छिंदवाड़ा। बरसों से तरह-तरह की समस्याओं से जूझते गांवों को जब सांसद गोद लेते हैं तो एक उम्मीद जगती है कि अब इस गांव की तस्वीर और तकदीर दोनों ही बदल जाएगी, लेकिन जब जमीनी हकीकत सामने आती है, तो सारे वादों और दावों की पोल खुल जाती है.
ऐसा ही नजारा देखने को मिला छिंदवाड़ा के खुटिया गांव में. इस गांव को केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने गोद लिया था. उस वक्त लगा था कि इस गांव में विकास की नई इबारत लिखी जाएगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. यहां ना तो पर्याप्त पेयजल है, ना शौचालय है, ना पढ़ने के लिए ढंग का स्कूल है और ना इलाज कराने के लिए ढंग का कोई अस्पताल. इसके बावजूद सरकार के तय पैमानों पर खुटिया एक आदर्श गांव बन गया है.
मोदी सरकार की आदर्श योजना के तहत खुटिया गांव को एचआरडी मिनिस्टर प्रकाश जावडे़कर ने गोद तो ले लिया, लेकिन इसके बाद इसे भूल गए. केवल एक बार गांव जाकर उन्होंने हाजिरी जरूर लगा दी थी.
भले ही मोदी सरकार की बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ योजना चल रही हो, लेकिन यहां बेटियां दसवीं से आगे पढ़ ही नहीं पाती हैं. इसका कारण ये है कि दसवीं से आगे पढ़ने के लिए गांव में स्कूल ही नहीं है. इसके कारण गांव की बेटियों की पढ़ाई बीच में ही छूट जाती है.
ग्रामीणों का कहना है कि जैसे ही केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इस गांव को गोद लिया था, तो उनके मन में उम्मीद जागी थी कि अब उनके गांव में सुधार होगा, लेकिन उन्हें नहीं पता था कि सुधार तो दूर की बात, यहां पर एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भी नहीं बन पाएगा.