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न पानी, न शौचालय, न ढंग का स्कूल-अस्पताल, गोद लिए गांव में प्रकाश जावड़ेकर ने किया कैसा विकास ? - एमपी न्यूज

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री के गोद लिये गांव खंटिया में विकास के नाम पर खाना पूर्ति हुई है. जहां ना पर्याप्त पानी है, ना शौचालय है,ना स्कूल है और अस्पताल है. और तो और इस गांव की बेटियां पढ़ाई बीच में पढ़ाई छोडने के लिए मजबूर है.

प्रकाश जावड़ेकर के गांव का हाल
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Published : Mar 30, 2019, 3:26 PM IST

छिंदवाड़ा। बरसों से तरह-तरह की समस्याओं से जूझते गांवों को जब सांसद गोद लेते हैं तो एक उम्मीद जगती है कि अब इस गांव की तस्वीर और तकदीर दोनों ही बदल जाएगी, लेकिन जब जमीनी हकीकत सामने आती है, तो सारे वादों और दावों की पोल खुल जाती है.

Khantiya village of Prakash Javadekar
प्रकाश जावड़ेकर के गांव का हाल

ऐसा ही नजारा देखने को मिला छिंदवाड़ा के खुटिया गांव में. इस गांव को केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने गोद लिया था. उस वक्त लगा था कि इस गांव में विकास की नई इबारत लिखी जाएगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. यहां ना तो पर्याप्त पेयजल है, ना शौचालय है, ना पढ़ने के लिए ढंग का स्कूल है और ना इलाज कराने के लिए ढंग का कोई अस्पताल. इसके बावजूद सरकार के तय पैमानों पर खुटिया एक आदर्श गांव बन गया है.

मोदी सरकार की आदर्श योजना के तहत खुटिया गांव को एचआरडी मिनिस्टर प्रकाश जावडे़कर ने गोद तो ले लिया, लेकिन इसके बाद इसे भूल गए. केवल एक बार गांव जाकर उन्होंने हाजिरी जरूर लगा दी थी.

प्रकाश जावड़ेकर के गांव का हाल

भले ही मोदी सरकार की बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ योजना चल रही हो, लेकिन यहां बेटियां दसवीं से आगे पढ़ ही नहीं पाती हैं. इसका कारण ये है कि दसवीं से आगे पढ़ने के लिए गांव में स्कूल ही नहीं है. इसके कारण गांव की बेटियों की पढ़ाई बीच में ही छूट जाती है.

ग्रामीणों का कहना है कि जैसे ही केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इस गांव को गोद लिया था, तो उनके मन में उम्मीद जागी थी कि अब उनके गांव में सुधार होगा, लेकिन उन्हें नहीं पता था कि सुधार तो दूर की बात, यहां पर एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भी नहीं बन पाएगा.

छिंदवाड़ा। बरसों से तरह-तरह की समस्याओं से जूझते गांवों को जब सांसद गोद लेते हैं तो एक उम्मीद जगती है कि अब इस गांव की तस्वीर और तकदीर दोनों ही बदल जाएगी, लेकिन जब जमीनी हकीकत सामने आती है, तो सारे वादों और दावों की पोल खुल जाती है.

Khantiya village of Prakash Javadekar
प्रकाश जावड़ेकर के गांव का हाल

ऐसा ही नजारा देखने को मिला छिंदवाड़ा के खुटिया गांव में. इस गांव को केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने गोद लिया था. उस वक्त लगा था कि इस गांव में विकास की नई इबारत लिखी जाएगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. यहां ना तो पर्याप्त पेयजल है, ना शौचालय है, ना पढ़ने के लिए ढंग का स्कूल है और ना इलाज कराने के लिए ढंग का कोई अस्पताल. इसके बावजूद सरकार के तय पैमानों पर खुटिया एक आदर्श गांव बन गया है.

