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MP Seat Scan Pandhurna: महाराष्ट्र से लगे इस क्षेत्र में RSS का भी दबदबा, बीजेपी को दिलाएगी जीत, या कांग्रेस का फिर होगा राजतिलक

चुनावी साल में ईटीवी भारत आपको मध्यप्रदेश की एक-एक सीट का विश्लेषण लेकर आ रहा है. आज हम आपको बताएंगे छिंदवाड़ा जिले की पांढुर्णा सीट के बारे में. इस सीट पर वर्तमान में कांग्रेस का विधायक है. वहीं यह सीट इसलिए भी चर्चाओं में है, क्योंकि कहा जा रहा है कि सीएम चुनाव से पहले इसे जिला घोषित कर सकते हैं.

MP Seat Scan Pandhurna
एमपी सीट स्कैन पांढुर्णा
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Published : Aug 4, 2023, 7:55 PM IST

छिंदवाड़ा। साल 2023 के विधानसभा चुनाव के पहले पांढुर्णा विधानसभा क्षेत्र अभी से चर्चा में है. चर्चा इसलिए है क्योंकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पांढुर्णा को जिला बनाने की घोषणा कर सकते हैं. पांढुर्णा को जिला बनाने के लिए लंबे समय से मांग की जा रही है. अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित इस सीट में पिछले 2 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जीत दर्ज की है.

दो बार कांग्रेस को तो एक बार भाजपा को मिला मौका: अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित पांढुर्णा विधानसभा क्षेत्र में कुल 2,09,657 मतदाता हैं. जिसमें 1,07,117 पुरुष तो वहीं 1,02,540 महिला मतदाता हैं. 2008 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के रामराव कावरेती ने 38572 वोट लेकर कांग्रेस के बाबूलाल खंडाते को 7532 वोटों से हराया था. इसके बाद 2013 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने रामराव कवड़ेती की टिकट काटकर टीकाराम कोराची को मैदान में उतारा तो वहीं कांग्रेस ने जतन ऊइके को मौका दिया. यहां पर कांग्रेस के जतन ऊइके को 61741 वोट मिले. तो वहीं भाजपा के टीकाराम कोराची को 60263 वोट मिले. इस तरह कांग्रेस 1478 वोटों से चुनाव जीत गई.

MP Seat Scan Pandhurna
पांढुर्णा सीट के मतदाता

साल 2018 में कांग्रेस को मिली जीत: 2018 के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर कांग्रेस ने यहां से विधायक जतन ऊइके की टिकट काटकर युवा चेहरा नीलेश ऊइके को मैदान में उतारा और बीजेपी ने टीकाराम कोराची को फिर से मौका दिया. इस बार भी कांग्रेस के नीलेश ऊइके ने 80125 वोट लिया तो वहीं भाजपा को मात्र 58776 वोट मिले और कांग्रेस ने 21349 वोटों से बड़ी जीत दर्ज की.

MP Seat Scan Pandhurna
साल 2018 का रिजल्ट

गोटमार मेला और संतरा यहां की पहचान: पोला त्यौहार के दूसरे दिन लगने वाला गोटमार मेला से पांढुर्णा की पहचान पूरे विश्व में है. इस गोटमार मेला में लोग एक दूसरे पर पत्थर बरसाकर रस्म निभाते हैं. जिसमें अब तक कई लोगों की मौत भी चुकी है. वहीं पांढुर्णा विधानसभा क्षेत्र में संतरा और कपास की फसल भी अधिक मात्रा में होती है. यहां का संतरा भारत ही नहीं बल्कि बांग्लादेश में भी काफी पसंद किया जाता है.

MP Seat Scan Pandhurna
पांढुर्णा की खासियत

पांढुर्णा को जिला बनाने के लिए हो रही मांग सीएम कर सकते हैं ऐलान: पांढुर्णा को जिला बनाने के लिए कई सालों से मांग की जा रही है. एक बार के दौरे में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पांढुर्णा को जिला बनाने के लिए विचार विमर्श करने की बात भी कही थी, लेकिन 2023 के चुनाव के पहले से जिला बनाने की घोषणा सीएम कर सकते हैं. इसकी चर्चाएं भी अब जोरों पर है, क्योंकि पूर्व सीएम कमलनाथ को उनकी ही जिले में कमजोर करने के लिए बीजेपी कई तरीके से काम कर रहे हैं.

MP Seat Scan Pandhurna
पांढुर्णा का रिपोर्ट कार्ड

कुछ और सीट स्कैन यहां पढ़ें...

