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CM के गृह जिले में उपेक्षित ITI बंद होने की कगार पर, धूल फांक रहे कंप्यूटर्स, छात्रों ने भी बनाई दूरी - Chhindwara news

मुख्यमंत्री कमलनाथ के गृह जिले छिंदवाड़ा के अमरवाड़ा में बजट के अभाव में छात्रों के लिए खोली गई आईटीआई बंद होने की कगार पर पहुंच गई है.

ITI on the verge of closure
आईटीआई बंद होने की कगार पर
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Published : Jan 6, 2020, 10:56 PM IST

Updated : Jan 7, 2020, 12:00 AM IST

छिंदवाड़ा। सरकार छात्रों को बढ़ावा देने के लिए कई तरह की योजनाएं चला रही है, लेकिन कर्मचारी और अधिकारी सरकार की मंशा पर पानी फेरने का काम कर रहे हैं. अमरवाड़ा जनपद पंचायत के पीछे कौशल विकास केंद्र का संचालन किया जाता था, विधानसभा चुनाव में वाहवाही लूटने के लिए कौशल विकास केंद्र बंदकर वहां सरकारी आईटीआई खोल दिया गया, वो भी सिर्फ नाम के लिए.

आईटीआई बंद होने की कगार पर

कौशल विकास केंद्र भवन में संचालित आईटीआई में मूलभूत सुविधाएं नहीं होने के चलते छात्र यहां आते ही नहीं, आईटीआई में कंप्यूटर कोर्स कराए जाते हैं, लेकिन उसके लिए भी कंप्यूटर पर्याप्त मात्रा में नहीं हैं, जो कंप्यूटर हैं उसमें से अधिकतर बंद हैं, जिनमें धूल जम चुकी है. यहां नाम मात्र के लिए केवल चार कंप्यूटर चल रहे हैं. जिनके सॉफ्टवेयर भी 10 साल पुराने हैं.

वहीं प्रचार-प्रसार और मूलभूत सुविधाओं से वंचित कंप्यूटर की आईटीआई में अब छात्र-छात्राएं भी प्रवेश नहीं ले रहे हैं और जो प्रवेश लेकर अध्यापन कार्य कर रहे हैं, उनमें से भी कुछ ने आना ही बंद कर दिया है. प्रभारी प्राचार्य पदम सिंह ठाकुर ने बताया कि बजट को लेकर अनेकों बार आवेदन दिया गया. उनका कहना है कि कई बार तो हमने अपने पैसे लगाकर बिल्डिंग की साफ सफाई कराई है.

छिंदवाड़ा। सरकार छात्रों को बढ़ावा देने के लिए कई तरह की योजनाएं चला रही है, लेकिन कर्मचारी और अधिकारी सरकार की मंशा पर पानी फेरने का काम कर रहे हैं. अमरवाड़ा जनपद पंचायत के पीछे कौशल विकास केंद्र का संचालन किया जाता था, विधानसभा चुनाव में वाहवाही लूटने के लिए कौशल विकास केंद्र बंदकर वहां सरकारी आईटीआई खोल दिया गया, वो भी सिर्फ नाम के लिए.

आईटीआई बंद होने की कगार पर

कौशल विकास केंद्र भवन में संचालित आईटीआई में मूलभूत सुविधाएं नहीं होने के चलते छात्र यहां आते ही नहीं, आईटीआई में कंप्यूटर कोर्स कराए जाते हैं, लेकिन उसके लिए भी कंप्यूटर पर्याप्त मात्रा में नहीं हैं, जो कंप्यूटर हैं उसमें से अधिकतर बंद हैं, जिनमें धूल जम चुकी है. यहां नाम मात्र के लिए केवल चार कंप्यूटर चल रहे हैं. जिनके सॉफ्टवेयर भी 10 साल पुराने हैं.

वहीं प्रचार-प्रसार और मूलभूत सुविधाओं से वंचित कंप्यूटर की आईटीआई में अब छात्र-छात्राएं भी प्रवेश नहीं ले रहे हैं और जो प्रवेश लेकर अध्यापन कार्य कर रहे हैं, उनमें से भी कुछ ने आना ही बंद कर दिया है. प्रभारी प्राचार्य पदम सिंह ठाकुर ने बताया कि बजट को लेकर अनेकों बार आवेदन दिया गया. उनका कहना है कि कई बार तो हमने अपने पैसे लगाकर बिल्डिंग की साफ सफाई कराई है.

