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छिंदवाड़ा की इन विधानसभा सीटों पर हमेशा रहा है सस्पेंस, ऐसी सीटों के मुकाबले में प्रत्याशियों के छूट गए थे पसीने - Chhindwara is the stronghold of Kamal Nath

Suspense in these assembly seats in Chhindwara: मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में कमलनाथ के गढ़ यानि छिंदवाड़ा में इस बार बीजेपी ने अपना किला फतह करने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है. नतीजों का इंतजार है और नजरें छिंदवाड़ा पर ही सबसे ज्यादा रहेंगी.जानकार बता रहे हैं कि जिले की 4 सीटों पर कांटे का मुकाबला है.पिछले कुछ मुकाबले भी रोचक रहे हैं जहां प्रत्याशियों के पसीने छूट गए थे.

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छिंदवाड़ा की इन विधानसभा में हमेशा रहा है सस्पेंस
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Dec 1, 2023, 2:59 PM IST

छिंदवाड़ा: महाकौशल की छिंदवाड़ा जिले की सीटों पर इस बार बीजेपी पैनी नजर गड़ाए हुए है. कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा में बीजेपी कितनी सेंधमारी कर पाएगी यह तो नतीजे तय करेंगे लेकिन इस साल के विधानसभा चुनाव में जिले की 7 सीटों में से 4 सीटों पर मुकाबला दिलचस्प होने जा रहा है. राजनीतिक दलों और प्रत्याशियों के दावों पर भरोसा करें तो इस बार चौरई, परासिया, पांढुर्ना और सौंसर में जीत-हार का अंतर कम हो सकता है.

इन सीटों पर ऐसे तय हुई थी हार-जीत: करीबी मुकाबलों का ट्रैक रिकार्ड देखें तो वर्ष 2008 के चुनाव में काउंटिंग फिर री-काउंटिंग यानी एक-एक वोट पर प्रत्याशियों और उनके एजेंटों को नजर गड़ानी पड़ी थी. परासिया, जामई और अमरवाड़ा विधानसभा ऐसी सीट थीं जहां प्रत्याशियों के पसीने छूट गए थे. नतीजे भी 93 वोट, 194 वोट और 434 वोट के तौर पर सामने आए थे.

परासिया में ताराचंद बावरिया और सोहनलाल वाल्मिक के बीच मुकाबले में महज 93 वोट से ताराचंद ने बाजी मारी थी. जामई में पूर्व मंत्री तेजीलाल सरेयाम को नत्थनशाह की बेहद कड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ा था. तेजीलाल सिर्फ 194 वोट से जीत पाए थे. वहीं अमरवाड़ा में पूर्व मंत्री प्रेम नारायण ठाकुर को त्रिकोणीय मुकाबले में गोंडवाना पार्टी के मनमोहन शाह बट्टी ने कांटे की टक्कर दी थी. प्रेम नारायण 434 वोट से जीत पाए थे.

रास्ते से लौटे प्रमाण पत्र लेने: साल 2008 के चुनाव में पहली बार कड़े मुकाबले का सामना कर रहे पूर्व मंत्री और भाजपा प्रत्याशी प्रेम नारायण ठाकुर ने मायूस होकर काउंटिंग स्थल छोड़ दिया था. वे लौटकर अमरवाड़ा निकल गए थे. नेक-टू-नेक वाले इस मुकाबले में आखिर में उन्हें 434 वोट से जीत मिली. रास्ते में जीत की सूचना पाकर लौटे और प्रमाणपत्र लिया था.

धरी रह गईं जश्न की तैयारियां: 2013 के चुनाव में लगभग यही स्थिति कांग्रेस के कमलेश शाह की बनी थी हालांकि वे अंतिम दौर में 4 हजार से अधिक वोटों से जीत गए थे. परासिया विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी सोहन वाल्मिक के समर्थकों ने वर्ष 2008 के चुनाव में लगातार मिल रही बढ़त पर जश्न की तैयारियां कर ली थीं. बाजेगाजों का शोर काउंटिंग स्थल पर गूंजने लगा था.आखिरी दौर में ताराचंद बावरिया ने 93 वोटों से बाजी मार ली थी. यही स्थिति जुन्नारदेव से भाजपा प्रत्याशी नत्थनशाह को लेकर भी बनी थी. उनके समर्थकों ने भी जश्न की तैयारी कर ली थी लेकिन अंत में उन्हें 194 वोटों से शिकस्त का सामना करना पड़ा था.

