छिंदवाड़ा। विधानसभा चुनाव सिर पर देखकर बीजेपी व शिवराज सरकार आदिवासी समुदाय को संतुष्ट करने के लगातार प्रयास कर रही है. सीधी यूरिन कांड से घबराई सरकार डैमेज कंट्रोल के हर तरीके पर काम कर रही है. इसी के तहत मध्यप्रदेश के इतिहास में पहली बार जनजातीय महिला को कुलपति बनाया गया है. बता दें कि सीधी पेशाब कांड बीजेपी के लिए गले की फांस बनता जा रहा है. हालांकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पीड़ित आदिवासी के पैर धोकर मामले को हल्का करने का प्रयास किया है.
डॉ. लीला भलावी को बनाया कुलपति : अब आदिवासी समुदाय को खुश करने के लिए राजा शंकर शाह विश्वविद्यालय छिंदवाड़ा की कुलपति के तौर पर प्रोफेसर डॉ. लीला भलावी को नियुक्त किया गया है. डॉ. लीला भलावी अब तक उच्च शिक्षा विभाग के अतिरिक्त संचालक जबलपुर में पदस्थ थीं. बता दें कि राजा शंकर शाह विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर एमके श्रीवास्तव को धारा 52 के तहत बर्खास्त कर दिया गया था. इसके बाद से ही रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर के कुलपति डॉ. कपिल देव मिश्रा को प्रभारी कुलपति नियुक्त किया गया था.
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आदिवासी समुदाय को साधने की कोशिश : उच्च शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केसी गुप्ता द्वारा जारी किए गए पत्र में कहा गया था कि विश्वविद्यालय के खिलाफ प्रबंधन की शिकायत प्राप्त हुई थी, जिसकी जांच में पाया गया था कि शिकायत सही है. विश्वविद्यालय के हितों को ध्यान में रखते हुए शासन द्वारा विश्वविद्यालय अधिनियम 1973 की धारा 52 के तहत तत्कालीन कुलपति डॉ. एमके श्रीवास्तव को बर्खास्त कर दिया गया था. राजा शंकर शाह विश्वविद्यालय से छिंदवाड़ा, बैतूल, सिवनी और बालाघाट जिले के 131 सरकारी और निजी कॉलेज संबंधित हैं. चारों जिले में जनजाति वर्ग की भी काफी संख्या है. सीधी की घटना के बाद यह मैसेज देने का प्रयास किया जा रहा है कि भाजपा जनजाति वर्ग की हितेषी पार्टी है.