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सीएम कमलनाथ के गृहजिले में मरीजों को नहीं मिल रहा इलाज, स्वास्थ्य सुविधाओं का है बुरा हाल

छिंदवाड़ा में स्वास्थ्य सुविधाओं का बुरा हाल है. डॉक्टरों की कमी के चलते जिला अस्पताल से मरीजों को नागरपुर रेफर किया जाता है.

डॉक्टरों की कमी
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Published : Jul 31, 2019, 4:41 AM IST

छिंदवाड़ा। भले ही मुख्यमंत्री कमलनाथ छिंदवाड़ा में विश्वस्तरीय स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने का दावा कर रहे हैं, लेकिन उनके ही गृह जिले के मरीज भाजपा शासित महाराष्ट्र राज्य के भरोसे हैं. जिला अस्पताल से हर रोज 6 से 7 मरीज नागपुर के लिए रेफर किए जाते हैं, जबकि ग्रामीण अंचलों से सैकड़ों मरीज इलाज के लिए नागपुर जाते हैं.

छिंदवाड़ा में स्वास्थ्य सुविधाओं का है बुरा हाल

संसाधनों की कमी के चलते नागपुर का रुख करते हैं मरीज
सिविल सर्जन डॉक्टर सुशील राठी का कहना है कि संसाधनों की कमी के चलते मरीज की बीमारी का जिला अस्पताल में सही पता नहीं लग पाता है. इसलिए मरीजों को रेफर करना पड़ता है. कुछ मामलों में मरीज यहां इलाज से संतुष्ट नहीं हो पाते हैं इसलिए वे खुद भी नागपुर की तरफ रुख करते हैं.

डॉक्टरों की कमी से भी जूझ रहा है जिला अस्पताल
जिला अस्पताल की व्यवस्था चरमराने का सबसे बड़ा कारण डॉक्टरों की कमी है. कहने को तो जिला अस्पताल में प्रथम श्रेणी के 37 डॉक्टरों के लिए पद स्वीकृत हैं, लेकिन यहां पर मात्र 18 डॉक्टर हैं और 19 पद खाली हैं, वहीं दूसरी श्रेणी के डॉक्टरों में 31 पद स्वीकृत हैं, जिसमें से 21 भरे हैं और10 खाली हैं.

कमलनाथ छिन्दवाड़ा से तो फड़नवीस नागपुर से हैं विधायक
इसे संयोग ही कहा जाएगा कि दोनों पड़ोसी राज्यों के मुख्यमंत्री पड़ोसी जिलों से ही विधायक हैं. मध्यप्रदेश के सीएम कमलनाथ छिंदवाड़ा विधानसभा का प्रतिनिधित्व करते हैं तो वहीं महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस नागपुर के दक्षिण-पश्चिम सीट से विधायक हैं.

छिंदवाड़ा। भले ही मुख्यमंत्री कमलनाथ छिंदवाड़ा में विश्वस्तरीय स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने का दावा कर रहे हैं, लेकिन उनके ही गृह जिले के मरीज भाजपा शासित महाराष्ट्र राज्य के भरोसे हैं. जिला अस्पताल से हर रोज 6 से 7 मरीज नागपुर के लिए रेफर किए जाते हैं, जबकि ग्रामीण अंचलों से सैकड़ों मरीज इलाज के लिए नागपुर जाते हैं.

छिंदवाड़ा में स्वास्थ्य सुविधाओं का है बुरा हाल

संसाधनों की कमी के चलते नागपुर का रुख करते हैं मरीज
सिविल सर्जन डॉक्टर सुशील राठी का कहना है कि संसाधनों की कमी के चलते मरीज की बीमारी का जिला अस्पताल में सही पता नहीं लग पाता है. इसलिए मरीजों को रेफर करना पड़ता है. कुछ मामलों में मरीज यहां इलाज से संतुष्ट नहीं हो पाते हैं इसलिए वे खुद भी नागपुर की तरफ रुख करते हैं.

डॉक्टरों की कमी से भी जूझ रहा है जिला अस्पताल
जिला अस्पताल की व्यवस्था चरमराने का सबसे बड़ा कारण डॉक्टरों की कमी है. कहने को तो जिला अस्पताल में प्रथम श्रेणी के 37 डॉक्टरों के लिए पद स्वीकृत हैं, लेकिन यहां पर मात्र 18 डॉक्टर हैं और 19 पद खाली हैं, वहीं दूसरी श्रेणी के डॉक्टरों में 31 पद स्वीकृत हैं, जिसमें से 21 भरे हैं और10 खाली हैं.

कमलनाथ छिन्दवाड़ा से तो फड़नवीस नागपुर से हैं विधायक
इसे संयोग ही कहा जाएगा कि दोनों पड़ोसी राज्यों के मुख्यमंत्री पड़ोसी जिलों से ही विधायक हैं. मध्यप्रदेश के सीएम कमलनाथ छिंदवाड़ा विधानसभा का प्रतिनिधित्व करते हैं तो वहीं महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस नागपुर के दक्षिण-पश्चिम सीट से विधायक हैं.

Intro:छिंदवाड़ा। भले ही मुख्यमंत्री कमलनाथ छिंदवाड़ा में विश्वस्तरीय स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने का दावा कर रहे हैं, लेकिन फिलहाल उनके जिले के मरीज भाजपा शासित महाराष्ट्र राज्य के भरोसे हैं, अकेले जिला अस्पताल से हर रोज 6 से 7 मरीज नागपुर के लिए रेफर किए जाते हैं इसके अलावा भी पूरे जिले से हर दिन सैकड़ों मरीज नागपुर में इलाज कराने जाते हैं।


Body:संसाधनों की कमी के चलते नागपुर का रुख करते हैं मरीज।

सिविल सर्जन डॉक्टर सुशील राठी का कहना है कि संसाधनों की कमी के चलते मरीज की बीमारी का जिला अस्पताल में सही पता नहीं लग पाता है इसलिए उन्हें रेफर करना पड़ता है या कुछ मामलों में मरीज यहां के इलाज से संतुष्ट नहीं हो पाते हैं इसलिए वे खुद भी नागपुर में ईलाज कराने की बात करते हैं।

नाथ छिन्दवाड़ा से तो फड़नवीस नागपुर से हैं विधायक।

इसे संयोग ही कहा जाएगा कि दोनों पड़ोसी राज्यों के मुख्यमंत्री पड़ोसी जिलों से ही विधायक हैं, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ छिंदवाड़ा विधानसभा का प्रतिनिधित्व करते हैं तो वहीं महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस नागपुर के दक्षिण-पश्चिम सीट से विधायक हैं।





Conclusion:डॉक्टरों की कमी से भी जूझ रहा है जिला अस्पताल।

जिला अस्पताल की व्यवस्था चरमराने का सबसे बड़ा कारण डॉक्टरों की कमी है कहने को तो जिला अस्पताल में प्रथम श्रेणी के 37 डॉक्टरों के लिए पद स्वीकृत हैं लेकिन यहां पर मात्र 18 डॉक्टर है और 19 पद खाली हैं वहीं दूसरी श्रेणी के डॉक्टरों में 31 पद स्वीकृत हैं जिसमें से 21 भरे हैं और 10 खाली हैं।
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