छिंदवाड़ा। जिले के हरदुआ में संचालित होने वाले पांचवीं तक के सरकारी स्कूल में 2 शिक्षक हैं. एक शिक्षक को निर्वाचन कार्य में बूथ लेवल ऑफिसर बनाया गया है. जिसकी वजह से वे अधिकतर स्कूल से बाहर रहते हैं तो वहीं दूसरी शिक्षिका मेडिकल अवकाश पर हैं. इसी वजह से अब बच्चों को चपरासी पढ़ाते हैं.
30 बच्चों पर एक टीचर होना चाहिए : स्कूल के शिक्षक का कहना है कि यहां कम से कम 5 टीचर होने चाहिए लेकिन मजबूरी में हमें चपरासियों के भरोसे बच्चों को पढ़ाना पड़ता है. जनजातीय कार्य विभाग के सहायक आयुक्त एनएस वरकडे का कहना है कि स्कूलों में शिक्षकों की कमी है. इसकी वजह से पढ़ाई प्रभावित हो रही है. शिक्षकों की नियुक्ति के लिए प्रस्ताव बनाकर प्रशासन को भेजा जा चुका है, लेकिन शासन स्तर पर अभी नियुक्ति नहीं हुई है. इसकी वजह से कई स्कूलों में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
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अन्य काम में लगाते हैं शिक्षकों को : नियम कहता है कि स्कूल में करीब 150 बच्चे होने पर 5 टीचर होने चाहिए. सरकारी नियम के मुताबिक 30 बच्चों पर एक शिक्षक की नियुक्ति होती है, यहां पर करीब 150 बच्चे हैं लेकिन टीचर सिर्फ दो हैं. उसमे भी एक छुट्टी पर है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि आदिवासी अंचलों में बच्चों का भविष्य किस तरीके से संवर रहा है. शिक्षकों का कहना है कि पढ़ाई के अलावा उन्हें इतने ज्यादा प्रशासनिक कामों में लगा दिया जाता है वे बच्चों को पढ़ा नहीं पाते. MP Shortage teachers, Government schools tribal areas, Education based on peons