छिंदवाड़ा

आश्विन कृष्ण पक्ष आरंभ है इसमें पितरों तर्पण और श्राद्ध का बहुत महत्व होता है पितरपक्ष के दौरान पर लोग से पूर्वज पृथ्वी पर आते हैं पित्र पक्ष के 15 दिन अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध और पूजन किया जाता हैBody:
आश्विन कृष्ण पक्ष आरंभ होते ही पितरों का तर्पण और श्राद्ध का बड़ा महत्व है ..परासिया कोयलांचल स्थित न्यूटन पेच नदी धाट पर सूर्योदय के पूर्व अपने पूर्वजों की आत्म शांति के लिए नदी की बहती जल धारा के बीच पिण्ड बनाकर विधि विधान के साथ पूजन कर उदित होते सूर्य को जल अर्पित कर अपने सभी पुर्वजो को याद कर तर्पण एवं श्राद्ध करने कोयलांचल के रहवासी बड़ी संख्या में पेंच नदी धाट पहुँच रहे है ...

क्योकि पुराणों में भी बताया गया है कि पितृ पक्ष के दौरान परलोक गए पूर्वजों को पृथ्वी पर अपने परिवार के लोगों से मिलने का अवसर मिलता है...क्योकि पितृ पक्ष में पूर्वज पिंडदान, अन्न एवं जल ग्रहण करने की इच्छा से अपनी संतानों के पास रहते हैं.. क्योकि देवऋण , पितृ ऋण और मातृ ऋण को संसार मे कोई भी मनुष्य पूरा नही कर सकता ..वह इस पितृ पक्ष में मनुष्य प्रयास करते है की इन ऋणों से मुक्ति पाये ...इस कारण पितृ पक्ष के 15 दिनों में अपने पूर्वजों की आत्म शांति के लिए तर्पण और श्राद्ध करते है ...जिससे इन ऋणों से मुक्ति मिल सके..Conclusion:
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