अब तक के सबसे रोचक मुकाबलों पर नजर:

परासिया विधानसभा

  • 1957- काशीप्रसाद ने महज 1912 वोट के अंतर से फूलभान शाह को हराया.
  • 1977- दामू पाटिल ने सिर्फ 1139 वोट से गंगादीन बाबू को मात दी थी.
  • 1993- हरिनारायण डेहरिया 405 मतों के अंतर से जीतकर विधायक बने थे.
  • 2008- ताराचंद बाबरिया ने सोहन वाल्मिक को 93 वोट के मामूली अंतर से हराया था.

अमरवाड़ा विधानसभा

  • 1967- भारतीय जनसंघ के प्रत्याशी शंकर सिंह ठाकुर ने 674 वोट के अंतर से कांग्रेस के उदयभान शाह को शिकस्त दी थी.
  • 1977- कांग्रेस के दखन शाह ठाकुर ने जनता पार्टी प्रत्याशी को महज 373 वोट से मात दी थी.
  • 1990- भाजपा की लहर के बावजूद भाजपा के मेहमान शाह निर्दलीय प्रेम नारायण को 1117 वोट से हरा पाए थे.
  • 2008- भाजपा के प्रेमनारायण ठाकुर ने गोंगपा के मनमोहन शाह बट्टी को महज 434 वोट से मात दी थी.

सौंसर विधानसभा

  • 1957- रायचंद भाई ने रंचू सिंह को कांटे के मुकाबले में 1263 मतों से शिकस्त दी थी.
  • 2008- नानाभाऊ मोहोड़ महज 2880 वोटों से जीत पाए थे.

चौरई विधानसभा

  • 1962-थान सिंह हंसा ने नोखेलाल को महज 1581 वोटों के अंतर से हराया था.
  • 1985-कांग्रेस के बैजनाथ सक्सेना ने भाजपा के प्रतुलचंद द्विवेदी को 1324 वोटों से हराया था.

जामई विधानसभा

  • 2008 में कांग्रेस प्रत्याशी तेजीलाल सरेयाम ने भाजपा प्रत्याशी नत्थन शाह कवरेती को 194 वोट से शिकस्त दी थी.

छिंदवाड़ा विधानसभा

  • 1985- कांग्रेस की कमलेश्वरी शुक्ला ने भाजपा के कुबेर सिंह चौधरी को 539 मतों से हरा दिया था.

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छिंदवाड़ा: महाकौशल की छिंदवाड़ा जिले की सीटों पर इस बार बीजेपी पैनी नजर गड़ाए हुए है. कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा में बीजेपी कितनी सेंधमारी कर पाएगी यह तो नतीजे तय करेंगे लेकिन इस साल के विधानसभा चुनाव में जिले की 7 सीटों में से 4 सीटों पर मुकाबला दिलचस्प होने जा रहा है. राजनीतिक दलों और प्रत्याशियों के दावों पर भरोसा करें तो इस बार चौरई, परासिया, पांढुर्ना और सौंसर में जीत-हार का अंतर कम हो सकता है.

इन सीटों पर ऐसे तय हुई थी हार-जीत: करीबी मुकाबलों का ट्रैक रिकार्ड देखें तो वर्ष 2008 के चुनाव में काउंटिंग फिर री-काउंटिंग यानी एक-एक वोट पर प्रत्याशियों और उनके एजेंटों को नजर गड़ानी पड़ी थी. परासिया, जामई और अमरवाड़ा विधानसभा ऐसी सीट थीं जहां प्रत्याशियों के पसीने छूट गए थे. नतीजे भी 93 वोट, 194 वोट और 434 वोट के तौर पर सामने आए थे.

परासिया में ताराचंद बावरिया और सोहनलाल वाल्मिक के बीच मुकाबले में महज 93 वोट से ताराचंद ने बाजी मारी थी. जामई में पूर्व मंत्री तेजीलाल सरेयाम को नत्थनशाह की बेहद कड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ा था. तेजीलाल सिर्फ 194 वोट से जीत पाए थे. वहीं अमरवाड़ा में पूर्व मंत्री प्रेम नारायण ठाकुर को त्रिकोणीय मुकाबले में गोंडवाना पार्टी के मनमोहन शाह बट्टी ने कांटे की टक्कर दी थी. प्रेम नारायण 434 वोट से जीत पाए थे.

