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छिंदवाड़ा जिला अस्पताल में मीडिया की कवरेज पर लगी रोक, नाकामियां छुपाने की कोशिश! - छिंदवाड़ा जिला अस्पताल

मध्यप्रदेश में स्वास्थ्य सेवाएं किस हद तक बदहाल हो चुकी हैं, ये किसी से छुपा नहीं है, चाहें शहडोल जिला अस्पताल में बच्चों की मौत का मामला हो, या हमीदिया अस्पताल में बिजली गुल होने का, ऐसे में जब ईटीवी भारत की टीम जिला अस्पताल पहुंची, तो अस्पताल प्रबंधन ने मीडिया को कवरेज करने से रोक दिया.

Chhindwara District Hospital
छिंदवाड़ा जिला अस्पताल
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Published : Dec 14, 2020, 1:22 PM IST

Updated : Dec 14, 2020, 1:34 PM IST

छिंदवाड़ा। शहडोल जिला अस्पताल में लगातार बच्चों की मौत का मामला हो या फिर भोपाल के हमीदिया अस्पताल में बिजली गुल हो जाने से कोरोना मरीजों की मौत. इन घटनाओं के बाद प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्थाएं सवालों के घेरे में हैं. पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर निशाना साधते हुए प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था के हालात बद से बत्तर बताया है. जब ईटीवी भारत ने अस्पताल की हकीकत जानने की कोशिश की तो छिंदवाड़ा जिला अस्पताल में मीडिया के कवरेज पर रोक लगा दी गई. इतना ही नहीं पुलिस बुलाने की धमकी भी दी. छिंदवाड़ा जिला अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल है, यहां इलाज तो दूर की बात मरीजों के स्ट्रेचर उठाने के लिए कर्मचारी तक नहीं मिलते, परिजनों को खुद ही एंबुलेंस से मरीजों को अस्पताल के अंदर ले जाना पड़ता है.

जिला अस्पताल में मीडिया कवरेज पर रोक
  • वेंटिलेटर पर स्वास्थ्य सेवाएं, स्ट्रेचर उठाने के लिए कर्मचारी तक नहीं

छिंदवाड़ा जिला अस्पताल की हकीकत जाने जानने जब ईटीवी भारत पहुंचा तो गेट पर ही गंभीर अवस्था में स्ट्रेचर पर लेटे मरीज को उसके परिजन खुद ही ले जा रहे थे. जब इस मामले में ईटीवी भारत ने परिजनों से पूछा तो उनका कहना था की बहुत देर से डॉक्टरों से बोल रहे थे कि मरीज की जांच कराना है. इसके लिए दूसरे रूम में ले जाना था, लेकिन कोई कर्मचारी नहीं आया. इसलिए खुद ही स्ट्रेचर लेकर जा रहे हैं.

  • मीडिया कवरेज पर लगाई गई रोक

वहीं जब ईटीवी भारत की टीम जिला अस्पताल के अंदर गई तो कर्मचारियों ने कवरेज से रोका. इस बारे में जब ड्यूटी कर रहे कर्मचारियों से पूछा तो बताया गया कि सिविल सर्जन डॉ. पी गोगिया ने कवरेज करने से मना किया है.

  • पुलिस को बुलाने की दी जाती है धमकी

मीडिया के कवरेज पर रोक लगाने के मामले में जब ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर से पूछा तो उन्होंने भी मीडिया से बात करने से मना कर दिया और मीडिया को अस्पताल परिसर से बाहर जाने को कहा. इतना ही नहीं उन्होंने तो पुलिस बुलाने तक की धमकी दे डाली.

प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था बदहाल स्थिति में जा रही है और ऐसे में जिला अस्पताल में मीडिया पर प्रतिबंध किसी तानाशाही से कम नहीं है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधा की हालत क्या होगी. ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि जिला अस्पताल अपनी नाकामियों को छुपाने की कोशिश कर रहा है.

छिंदवाड़ा। शहडोल जिला अस्पताल में लगातार बच्चों की मौत का मामला हो या फिर भोपाल के हमीदिया अस्पताल में बिजली गुल हो जाने से कोरोना मरीजों की मौत. इन घटनाओं के बाद प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्थाएं सवालों के घेरे में हैं. पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर निशाना साधते हुए प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था के हालात बद से बत्तर बताया है. जब ईटीवी भारत ने अस्पताल की हकीकत जानने की कोशिश की तो छिंदवाड़ा जिला अस्पताल में मीडिया के कवरेज पर रोक लगा दी गई. इतना ही नहीं पुलिस बुलाने की धमकी भी दी. छिंदवाड़ा जिला अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल है, यहां इलाज तो दूर की बात मरीजों के स्ट्रेचर उठाने के लिए कर्मचारी तक नहीं मिलते, परिजनों को खुद ही एंबुलेंस से मरीजों को अस्पताल के अंदर ले जाना पड़ता है.

जिला अस्पताल में मीडिया कवरेज पर रोक
  • वेंटिलेटर पर स्वास्थ्य सेवाएं, स्ट्रेचर उठाने के लिए कर्मचारी तक नहीं

छिंदवाड़ा जिला अस्पताल की हकीकत जाने जानने जब ईटीवी भारत पहुंचा तो गेट पर ही गंभीर अवस्था में स्ट्रेचर पर लेटे मरीज को उसके परिजन खुद ही ले जा रहे थे. जब इस मामले में ईटीवी भारत ने परिजनों से पूछा तो उनका कहना था की बहुत देर से डॉक्टरों से बोल रहे थे कि मरीज की जांच कराना है. इसके लिए दूसरे रूम में ले जाना था, लेकिन कोई कर्मचारी नहीं आया. इसलिए खुद ही स्ट्रेचर लेकर जा रहे हैं.

  • मीडिया कवरेज पर लगाई गई रोक

वहीं जब ईटीवी भारत की टीम जिला अस्पताल के अंदर गई तो कर्मचारियों ने कवरेज से रोका. इस बारे में जब ड्यूटी कर रहे कर्मचारियों से पूछा तो बताया गया कि सिविल सर्जन डॉ. पी गोगिया ने कवरेज करने से मना किया है.

  • पुलिस को बुलाने की दी जाती है धमकी

मीडिया के कवरेज पर रोक लगाने के मामले में जब ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर से पूछा तो उन्होंने भी मीडिया से बात करने से मना कर दिया और मीडिया को अस्पताल परिसर से बाहर जाने को कहा. इतना ही नहीं उन्होंने तो पुलिस बुलाने तक की धमकी दे डाली.

प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था बदहाल स्थिति में जा रही है और ऐसे में जिला अस्पताल में मीडिया पर प्रतिबंध किसी तानाशाही से कम नहीं है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधा की हालत क्या होगी. ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि जिला अस्पताल अपनी नाकामियों को छुपाने की कोशिश कर रहा है.

Last Updated : Dec 14, 2020, 1:34 PM IST
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