ETV Bharat / state

Chhindwara News आदिवासी अंचलों के शासकीय स्कूलों में टीचर्स का भारी अभाव, चपरासी के भरोसे पढ़ाई व्यवस्था - छिंदवाड़ा जिले शिक्षकों की भारी कमी

छिंदवाड़ा जिले के आदिवासी अंचल के स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी है. हालत यह है कि स्कूल चपरासी के भरोसे चल रहे हैं. ऐसा ही नजारा देखने को मिला हरदुआ माल के सरकारी स्कूल में. जहां पर पांचवीं क्लास तक महज एक शिक्षक ही है. इसलिए स्कूल में चपरासी बच्चों को पढ़ाते नजर आते हैं. MP Shortage teachers, Government schools tribal areas, Education based on peons

MP Shortage teachers
शासकीय स्कूलों में टीचर्स का भारी अभाव
author img

By

Published : Sep 21, 2022, 3:16 PM IST

छिंदवाड़ा। जिले के हरदुआ में संचालित होने वाले पांचवीं तक के सरकारी स्कूल में 2 शिक्षक हैं. एक शिक्षक को निर्वाचन कार्य में बूथ लेवल ऑफिसर बनाया गया है. जिसकी वजह से वे अधिकतर स्कूल से बाहर रहते हैं तो वहीं दूसरी शिक्षिका मेडिकल अवकाश पर हैं. इसी वजह से अब बच्चों को चपरासी पढ़ाते हैं.

शासकीय स्कूलों में टीचर्स का भारी अभाव

30 बच्चों पर एक टीचर होना चाहिए : स्कूल के शिक्षक का कहना है कि यहां कम से कम 5 टीचर होने चाहिए लेकिन मजबूरी में हमें चपरासियों के भरोसे बच्चों को पढ़ाना पड़ता है. जनजातीय कार्य विभाग के सहायक आयुक्त एनएस वरकडे का कहना है कि स्कूलों में शिक्षकों की कमी है. इसकी वजह से पढ़ाई प्रभावित हो रही है. शिक्षकों की नियुक्ति के लिए प्रस्ताव बनाकर प्रशासन को भेजा जा चुका है, लेकिन शासन स्तर पर अभी नियुक्ति नहीं हुई है. इसकी वजह से कई स्कूलों में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

छिंदवाड़ा जिले में ढाई हजार से ज्यादा ऐसे सरकारी स्कूल जहां न बिजली और न पीने का पानी

अन्य काम में लगाते हैं शिक्षकों को : नियम कहता है कि स्कूल में करीब 150 बच्चे होने पर 5 टीचर होने चाहिए. सरकारी नियम के मुताबिक 30 बच्चों पर एक शिक्षक की नियुक्ति होती है, यहां पर करीब 150 बच्चे हैं लेकिन टीचर सिर्फ दो हैं. उसमे भी एक छुट्टी पर है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि आदिवासी अंचलों में बच्चों का भविष्य किस तरीके से संवर रहा है. शिक्षकों का कहना है कि पढ़ाई के अलावा उन्हें इतने ज्यादा प्रशासनिक कामों में लगा दिया जाता है वे बच्चों को पढ़ा नहीं पाते. MP Shortage teachers, Government schools tribal areas, Education based on peons

छिंदवाड़ा। जिले के हरदुआ में संचालित होने वाले पांचवीं तक के सरकारी स्कूल में 2 शिक्षक हैं. एक शिक्षक को निर्वाचन कार्य में बूथ लेवल ऑफिसर बनाया गया है. जिसकी वजह से वे अधिकतर स्कूल से बाहर रहते हैं तो वहीं दूसरी शिक्षिका मेडिकल अवकाश पर हैं. इसी वजह से अब बच्चों को चपरासी पढ़ाते हैं.

शासकीय स्कूलों में टीचर्स का भारी अभाव

30 बच्चों पर एक टीचर होना चाहिए : स्कूल के शिक्षक का कहना है कि यहां कम से कम 5 टीचर होने चाहिए लेकिन मजबूरी में हमें चपरासियों के भरोसे बच्चों को पढ़ाना पड़ता है. जनजातीय कार्य विभाग के सहायक आयुक्त एनएस वरकडे का कहना है कि स्कूलों में शिक्षकों की कमी है. इसकी वजह से पढ़ाई प्रभावित हो रही है. शिक्षकों की नियुक्ति के लिए प्रस्ताव बनाकर प्रशासन को भेजा जा चुका है, लेकिन शासन स्तर पर अभी नियुक्ति नहीं हुई है. इसकी वजह से कई स्कूलों में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

छिंदवाड़ा जिले में ढाई हजार से ज्यादा ऐसे सरकारी स्कूल जहां न बिजली और न पीने का पानी

अन्य काम में लगाते हैं शिक्षकों को : नियम कहता है कि स्कूल में करीब 150 बच्चे होने पर 5 टीचर होने चाहिए. सरकारी नियम के मुताबिक 30 बच्चों पर एक शिक्षक की नियुक्ति होती है, यहां पर करीब 150 बच्चे हैं लेकिन टीचर सिर्फ दो हैं. उसमे भी एक छुट्टी पर है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि आदिवासी अंचलों में बच्चों का भविष्य किस तरीके से संवर रहा है. शिक्षकों का कहना है कि पढ़ाई के अलावा उन्हें इतने ज्यादा प्रशासनिक कामों में लगा दिया जाता है वे बच्चों को पढ़ा नहीं पाते. MP Shortage teachers, Government schools tribal areas, Education based on peons

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.