छिंदवाड़ा। पिछली कमलनाथ सरकार के काफी प्रयासों के बाद भी प्रदेश में सबसे ज्यादा मक्का उत्पादन करने वाले छिंदवाड़ा जिले के किसान मक्के की फसल उगाकर पछता रहे हैं. मक्के का सही भाव नहीं मिलने के चलते किसानों ने पिछले साल के मक्के की गहानी नहीं की है, जबकि नया मक्का लगने का समय आ गया है. जिसकी वजह से आज भी किसानों के खेतों में पुराना मक्का पड़ा सड़ रहा है, जिस कारण छिंदवाड़ा का अन्नदाता अब मक्के की फसल उगाकर खुद को कोस रहा है.
कॉर्न सिटी में मक्का किसान परेशान पुरानी फसल अब भी खलिहानों में पड़ी
मई और जून के महीने में खरीफ के दौरान छिंदवाड़ा जिले में किसान मक्के की फसल लगाना शुरु कर देते हैं, लेकिन हालात ये हैं कि अभी तक किसानों ने पिछले साल की फसल खेत खलिहान से नहीं हटाई है. किसानों का कहना है कि शुरुआत में मक्का 25 सौ रुपए क्विंटल तक बिकता था लेकिन अचानक भाव इतने कम हो गए कि अब एक हजार रुपये मिल पाना भी मुस्किल हो गया है. इसकी वजह से लागत मूल्य निकलना भी मुश्किल हो रहा है तो गहानी करके किसान और घाटे में जा रहे हैं.
सबसे अधिक मक्का उत्पादन करता है छिंदवाड़ासरकारी आंकड़ों पर नजर डालें तो मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा मक्का उत्पादन करने वाला जिला छिंदवाड़ा है और देश में इकलौता मक्का महोत्सव यानी कॉर्न फेस्टिवल भी छिंदवाड़ा में ही होता है. जिसकी वजह से छिंदवाड़ा को कॉर्न सिटी के नाम से भी जाना जाता है.
मक्का 10 रुपए और बीज के दाम 500 सौ रुपए किलोखरीफ की फसल में छिंदवाड़ा का किसान सबसे ज्यादा मक्का लगाता है. इस दौरान बाजार में बिकने वाले हाइब्रिड मक्के के दाम 300 रुपये किलो से लेकर 500 रुपये किलो तक होते हैं, जिसे खरीद कर किसान खेतों में लगाता है. लेकिन वहीं फसल पकने के बाद आप महज 10 रुपये किलो बिकने में तैयार है, जिसके चलते किसान अपने आप को ठगा महसूस कर रहा है.
किसानों के सामने बीज खरीदने का भी है संकटपिछले 8 महीनों से खेत खलिहान में पड़ी मक्के की फसल के भाव कम होने की वजह से अब किसानों के सामने नई फसल बोने के लिए बीज और खाद खरीदने के लिए भी संकट पैदा हो रहा है दरअसल पिछला अनाज बिका नहीं है जिसके चलते किसान नया बीज कैसे खरीदेगा.