छिंदवाड़ा। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने 'स्कूल चलें हम' अभियान के तीसरे चरण की शुरुआत कर दी है, लेकिन उनके गृह जिले छिंदवाड़ा में ही शिक्षा व्यवस्था बदहाल है. यहां के ढिमरीढाना के सरकारी स्कूल में रैंप नहीं होने की वजह से दिव्यांग स्टूडेंट को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. इस स्कूल में पढ़ने वाली दिव्यांग छात्रा पूर्वी को कक्षा तक पहुंचने के लिए सीढ़ियों से चढ़कर जाना पड़ता है. शिक्षा विभाग ने हर सरकारी स्कूल में रैंप बनाने का नियम बनाया है, ताकि किसी भी दिव्यांग को परेशानी ना हो, लेकिन यहां इसकी कोई व्यवस्था नहीं है.
ढिमरीढाना का सरकारी स्कूल जिला शिक्षा अधिकारी के दफ्तर से महज एक किलोमीटर की दूरी पर है, लेकिन अभी तक इस स्कूल के हालातों पर किसी की भी नजर नहीं पड़ी है. हालांकि स्कूल टीचर कई बार अधिकारियों को इस चीज की जानकारी दे चुकी हैं.
इस स्कूल में सिर्फ पूर्वी ही नहीं बल्कि दूसरे बच्चों के लिए भी परेशानियां कम नहीं हैं. यहां पीने के पानी से लेकर बिजली तक की सुविधा नहीं है. स्कूल तक पहुंचने के लिए पक्की सड़क भी नहीं है. इसकी वजह से बच्चे बारिश में कीचड़ से होकर गुजरते हैं.
दिव्यांग छात्रा पूर्वी ने कहा कि वह पढ़-लिखकर आगे बढ़ना चाहती है. उसने सरकार से खुद के लिए एक ट्राइसाइकिल की व्यवस्था करने की मांग की है. उसने कहा कि इसके साथ ही स्कूल में बिजली-पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं की व्यवस्था की जाए, ताकि बच्चों को किसी भी तरह की दिक्कत नहीं हो.