छिंदवाड़ा। मध्यप्रदेश में बच्चों को स्कूल में पढ़ाने का तरीका लगातार शिक्षकों द्वारा बदला जा रहा है. कहीं डांस स्टेप के जरिए बच्चों को पहाड़ा सिखाया जा रहा है, तो कहीं कठपुतली का इस्तेमाल कर बच्चों को कहानी सुनाई और पढ़ाई जा रही है(Chhindwara school teach with kathputli show). बच्चों में पढ़ाई के प्रति रुचि जगाने के लिए कक्षा पहली से आठवीं तक के स्कूलों में नवाचार किए जा रहे हैं. जिले के प्राइमरी और मिडिल स्कूलों में बच्चों को गिनती हो या बारहखड़ी सिखाने के लिए शिक्षक नए-नए तौर तरीके अपना रहे हैं.
खेल खेल में बच्चों को सिखा रहे जोड़ना घटाना: शिक्षकों द्वारा बच्चों को पढ़ाने के नए तरीके को लेकर सकारात्मक नतीजा आ रहा है. बच्चों के साथ डांस कर, गाना गाकर और पहाड़ा को गीत में बदलकर पढ़ाया जा रहा है. जिसकी वजह से बच्चों को जल्दी याद भी हो रहा है. छिंदवाड़ा जिला मुख्यालय के शासकीय माध्यमिक शाला परतला को आइडियल शाला में तब्दील किया गया है. यहां खेल-खेल में बच्चों को जोड़ना और घटाना, रंगों का ज्ञान सहित अंग्रेजी बोलना और पढ़ना सिखाया जा रहा है. वहीं दूरदराज गांवों के स्कूलों में शिक्षक कई तरह के प्रयोग कर रहे हैं.
![Kids being taught with dance steps](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/mp-chh-01-teaching-govt-7204291-hdmp4_23112022141626_2311f_1669193186_715.jpg)
गीत गाकर सिखाई जा रही गिनती: चौरई विकासखंड के कौआखेड़ा शासकीय प्राथमिक शाला में कक्षा पहली और दूसरी कक्षा के विद्यार्थियों को गिनती सिखाने का नया तरीका अपनाया गया है. यहां शिक्षक बच्चों के बीच में खड़े हो जाते हैं और गाने के जरिए गिनती सिखाते हैं. इसके अलावा अंग्रेजी, हिन्दी में बारहखड़ी कठपुतली के खेल के साथ सिखाई जाती है(Chhindwara government school teaching method). विद्यार्थी खेल-खेल में नए तरीकों से पाठ सीख रहे हैं.
परतला सरकारी स्कूल को बनाया मॉडल स्कूल: शासकीय माध्यमिक शाला परतला को आइडियल स्कूल की तरह विकसित किया गया है. इस स्कूल की खासियत है कि स्कूल के एक हिस्से के तीन कमरों को शैक्षणिक नवाचार के लिए तैयार किया है. दीवार छत से लेकर फर्श तक में पढ़ने के नए-नए तरीकों को शामिल किया है. इसमें कक्षा पहली से आठवीं तक के बच्चों के सिलेबस के आधार पर कक्ष को तैयार किया गया है. जमीन में सांप-सीढ़ी बनाई गई है, जहां जोड़-घटाने के साथ गणित सीख सकते हैं. इसके साथ ही कई अन्य तरीकों से बच्चों को पढ़ाया जा रहा है.