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लॉकडाउन में स्कूल के मैदान में उगाई मक्का, अब आमदनी से होगा सौंदर्यीकरण

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Published : Oct 16, 2021, 9:45 AM IST

लॉकडाउन में बंद पड़े स्कूल में शिक्षकों ने मक्के की खेती कर एक नवाचार प्रस्तुत किया है. अब इस फसल के बिकने से जो आमदनी होगी उससे स्कूल का सौंदर्यीकरण होगा.

farming in school
स्कूल में खेती

छिंदवाड़ा। लॉकडाउन में भले ही स्कूल बंद (School Closed in Lockdown) थे, लेकिन स्कूल को सजाने-संवारने के लिए सारंगबिहरी के शिक्षकों ने खाली पड़ी जमीन पर मक्के की फसल लगाई. ताकि उस से आने वाली आमदनी से स्कूल का सौंदर्यीकरण (government school beautification) कर सकें.

स्कूल में उगाई फसल.

स्कूल में लगाई मक्के की फसल
स्कूल के शिक्षकों का कहना है कि स्कूल परिसर में करीब 6 एकड़ जमीन है, जिसमें आधी जमीन पर बारिश के मौसम में पानी भर जाता है. आधी जमीन बच्चों के खेलने के काम आती है. स्कूल ग्राउंड में करीब ढाई सौ पौधों का रोपण किया गया है, लेकिन जमीन खाली रहने की वजह से मवेशी उन पौधों को नुकसान पहुंचाते थे. लॉकडाउन के दौरान शिक्षकों ने सोचा कि इस खाली जमीन पर फसल लगाई जाए, जिससे पौधे भी बच जाएंगे और स्कूल की आमदनी भी हो जाएगी.

आमदनी से स्कूल का करेंगे सौंदर्यीकरण
शिक्षकों ने ईटीवी भारत को बताया स्कूल में सभी शिक्षकों ने आपस में चंदा कर करीब सवा एकड़ जमीन में मक्के के बीज लगाए हैं. फसल के लिए खाद पानी का इंतजाम भी किया गया था. अब फसल पककर तैयार है. मक्का को बिकने के बाद जो आमदनी होगी उससे स्कूल का सौंदर्यीकरण किया जाएगा.

लोगों ने किया था विरोध
शिक्षकों का कहना है कि जब आपस में शिक्षक और गांव के सरपंच ने मिलकर इस बात पर सहमति बनाई, तो कुछ लोगों ने इसका विरोध भी किया. हालांकि गांव के स्कूल के कायाकल्प और गांव के स्कूल प्रांगण में पौधरोपण के बाद उनका संरक्षण हो सके इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए कदम उठाया गया. अब फसल पककर तैयार है.

प्रैक्टिकल के भी काम आ रहा है नवाचार
यहां कक्षा पहली से बारहवीं तक कुल 530 विद्यार्थी पढ़ते हैं. कक्षा 11वीं और 12वीं में आर्ट्स, कॉमर्स, एग्रीकल्चर, विज्ञान संकाय हैं. स्कूल में कुल 18 कमरे हैं यहां पर नियमित 14 शिक्षक और 8 अतिथि शिक्षक हैं. यह नवाचार एग्रीकल्चर संकाय के विद्यार्थियों के प्रैक्टिकल के काम आ रहा है.

यह है MP का सरकारी स्कूल, निजी स्कूलों को दे रहा है मात, यहां है 90 स्मार्ट क्लास रूम, कई सारी हैं खूबियां

शासकीय स्कूलों की मरम्मत या फिर सौंदर्यीकरण के लिए शासकीय बजट पर निर्भर रहा जाता है, लेकिन शासकीय उच्चतर माध्यमिक स्कूल सारंगबिहरी के शिक्षकों ने पहल करते हुए स्कूल के सौंदर्यीकरण में होने वाले खर्च के लिए राशि का इंतजाम किया है. इससे साफ जाहिर है कि अगर आपके पास कुछ करने की इच्छा हो तो उसे आसानी से बिना किसी सरकारी सहयोग के भी किया जा सकता है.

छिंदवाड़ा। लॉकडाउन में भले ही स्कूल बंद (School Closed in Lockdown) थे, लेकिन स्कूल को सजाने-संवारने के लिए सारंगबिहरी के शिक्षकों ने खाली पड़ी जमीन पर मक्के की फसल लगाई. ताकि उस से आने वाली आमदनी से स्कूल का सौंदर्यीकरण (government school beautification) कर सकें.

स्कूल में उगाई फसल.

स्कूल में लगाई मक्के की फसल
स्कूल के शिक्षकों का कहना है कि स्कूल परिसर में करीब 6 एकड़ जमीन है, जिसमें आधी जमीन पर बारिश के मौसम में पानी भर जाता है. आधी जमीन बच्चों के खेलने के काम आती है. स्कूल ग्राउंड में करीब ढाई सौ पौधों का रोपण किया गया है, लेकिन जमीन खाली रहने की वजह से मवेशी उन पौधों को नुकसान पहुंचाते थे. लॉकडाउन के दौरान शिक्षकों ने सोचा कि इस खाली जमीन पर फसल लगाई जाए, जिससे पौधे भी बच जाएंगे और स्कूल की आमदनी भी हो जाएगी.

आमदनी से स्कूल का करेंगे सौंदर्यीकरण
शिक्षकों ने ईटीवी भारत को बताया स्कूल में सभी शिक्षकों ने आपस में चंदा कर करीब सवा एकड़ जमीन में मक्के के बीज लगाए हैं. फसल के लिए खाद पानी का इंतजाम भी किया गया था. अब फसल पककर तैयार है. मक्का को बिकने के बाद जो आमदनी होगी उससे स्कूल का सौंदर्यीकरण किया जाएगा.

लोगों ने किया था विरोध
शिक्षकों का कहना है कि जब आपस में शिक्षक और गांव के सरपंच ने मिलकर इस बात पर सहमति बनाई, तो कुछ लोगों ने इसका विरोध भी किया. हालांकि गांव के स्कूल के कायाकल्प और गांव के स्कूल प्रांगण में पौधरोपण के बाद उनका संरक्षण हो सके इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए कदम उठाया गया. अब फसल पककर तैयार है.

प्रैक्टिकल के भी काम आ रहा है नवाचार
यहां कक्षा पहली से बारहवीं तक कुल 530 विद्यार्थी पढ़ते हैं. कक्षा 11वीं और 12वीं में आर्ट्स, कॉमर्स, एग्रीकल्चर, विज्ञान संकाय हैं. स्कूल में कुल 18 कमरे हैं यहां पर नियमित 14 शिक्षक और 8 अतिथि शिक्षक हैं. यह नवाचार एग्रीकल्चर संकाय के विद्यार्थियों के प्रैक्टिकल के काम आ रहा है.

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शासकीय स्कूलों की मरम्मत या फिर सौंदर्यीकरण के लिए शासकीय बजट पर निर्भर रहा जाता है, लेकिन शासकीय उच्चतर माध्यमिक स्कूल सारंगबिहरी के शिक्षकों ने पहल करते हुए स्कूल के सौंदर्यीकरण में होने वाले खर्च के लिए राशि का इंतजाम किया है. इससे साफ जाहिर है कि अगर आपके पास कुछ करने की इच्छा हो तो उसे आसानी से बिना किसी सरकारी सहयोग के भी किया जा सकता है.

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