छिंदवाड़ा। 9 अप्रैल को मैसूर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश में बाघों की संख्या का ऐलान करेंगे, अब तक मध्य प्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जा दिलाने में छिंदवाड़ा और सिवनी के पेंच टाइगर रिजर्व यानी इंदिरा प्रियदर्शनी नेशनल पार्क की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही है. विश्व में सबसे अधिक शावकों को जन्म देने वाली कॉलर वाली बाघिन ने अंतिम सांस पेंच नेशनल पार्क में ही ली थी.
अधिकारियों में उत्साह: पेंच टाइगर रिजर्व के अधिकारियों का मानना है कि इस बार भी मध्य प्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जा मिलना तय है. अगर पेंच नेशनल पार्क में बाघों की संख्या की बात की जाए तो अधिकारियों का कहना है कि इस बार बाघों की संख्या शतक पार कर जाएगी हालांकि, अधिकारी फिलहाल पुख्ता संख्या बताने में कतरा रहे हैं. बाघों की संख्या का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पेंच नेशनल पार्क का कोर एरिया छोड़कर बाघों की चहल कदमी बफर एरिया में भी अधिकतर देखी जा रही है.
सुपर टाइग्रेस मॉम: कॉलर वाली बाघिन का मध्य प्रदेश को टाइगर स्टेट का तमगा दिलाने में अहम योगदान रहा था. बाघिन का जन्म सितंबर 2005 में हुआ था सबसे पहले मात्र ढाई साल की उम्र में बाघिन ने तीन शावकों को जन्म दिया था. इसके बाद आठ बार में कॉलर वाली बाघिन ने 29 शावकों को जन्म दिया था. बाघिन ने सबसे ज्यादा पांच शावकों को जन्म दिया था. इस बाघिन ने अंतिम सांस 15 जनवरी 2023 को ली थी. अब यहां की पाटदेव बाघिन (T-4) अगली 'सुपर टाइग्रेस मॉम' बन रही है. वह 9 साल के अंदर पांच बार में कुल 20 शावकों को जन्म दे चुकी है. अभी वह अपने चार शावकों के साथ टाइगर रिजर्व में घूमती नजर आ रही है. टी-4 बाघिन पेंच की ही 'कॉलर वाली' बाघिन की बेटी है.
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वन्यप्राणियों के अलावा 325 प्रजातियों के पक्षी भी मौजूद: मांसाहारी वन्यप्राणी में शेर, तेन्दुआ, जंगली बिल्ली, जंगली कुत्ते, लकड़बग्घा, सियार, लोमड़ी, भेड़िया, नेवला, सिवेट केट इत्यादि पाये जाते हैं. शाकाहारी प्रजातियों में गौर, नीलगाय, सांभर, चीतल, चैसिंगा, चिंकारा, जंगली सुअर इत्यादि प्रमुख हैं. इस राष्ट्रीय उद्यान में लगभग 325 प्रजातियों के पक्षी भी वर्ष के विभिन्न मौसमो में देखे जा सकते हैं. पार्क की सीमा के अंदर स्थित तोतलाडोह जलाशय के डूब क्षेत्रों में ठंड के मौसम में कई प्रकार के प्रवासी पक्षियों का जमघट लगा रहता है. प्रवासी पक्षियों में ब्रम्हिनी डक, पिनटेल, व्हिसलिंग टील, वेगटेल इत्यादि प्रमुख हैं.
जूलाजिकल सर्वे आफ इंडिया के द्वारा इस संबंध में सर्वेक्षण करने पर इस संरक्षित क्षेत्र में लगभग 57 प्रजाति के स्तनपाई (मेमल्स), 13 प्रकार के उभयचर, 37 प्रकार के सरीसृप एवं 50 प्रकार की मछलियां का पता लगाया जा चुका है. इसके साथ-साथ विभिन्न प्रकार के रहवास में लगभग 325 से अधिक प्रजातियों के पक्षियों की पहचान की जा चुकी है. इस राष्ट्रीय उद्यान एवं अभ्यारण्य में अकशेरूकी के सदस्य भी काफी संख्या में पाए जाते हैं. अभी तक सर्वेक्षण में 5 प्रजाति के दीमक, 13 प्रकार के कीड़े, 33 प्रकार के भृंग, 45 प्रकार के तितलियों, एवं 56 प्रकार के मोथ की पहचान की जा चुकी है.
औषधि और जैव विविधता से भी भरपूर है पेंच नेशनल पार्क: वनस्पति के मामले में भी यह क्षेत्र काफी प्रचुर हैं. लगभग 31 प्रजाति के अधिक ऊंचाई के वृक्ष, 52 प्रजाति के मध्यम प्रकार के वृक्ष एवं 65 प्रजाति के कम ऊंचाई के वृक्ष पाये जाते हैं. इसके साथ साथ 120 प्रकार की झाड़ियाएवं 485 प्रकार के शाकीय पौधे भी विभिन्न प्रकार के रहवास में पाये जाते है. इतना ही नही 72 प्रकार की महत्वपूर्ण बेल भी इस वन में देखी जा सकती हैं. 8 प्रकार के परजीवी तथा 3 प्रकार के एपिफाइटस भी पाये जाते हैं. औषधीय पौधों की 127 प्रजातियों की पहचान की गई हैं. सफेद मुसली, काली मुसली, जंगली हल्दी, शतावर, गिलोय, ऐठी, आंवला, बेल, बहेड़ा एवं अन्य कई प्रजातियों के बहुमूल्य औषधीय पौधे इस सुंदर वन में पाये जाते हैं.
प्राकृतिक ईकोसिस्टम में विभिन्न प्रजातियों के घास एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. इस वन क्षेत्र में लगभग 82 प्रकार की घास प्रजातियां पाई जाती हैं. किसी किसी क्षेत्र, जैसे काला पहाड़, बांस नाला, मन्नू तालाब, बोदा नाला इत्यादि क्षेत्र में बांस भी पाए जाते हैं. इंदिरा प्रियदर्शनी पेंच राष्ट्रीय उद्यान और मोंगली पेंच अभ्यारण्य क्षेत्र में मुख्यतः सागौन प्रजाति के वन है. सागौन के साथ साजा, धावड़ा, लेण्डिया, सलई, धोबन, तेन्दु, बीजा, गरारी, कुल्लु, आंवला, धामन, धोंट, अमलतास, भिर्रा एवं पलास प्रजाति के वृक्ष भी हैं.