मोदी सरकार की आदर्श योजना के तहत खुटिया गांव को एचआरडी मिनिस्टर प्रकाश जावडे़कर ने गोद तो ले लिया, लेकिन इसके बाद इसे भूल गए. केवल एक बार गांव जाकर उन्होंने हाजिरी जरूर लगा दी थी.

प्रकाश जावड़ेकर के गांव का हाल

भले ही मोदी सरकार की बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ योजना चल रही हो, लेकिन यहां बेटियां दसवीं से आगे पढ़ ही नहीं पाती हैं. इसका कारण ये है कि दसवीं से आगे पढ़ने के लिए गांव में स्कूल ही नहीं है. इसके कारण गांव की बेटियों की पढ़ाई बीच में ही छूट जाती है.

ग्रामीणों का कहना है कि जैसे ही केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इस गांव को गोद लिया था, तो उनके मन में उम्मीद जागी थी कि अब उनके गांव में सुधार होगा, लेकिन उन्हें नहीं पता था कि सुधार तो दूर की बात, यहां पर एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भी नहीं बन पाएगा.

Intro:मोदी सरकार ने सांसद आदर्श ग्राम योजना बनाकर गांव की कायाकल्प करने का प्लान बनाया था सांसदों ने पिछड़े गांव को गोद तो लिया लेकिन महज औपचारिकता के लिए छिंदवाड़ा जिले में मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने भी खुटिया गांव को गोद लिया था लेकिन ग्रामीणों का कहना है की बदलाव तो नहीं आया लेकिन एक बार सांसद जी जरूर आए थे।


Body:दरअसल भाजपा का मानना था कि छिंदवाड़ा में उनकी पार्टी का निर्वाचित सांसद नहीं है जिसकी वजह से केंद्र की योजनाओं का यहां के लोगों को लाभ नहीं मिलता है इसलिए भाजपा ने केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को छिंदवाड़ा का प्रभारी सांसद नियुक्त किया था केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने मोदी सरकार की घोषणा के बाद खुटिया गांव को गोद लिया और एक बार यहां पर जाकर तामझाम से अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी। अस्पताल तक नहीं हैं। ग्रामीणों का कहना है कि जैसे ही सांसद ने इस गांव को लिया था तो उनके मन में उम्मीद जागी थी कि अब उनके गांव में सुधार होगा सुधार तो दूर की बात यहां पर एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भी नहीं है अगर कोई बीमार हो जाए मीलों दूर छिंदवाड़ा जाकर इलाज कराना पड़ता है या फिर आस-पास के गांव का सहारा लेना पड़ता है। बाइट- युवा बाइट-साहू राम पाटिल बाइट-ममता पाटिल स्कूल नहीं होने से पढ़ाई छोड़ रही बेटियाँ। भाजपा सरकार की प्रमुखता में हमेशा से रहा है कि बेटियों को आगे बढ़ाया जाए खुद प्रधानमंत्री ने बेटी पढ़ाओ बेटी बढ़ाओ जैसी योजना लागू तो की लेकिन सांसद प्रकाश जावड़ेकर के गोद लिए गांव में स्कूल ना होने की वजह से बेटियां पढ़ाई छोड़ने को मजबूर हैं दरअसल इस गांव में दसवीं तक स्कूल है दसवीं के बाद बाहर जाकर पढ़ाई पूरी करनी होती इसलिए कई परिवारों की बेटियां साधनों की कमी के चलते पढ़ाई छोड़ कर घर पर बैठी हैं। बाइट-रूपलाल मर्सकोले,


Conclusion:इतना ही नहीं युवाओं का कहना है कि गांव में कोई बदलाव नहीं आया है जैसा पहले था आज भी वैसा ही है ना तो खेल का मैदान है ना ही शौचालय मैं कोई गुणवत्ता है और तो और पीने के लिए भी 2 से 3 दिन में नलों में पानी आता है तो फिर यह कैसा आदर्श गाँव।
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