Intro:बजट के अभाव से और मूलभूत सुविधाओं से वंचित शासकीय आईटीआई अमरवाड़ा
कौशल विकास केंद्र को बना दिया सरकारी आईटीआई ,अब केवल कागजों में ही सिमटा
12 कंप्यूटर में से चल रहे चार कंप्यूटर वह भी 11 साल पुराने जिस पर नहीं है कोई भी सॉफ्टवेयर केवल होती है टाइपिंगBody:
बजट के अभाव से और मूलभूत सुविधाओं से वंचित शासकीय आईटीआई अमरवाड़ा
कौशल विकास केंद्र को बना दिया सरकारी आईटीआई ,अब केवल कागजों में ही सिमटा
12 कंप्यूटर में से चल रहे चार कंप्यूटर वह भी 11 साल पुराने जिस पर नहीं है कोई भी सॉफ्टवेयर केवल होती है टाइपिंग
अमरवाड़ा- मुख्यमंत्री के गृह जिले और आदिवासी अंचल अमरवाड़ा विधानसभा के अमरवाड़ा जनपद पंचायत के पीछे कौशल विकास केंद्र का संचालन किया जाता था लेकिन जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों ने विधानसभा की वाहवाही लूटने के लिए उस कौशल विकास केंद्र को बंद करके उसमें सरकारी आईटीआई तो खुलवा दिया लेकिन वह आईटीआई केवल कागजों में ही खुली है आईटीआई के नाम पर वहां पर कोई भी मूलभूत सुविधाएं नहीं है कुछ आईटीआई में कंप्यूटर कोर्स कराए जाते हैं लेकिन उसके लिए भी कंप्यूटर पर्याप्त मात्रा में नहीं है जो कंप्यूटर हैं उसमें से अधिकतर कंप्यूटर बंद हैं जिनमें धूल जम चुकी है जिनके पार्ट्स खराब हो चुके हैं नाम मात्र के लिए केवल चार कंप्यूटर चल रहे हैं जिनमें भी सॉफ्टवेयर 10 साल पुराने हैं वही प्रचार प्रसार और मूलभूत सुविधाओं से वंचित कंप्यूटर की आईटीआई में अब छात्र छात्राएं भी प्रवेश नहीं ले रहे हैं और जो प्रवेश लेकर अध्यापन कार्य कर रहे हैं उनमें से भी कुछ ने आईटीआई आना बंद कर दिया है छात्र-छात्राओं ने बताया कि
आईटीआई में कोई भी व्यवस्था नहीं है कंडम हो चुके 10 साल पुराने कंप्यूटर- शासकीय आईटीआई में 12 कंप्यूटर है जिसमें से आधे से ज्यादा कंप्यूटर बंद हैं गिनती के चार कंप्यूटर सुधर वाकर और छात्र-छात्राओं ने सुधार कर जितना भी उन्हें नालेज हो उस हिसाब से चालू किया है तो वह कंप्यूटर भी केवल नाम के बचे हैं जिनमें कोई भी सॉफ्टवेयर नहीं है

उच्च अधिकारी की उदासीनता और बजट के अभाव के कारण बिगड़ी व्यवस्था- आईटीआई काा संयुक्त संचालक जबलपुर की उदासीनता और बजट की कमीी कमी के कारण आईटीआई का संचालन नहीं हो पा रहा है आईटीआई में मूलभूत सुविधाएं नहीं हैं सिक्योरिटी गार्ड नहीं है बिजली के बिल पटाने के लिए पैसे नहीं है 8महीने में बिजली का बिल पटता है वह भी जुगाड़ करके सफाई कर्मचारी नहीं है आईटीआई ऐसी लगने लगी है जैसे कि कोई कबाड़ खाने में आ गए हो महीना हो गए आईटीआई में झाड़ू नहीं लगी है बिल्डिंग की पता ही नहीं हुई है खंडहर में तब्दील बिल्डिंग में धूल का लगा अंबार जिससे कि बच्चों का मन भी अब आईटीआई से छुटने लगा है प्रभारी प्रचार पदम सिंह ठाकुर ने बताया कि बजट को लेकर अनेकों बार आवेदन दिया गया लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ कई बार तो हमने हमारे पास के पैसे से ही थोड़ा बहुत कार्य कराया है बिल्डिंग पूरी तरीके से खराब हो चुकी है शौचालय में गंदगी का अंबार लगा हुआ है लेकिन कोई ध्यान नहीं देता

*केवल कागजों में सिमटा आईटीआई*- शासकीय आईटीआई केवल कागजों में ही सिमट कर रह गया है जहां छात्र-छात्राएं अपने भविष्य की प्लानिंग बनाते हैं और अपने अंदर हुनर लाने के लिए आईटीआई में विभिन्न ट्रेडों के अंतर्गत प्रशिक्षण लेते हैं लेकिन उन्हें क्या पता कि आईटीआई में उनका कुछ होना जाना नहीं है क्योंकि आईटीआई में व्यवस्था नहीं है केवल कागजों में ही सिमट कर आईटीआई रह गया है आईटीआई में अभी 18 छात्राओं ने एडमिशन लिया था जिनमें से 2 छात्र-छात्राओं के नहीं आने से उनका नाम काट दिया गया अब केवल 16 ही बच्चे प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं
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मुख्यमंत्री कमलनाथ और सांसद नकुल नाथ से अपेक्षा*- आईटीआई में व्यवस्था बनाने बजट को लेकर मुख्यमंत्री कमलनाथ तो जिले के सांसद नकुल नाथ से अपेक्षा है जिससे कि आईटीआई का संचालन अच्छी तरीके से हो सके और आदिवासी अंचल के छात्र-छात्राएं शासकीय आईटीआई में पढ़कर अपना भविष्य सुनिश्चित कर सकें

वाइट- पदम सिंह ठाकुर प्रभारी प्राचार्य शासकीय आईटीआई अमरवाड़ाConclusion:छात्र छात्राओं को हुनर देने के लिए और अपना स्वयं का रोजगार स्थापित करने के लिए शासन द्वारा आईटीआई की स्थापना की जाती है जिसमें बच्चों को स्वरोजगार मुख्य प्रशिक्षण दिए जाते हैं लेकिन वही आईटीआई जब उच्च अधिकारियों की उदासीनता और बजट के अभाव से संचालन नहीं होने के कारण बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है
Last Updated : Jan 7, 2020, 12:00 AM IST
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