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भूख से तड़पती है, लोगों से मांगती है खाना, 90 साल की बेसहारा किसनाबाई की यही है कहानी

पांढुर्णा सरकारी अस्पताल में भर्ती 90 साल की किसनाबाई की कहानी किसी को भी रुला देगी. 90 साल की इस उम्र में किसना बाई का दिमाग भी कमजोर हो चुका है, उसे कुछ याद भी नहीं रहता. वहीं उसने ऐसी भूख और प्यास देखी है, जो कि सुध खो जाने के बाद भी उनके जेहन से नहीं निकल रही.

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Published : May 25, 2019, 3:12 PM IST

सुध-बुध खो चुकी किसनाबाई की कहानी

छिंदवाड़ा। हाथ में लोटा लिए, मुंह से अजीबोगरीब आवाज निकालती इस बुजुर्ग महिला की कहानी सुनकर किसी का भी दिल पसीज जाएगा. इस बुजुर्ग महिला की दर्दभरी आवाजें किसी के भी रोंगटे खड़े कर देगी.

सुध-बुध खो चुकी किसनाबाई की कहानी
पांढुर्णा सरकारी अस्पताल में भर्ती ये महिला दिमागी तौर पर बीमार है. कभी नगर पालिका की कर्मचारी रही 90 साल की किसनाबाई आज पूरी तरह से अस्पताल के सफाईकर्मियों पर निर्भर है. अस्पताल आने से पहले किसनाबाई भूखी-प्यासी बेसहारा शंकर नगर वार्ड की गलियों में दर-दर की ठोकरें खा रही थी. न तो इनके सिर पर छत थी ना ही खाने के लिए रोटी.

कुछ लोगों ने किसनाबाई की दयनीय हालत देखकर उसे जिला अस्पताल में भर्ती करा दिया. हैंडपंप के नीचे लेटी इस महिला को अस्पताल के जरिए एक सहारा तो मिल गया है लेकिन वो आज भी किसी की आहट सुनती है, तो उससे खाने की भीख मांगती है. अस्पताल के सुरक्षाकर्मी बताते हैं कि वो महिला को खाना देते हैं, नहलाते हैं, कपड़े देते हैं और उसका पूरी तरह से ध्यान रखते हैं.

अपनी सुध-बुध खो चुकी महिला अब भी परेशान है. बैंक में पेंशन आती है, लेकिन इस महिला को इतनी भी सुध नहीं है कि उसका उपयोग कर सके. वो तो बस दिन भर अजीबो-गरीब आवाजें निकालकर, हाथ में लोटा लिए, झुककर, धीरे-धीरे इधर-उधर घूमती फिरती है. शायद अपनी बदहवासी में वो अपनी तकलीफ बयां करने की कोशिश करती है.

छिंदवाड़ा। हाथ में लोटा लिए, मुंह से अजीबोगरीब आवाज निकालती इस बुजुर्ग महिला की कहानी सुनकर किसी का भी दिल पसीज जाएगा. इस बुजुर्ग महिला की दर्दभरी आवाजें किसी के भी रोंगटे खड़े कर देगी.

सुध-बुध खो चुकी किसनाबाई की कहानी
पांढुर्णा सरकारी अस्पताल में भर्ती ये महिला दिमागी तौर पर बीमार है. कभी नगर पालिका की कर्मचारी रही 90 साल की किसनाबाई आज पूरी तरह से अस्पताल के सफाईकर्मियों पर निर्भर है. अस्पताल आने से पहले किसनाबाई भूखी-प्यासी बेसहारा शंकर नगर वार्ड की गलियों में दर-दर की ठोकरें खा रही थी. न तो इनके सिर पर छत थी ना ही खाने के लिए रोटी.

कुछ लोगों ने किसनाबाई की दयनीय हालत देखकर उसे जिला अस्पताल में भर्ती करा दिया. हैंडपंप के नीचे लेटी इस महिला को अस्पताल के जरिए एक सहारा तो मिल गया है लेकिन वो आज भी किसी की आहट सुनती है, तो उससे खाने की भीख मांगती है. अस्पताल के सुरक्षाकर्मी बताते हैं कि वो महिला को खाना देते हैं, नहलाते हैं, कपड़े देते हैं और उसका पूरी तरह से ध्यान रखते हैं.

अपनी सुध-बुध खो चुकी महिला अब भी परेशान है. बैंक में पेंशन आती है, लेकिन इस महिला को इतनी भी सुध नहीं है कि उसका उपयोग कर सके. वो तो बस दिन भर अजीबो-गरीब आवाजें निकालकर, हाथ में लोटा लिए, झुककर, धीरे-धीरे इधर-उधर घूमती फिरती है. शायद अपनी बदहवासी में वो अपनी तकलीफ बयां करने की कोशिश करती है.

Intro:
पांढुर्णा :-

दिन हो या दोपहर , रात हो या आधी रात को जब भी आप सरकारी अस्पताल पहुचेंगे तो आपके कानों में एक ऐसी दर्द भरी आवाज सुनाई देंगी जिसे सुनकर आपके रौंगटे खड़े हो जाएंगे
जी हाँ वह आवाज एक 90 साल की बुजुर्ग महिला शंकर नगर वार्ड निवासी किसनाबाई की हैं जो पांढुर्णा सरकारी अस्पताल में जिंदगी और मौत से झूझ रही हैं किसनाबाई जब भी किसी के आने जाने वालों की आहट सुनती हैं तो वह सबसे रो रो कर यही गुहार लगाती हैं कि " ओ भैया मुझे बहुत भूख -प्यास लगी हैं कोई तो मुझे खाना दे दो " जब यह आवाज किसी के कान तक आवाज जाती हैं तो सबके रौगते खड़े हो जाते हैं वर्तमान में इस बुजुर्ग महिला को मदत की आस लगी हुई हैं लेकिन उसके दयनीय हाल देखकर उससे उसकी मदत करने वाले दूर भाग रहे है Body:
लोगो के दहलीज पर बीती किसनाबाई की जिंदगी :-

एक समय था जब शहर के शंकर नगर वार्ड में लोगो के यहां काम करने वाली " किसनाबाई " के पूरे मोहल्ले में अलग ही पहचान थी और वह सबसे ज्यादा चर्चित थी किसनाबाई का घर परिवार नही रहने से वह लोगो के यहां बर्तन मांजकर और झाड़ू पोछा कर वह अपना पेट भर्ती थी और रात में लोगो के घर के पोर्च या आंगन की दहलीज पर सो कर जिंदगी बसर करती थी


पेंशनधारी है किसनाबाई ,खाते में हजारों रुपये में:-

शंकर नगर वार्ड की गलियों में रहने वाली किसनाबाई के पास भले ही घर की छत नही हैं लेकिन वह दूसरों के सहारे पर जीवन जी रही हैं किसनाबाई को नगर पालिका से पेंशन भी मिलती हैं और वर्तमान में उसके बैंक खाते में हजारों रुपये हैं लेकिन वह रुपये अब उसके कोई काम के नही हैं दरअसल वह मानसिक रूप से कमजोर हो गई हैं Conclusion:
3 सफाई कर्मी ही कर रहे किसनाबाई की सेवा :-

शहर के सरकारी अस्पताल में तैनात सफाई कर्मी संदीप गायकवाड़ , अजय डोंगरदिवे और महिला सफाई कर्मी दीपिका गायकवाड इस बुजुर्ग किसनाबाई को समय समय पर खाना और पीने का पानी उपलब्ध कराकर उसको नहलाते हैं

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