ETV Bharat / state

मुख्यमंत्री कमलनाथ के गृह जिले में शिक्षा का बुरा हाल, मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे बच्चे

author img

By

Published : Jul 10, 2019, 11:32 AM IST

मुख्यमंत्री कमलनाथ के गृह जिले छिंदवाड़ा के ढिमरीढाना के सरकारी स्कूल में दिव्यांग छात्र-छात्राओं को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं यहां मूलभूत सुविधाओं के लिए भी स्टूडेंट्स तरस रहे हैं.

छिंदवाड़ा

छिंदवाड़ा। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने 'स्कूल चलें हम' अभियान के तीसरे चरण की शुरुआत कर दी है, लेकिन उनके गृह जिले छिंदवाड़ा में ही शिक्षा व्यवस्था बदहाल है. यहां के ढिमरीढाना के सरकारी स्कूल में रैंप नहीं होने की वजह से दिव्यांग स्टूडेंट को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. इस स्कूल में पढ़ने वाली दिव्यांग छात्रा पूर्वी को कक्षा तक पहुंचने के लिए सीढ़ियों से चढ़कर जाना पड़ता है. शिक्षा विभाग ने हर सरकारी स्कूल में रैंप बनाने का नियम बनाया है, ताकि किसी भी दिव्यांग को परेशानी ना हो, लेकिन यहां इसकी कोई व्यवस्था नहीं है.

छिंदवाड़ा में शिक्षा का बुरा हाल

ढिमरीढाना का सरकारी स्कूल जिला शिक्षा अधिकारी के दफ्तर से महज एक किलोमीटर की दूरी पर है, लेकिन अभी तक इस स्कूल के हालातों पर किसी की भी नजर नहीं पड़ी है. हालांकि स्कूल टीचर कई बार अधिकारियों को इस चीज की जानकारी दे चुकी हैं.

इस स्कूल में सिर्फ पूर्वी ही नहीं बल्कि दूसरे बच्चों के लिए भी परेशानियां कम नहीं हैं. यहां पीने के पानी से लेकर बिजली तक की सुविधा नहीं है. स्कूल तक पहुंचने के लिए पक्की सड़क भी नहीं है. इसकी वजह से बच्चे बारिश में कीचड़ से होकर गुजरते हैं.

दिव्यांग छात्रा पूर्वी ने कहा कि वह पढ़-लिखकर आगे बढ़ना चाहती है. उसने सरकार से खुद के लिए एक ट्राइसाइकिल की व्यवस्था करने की मांग की है. उसने कहा कि इसके साथ ही स्कूल में बिजली-पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं की व्यवस्था की जाए, ताकि बच्चों को किसी भी तरह की दिक्कत नहीं हो.

छिंदवाड़ा। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने 'स्कूल चलें हम' अभियान के तीसरे चरण की शुरुआत कर दी है, लेकिन उनके गृह जिले छिंदवाड़ा में ही शिक्षा व्यवस्था बदहाल है. यहां के ढिमरीढाना के सरकारी स्कूल में रैंप नहीं होने की वजह से दिव्यांग स्टूडेंट को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. इस स्कूल में पढ़ने वाली दिव्यांग छात्रा पूर्वी को कक्षा तक पहुंचने के लिए सीढ़ियों से चढ़कर जाना पड़ता है. शिक्षा विभाग ने हर सरकारी स्कूल में रैंप बनाने का नियम बनाया है, ताकि किसी भी दिव्यांग को परेशानी ना हो, लेकिन यहां इसकी कोई व्यवस्था नहीं है.

छिंदवाड़ा में शिक्षा का बुरा हाल

ढिमरीढाना का सरकारी स्कूल जिला शिक्षा अधिकारी के दफ्तर से महज एक किलोमीटर की दूरी पर है, लेकिन अभी तक इस स्कूल के हालातों पर किसी की भी नजर नहीं पड़ी है. हालांकि स्कूल टीचर कई बार अधिकारियों को इस चीज की जानकारी दे चुकी हैं.

इस स्कूल में सिर्फ पूर्वी ही नहीं बल्कि दूसरे बच्चों के लिए भी परेशानियां कम नहीं हैं. यहां पीने के पानी से लेकर बिजली तक की सुविधा नहीं है. स्कूल तक पहुंचने के लिए पक्की सड़क भी नहीं है. इसकी वजह से बच्चे बारिश में कीचड़ से होकर गुजरते हैं.

दिव्यांग छात्रा पूर्वी ने कहा कि वह पढ़-लिखकर आगे बढ़ना चाहती है. उसने सरकार से खुद के लिए एक ट्राइसाइकिल की व्यवस्था करने की मांग की है. उसने कहा कि इसके साथ ही स्कूल में बिजली-पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं की व्यवस्था की जाए, ताकि बच्चों को किसी भी तरह की दिक्कत नहीं हो.

Intro:execlusive

छिंदवाड़ा। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने बड़े धूमधाम से स्कूल चलें हम अभियान के तीसरे चरण की शुरुआत की,लेकिन उनके ही गृह जिले के एक सरकारी स्कूल में रैंप नहीं होने की वजह से दिव्यांग मासूम को सीढ़ियों से चढ़कर तालीम लेने जाना पड़ता है।


Body:छिन्दवाड़ा शहर के ढिमरीढाना इलाके के सरकारी स्कूल में पढ़ने वाली पूर्वी के हौसले तो बुलन्द है कि वो पढ़ाई करें लेकिन कुदरत ने उसे पैरों से कमजोर बनाया है पहाड़ी इलाके में बने पूर्वी के स्कूल में रैंप नहीं है जिसकी वजह से सीढ़ियों के सहारे चढ़कर अपने सपने पूरा करना चाहती है या फिर माँ की गोद में आकर।

हर स्कूल में रैंप बनाने का है नियम

सरकारी स्कूलों में रैंप बनाने के लिए शिक्षा विभाग के नियम भी हैं जिससे कि कोई भी दिव्यांग को परेशानी ना हो लेकिन यहाँ क्यों नहीं बना इसकी जानकारी किसी को नहीं है हालांकि स्कूल टीचर ने कई बार इसके लिए अधिकारियों को जानकारी दे चुकी हैं।

बिजली और पीने के लिए नहीं है पानी।

स्कूल में सिर्फ पूर्वी ही नहीं दूसरे बच्चों के लिए परेशानी कम नहीं है ना तो स्कूल में पीने के पानी की सुविधा है और ना ही बिजली यहाँ तक कि पक्की सड़क से स्कूल तक पहुँचने का रास्ता भी कच्चा है जिससे बच्चे बारिश में कीचड़ से गुजरते हैं।

डीईओ दफ्तर से महज 1 किमी दूर है स्कूल

ढिमरीढाना का सरकारी स्कूल जिला शिक्षा अधिकारी के दफ्तर से महज 1 किमी की दूरी पर है लेकिन अभी तक इस स्कूल के हालातों पर किसी की नजर नहीं पड़ी है।




Conclusion:पूर्वी चाहती है कि वो पढ़ लिखकर आगे बढ़े और उसके लिए सीएम साहब ट्राइसिकल की व्यवस्था कर दे साथ ही स्कूल के हालात भी सुधार जाएँ तो बच्चे पढ़ सकेंगे।
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.