रास्ते से लौटे प्रमाण पत्र लेने: साल 2008 के चुनाव में पहली बार कड़े मुकाबले का सामना कर रहे पूर्व मंत्री और भाजपा प्रत्याशी प्रेम नारायण ठाकुर ने मायूस होकर काउंटिंग स्थल छोड़ दिया था. वे लौटकर अमरवाड़ा निकल गए थे. नेक-टू-नेक वाले इस मुकाबले में आखिर में उन्हें 434 वोट से जीत मिली. रास्ते में जीत की सूचना पाकर लौटे और प्रमाणपत्र लिया था.

धरी रह गईं जश्न की तैयारियां: 2013 के चुनाव में लगभग यही स्थिति कांग्रेस के कमलेश शाह की बनी थी हालांकि वे अंतिम दौर में 4 हजार से अधिक वोटों से जीत गए थे. परासिया विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी सोहन वाल्मिक के समर्थकों ने वर्ष 2008 के चुनाव में लगातार मिल रही बढ़त पर जश्न की तैयारियां कर ली थीं. बाजेगाजों का शोर काउंटिंग स्थल पर गूंजने लगा था.आखिरी दौर में ताराचंद बावरिया ने 93 वोटों से बाजी मार ली थी. यही स्थिति जुन्नारदेव से भाजपा प्रत्याशी नत्थनशाह को लेकर भी बनी थी. उनके समर्थकों ने भी जश्न की तैयारी कर ली थी लेकिन अंत में उन्हें 194 वोटों से शिकस्त का सामना करना पड़ा था.

अब तक के सबसे रोचक मुकाबलों पर नजर:

परासिया विधानसभा

  • 1957- काशीप्रसाद ने महज 1912 वोट के अंतर से फूलभान शाह को हराया.
  • 1977- दामू पाटिल ने सिर्फ 1139 वोट से गंगादीन बाबू को मात दी थी.
  • 1993- हरिनारायण डेहरिया 405 मतों के अंतर से जीतकर विधायक बने थे.
  • 2008- ताराचंद बाबरिया ने सोहन वाल्मिक को 93 वोट के मामूली अंतर से हराया था.

अमरवाड़ा विधानसभा

  • 1967- भारतीय जनसंघ के प्रत्याशी शंकर सिंह ठाकुर ने 674 वोट के अंतर से कांग्रेस के उदयभान शाह को शिकस्त दी थी.
  • 1977- कांग्रेस के दखन शाह ठाकुर ने जनता पार्टी प्रत्याशी को महज 373 वोट से मात दी थी.
  • 1990- भाजपा की लहर के बावजूद भाजपा के मेहमान शाह निर्दलीय प्रेम नारायण को 1117 वोट से हरा पाए थे.
  • 2008- भाजपा के प्रेमनारायण ठाकुर ने गोंगपा के मनमोहन शाह बट्टी को महज 434 वोट से मात दी थी.

सौंसर विधानसभा

  • 1957- रायचंद भाई ने रंचू सिंह को कांटे के मुकाबले में 1263 मतों से शिकस्त दी थी.
  • 2008- नानाभाऊ मोहोड़ महज 2880 वोटों से जीत पाए थे.

चौरई विधानसभा

  • 1962-थान सिंह हंसा ने नोखेलाल को महज 1581 वोटों के अंतर से हराया था.
  • 1985-कांग्रेस के बैजनाथ सक्सेना ने भाजपा के प्रतुलचंद द्विवेदी को 1324 वोटों से हराया था.

जामई विधानसभा

  • 2008 में कांग्रेस प्रत्याशी तेजीलाल सरेयाम ने भाजपा प्रत्याशी नत्थन शाह कवरेती को 194 वोट से शिकस्त दी थी.

छिंदवाड़ा विधानसभा

  • 1985- कांग्रेस की कमलेश्वरी शुक्ला ने भाजपा के कुबेर सिंह चौधरी को 539 मतों से हरा दिया था.

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