MP Seat Scan Pandhurna
नीलेश ऊइके, विधायक

महाराष्ट्र से लगा विधानसभा आरएसएस का भी है दबदबा: पांढुर्णा विधानसभा क्षेत्र महाराष्ट्र के नागपुर जिले से लगा हुआ है. महाराष्ट्रीयन कल्चर होने के कारण इस विधानसभा क्षेत्र में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का भी काफी दबदबा है. अगर चुनाव में विधानसभा के दावेदारों की बात की जाए तो वर्तमान विधायक नीलेश ऊइके के अलावा पूर्व विधायक जतन ऊइके कांग्रेस से मैदान में हैं. वहीं बीजेपी में पहले 2 चुनाव हार चुके टीकाराम कोराची के अलावा हाल ही में दमोह जिला न्यायालय के जज से इस्तीफा देकर भारतीय जनता पार्टी ज्वाइन किए प्रकाश भाऊ ऊइके भी पांढुर्णा से ही चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं. इसी के चलते उन्होंने इस्तीफा दे दिया है.

छिंदवाड़ा। साल 2023 के विधानसभा चुनाव के पहले पांढुर्णा विधानसभा क्षेत्र अभी से चर्चा में है. चर्चा इसलिए है क्योंकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पांढुर्णा को जिला बनाने की घोषणा कर सकते हैं. पांढुर्णा को जिला बनाने के लिए लंबे समय से मांग की जा रही है. अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित इस सीट में पिछले 2 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जीत दर्ज की है.

दो बार कांग्रेस को तो एक बार भाजपा को मिला मौका: अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित पांढुर्णा विधानसभा क्षेत्र में कुल 2,09,657 मतदाता हैं. जिसमें 1,07,117 पुरुष तो वहीं 1,02,540 महिला मतदाता हैं. 2008 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के रामराव कावरेती ने 38572 वोट लेकर कांग्रेस के बाबूलाल खंडाते को 7532 वोटों से हराया था. इसके बाद 2013 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने रामराव कवड़ेती की टिकट काटकर टीकाराम कोराची को मैदान में उतारा तो वहीं कांग्रेस ने जतन ऊइके को मौका दिया. यहां पर कांग्रेस के जतन ऊइके को 61741 वोट मिले. तो वहीं भाजपा के टीकाराम कोराची को 60263 वोट मिले. इस तरह कांग्रेस 1478 वोटों से चुनाव जीत गई.

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पांढुर्णा सीट के मतदाता

साल 2018 में कांग्रेस को मिली जीत: 2018 के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर कांग्रेस ने यहां से विधायक जतन ऊइके की टिकट काटकर युवा चेहरा नीलेश ऊइके को मैदान में उतारा और बीजेपी ने टीकाराम कोराची को फिर से मौका दिया. इस बार भी कांग्रेस के नीलेश ऊइके ने 80125 वोट लिया तो वहीं भाजपा को मात्र 58776 वोट मिले और कांग्रेस ने 21349 वोटों से बड़ी जीत दर्ज की.

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साल 2018 का रिजल्ट

गोटमार मेला और संतरा यहां की पहचान: पोला त्यौहार के दूसरे दिन लगने वाला गोटमार मेला से पांढुर्णा की पहचान पूरे विश्व में है. इस गोटमार मेला में लोग एक दूसरे पर पत्थर बरसाकर रस्म निभाते हैं. जिसमें अब तक कई लोगों की मौत भी चुकी है. वहीं पांढुर्णा विधानसभा क्षेत्र में संतरा और कपास की फसल भी अधिक मात्रा में होती है. यहां का संतरा भारत ही नहीं बल्कि बांग्लादेश में भी काफी पसंद किया जाता है.

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पांढुर्णा की खासियत

पांढुर्णा को जिला बनाने के लिए हो रही मांग सीएम कर सकते हैं ऐलान: पांढुर्णा को जिला बनाने के लिए कई सालों से मांग की जा रही है. एक बार के दौरे में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पांढुर्णा को जिला बनाने के लिए विचार विमर्श करने की बात भी कही थी, लेकिन 2023 के चुनाव के पहले से जिला बनाने की घोषणा सीएम कर सकते हैं. इसकी चर्चाएं भी अब जोरों पर है, क्योंकि पूर्व सीएम कमलनाथ को उनकी ही जिले में कमजोर करने के लिए बीजेपी कई तरीके से काम कर रहे हैं.

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पांढुर्णा का रिपोर्ट कार्ड

कुछ और सीट स्कैन यहां पढ़ें...

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नीलेश ऊइके, विधायक

महाराष्ट्र से लगा विधानसभा आरएसएस का भी है दबदबा: पांढुर्णा विधानसभा क्षेत्र महाराष्ट्र के नागपुर जिले से लगा हुआ है. महाराष्ट्रीयन कल्चर होने के कारण इस विधानसभा क्षेत्र में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का भी काफी दबदबा है. अगर चुनाव में विधानसभा के दावेदारों की बात की जाए तो वर्तमान विधायक नीलेश ऊइके के अलावा पूर्व विधायक जतन ऊइके कांग्रेस से मैदान में हैं. वहीं बीजेपी में पहले 2 चुनाव हार चुके टीकाराम कोराची के अलावा हाल ही में दमोह जिला न्यायालय के जज से इस्तीफा देकर भारतीय जनता पार्टी ज्वाइन किए प्रकाश भाऊ ऊइके भी पांढुर्णा से ही चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं. इसी के चलते उन्होंने इस्तीफा दे दिया है.

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