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किसी 'गार्डन' से कम नहीं है लछुआ गांव का मोक्षधाम

छिंदवाड़ा जिले के लछुआ गांव के ग्रामीणों ने सोचा कि सरकार की मदद के साथ गांव के लोगों का भी सहयोग हो जाए तो मोक्ष धाम का कायाकल्प हो सकता है. लेकिन इसके बाद ग्रामीणों ने मनरेगा से मिली राशि और खुद के सहयोग से पौधारोपण के साथ ही मोक्ष धाम को सुंदर गार्डन में बदल दिया है.

Garden Mokshadham
गार्डन वाला मोक्षधाम
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Published : Mar 16, 2021, 6:59 AM IST

छिंदवाड़ा। पार्क और गार्डन में हरी-भरे पौधे सुंदर फूल और आकर्षक साज-सज्जा तो आम बात है. लेकिन छिंदवाड़ा के छोटे से गांव में ग्रामीणों ने प्रशासन की मदद से मोक्ष धाम को गार्डन में तब्दील कर दिया है. जहां से लोग अंत्येष्टि में ही नहीं बल्कि मॉर्निंग और इवनिंग वॉक के लिए यहां आते हैं. ग्रामीणों की सोच से मोक्षधाम का कायाकल्प हुआ है. हर ग्राम पंचायत में मोक्षधाम के निर्माण के लिए प्रशासन मनरेगा के तहत काम करा रहा है. छिंदवाड़ा जिले के लछुआ गांव के ग्रामीणों ने सोचा कि सरकार की मदद के साथ गांव के लोगों का भी सहयोग हो जाए तो मोक्ष धाम का कायाकल्प हो सकता है. लेकिन इसके बाद ग्रामीणों ने मनरेगा से मिली राशि और खुद के सहयोग से पौधारोपण के साथ ही मोक्ष धाम को सुंदर गार्डन में बदल दिया है.

किसी 'गार्डन' से कम नहीं है ये मोक्षधाम

महसूस होती है शांति

लोग श्मशान घाट में घूमने आते हैं, साथ ही फलों का मजा लेते हैं. आम तौर पर देखा जाता है कि शमशान घाट का नाम सुनते ही लोग छुआछूत मानते हैं लेकिन इस गांव के श्मशान घाट में लोग घूमने आते हैं और बाकायदा यहां पर बैठकर सुकून भी महसूस करते हैं. श्मशान घाट महिला की फलदार पौधों से निकलने वाली कटहल अमरूद और कई फल है जिसे लोग अपने घर लेकर जाते हैं। मनरेगा और ग्रामीणों की सहायता से बना मोक्ष धाम. मोक्ष धाम निर्माण के लिए सरकार ने 1 लाख 96000 स्वीकृत किए थे, जिसके तहत पौधरोपण होना था और पौध रोपण की 1लाख 61000 दिए गए थे. लेकिन मोक्ष धाम निर्माण के लिए और रुपए की जरूरत पड़ रही थी. जिसके चलते ग्रामीणों ने पैसे इकट्ठा किया और मोक्ष धाम को शांति धाम में तब्दील कर दिया.

भगवान शिव की प्रतिमा
भगवान शिव की प्रतिमा

कांग्रेस के गढ़ में कमल खिलाने की तैयारी में बीजेपी की तिकड़ी

मरने के बाद सभी इंसानों का होता है एक स्थान

ग्रामीण हंसलाल परते बताते हैं कि उन्होंने ग्रामीणों के साथ पंचायत में बैठकर विचार किया कि ऐसी कौन से अनोखी चीज है जिसे करने से सुकून मिल सकता है. पंचायत के तो सभी काम होते हैं जैसे- सड़क, पानी, नालियां और भवन निर्माण होते हैं. उन्होंने बताया कि जैसे हम लोग घर में साफ स्वच्छ रहते हैं लेकिन जब हम मरने है तो हमें वहां से साफ स्वच्छ रहना चाहिए. उन्होंने कहा कि मरने के बाद सभी इंसानों का स्थान एक ही है. तो क्यों ना हम उस घर को भी अंदर से सुंदर बनाएं.

Road to mokshadham
मोक्षधाम का रास्ता

मोक्ष धाम में शांति का अनुभव

एक अन्य ग्रामीण बलदेव डेहरिया ने बताया कि मुक्तिधाम बनने से पहले सभी ग्रामीणों ने मिलकर पंचायत में सरपंच और सचिव के साथ इससे बनाने के लिए खाका तैयार किया. प्लान तय हो जाने के बाद इस काम को साल 2016 से तैयार किया गया और आज यह मुक्तिधाम बनकर तैयार है. उन्होंने कहा कि इस मुक्तिधाम को बनाने में 1 लाख 91 हजार रुप लागत आई है. मुक्तिधाम को सुंदर बनाने के लिए यहां प्रजाति के पेड़ लगाए गए हैं जो ठंडी छाया देने के साथ मुक्तिधाम की सुंदरता बढ़ा रहे हैं. दूसरे ग्राम पंचायत के लिए यह एक मिशाल है. आए दिन खबरों में ग्राम पंचायतों और मोक्ष धाम में अव्यवस्थाओं मिलती है लेकिन लछुआ ग्राम पंचायत और ग्रामीणों की मदद से किए गए मोक्ष धाम का निर्माण ऐसे ग्राम पंचायतों के लिए मिसाल है, जो बजट का हवाला देकर अपने काम से पल्ला झाड़ते हैं.

छिंदवाड़ा। पार्क और गार्डन में हरी-भरे पौधे सुंदर फूल और आकर्षक साज-सज्जा तो आम बात है. लेकिन छिंदवाड़ा के छोटे से गांव में ग्रामीणों ने प्रशासन की मदद से मोक्ष धाम को गार्डन में तब्दील कर दिया है. जहां से लोग अंत्येष्टि में ही नहीं बल्कि मॉर्निंग और इवनिंग वॉक के लिए यहां आते हैं. ग्रामीणों की सोच से मोक्षधाम का कायाकल्प हुआ है. हर ग्राम पंचायत में मोक्षधाम के निर्माण के लिए प्रशासन मनरेगा के तहत काम करा रहा है. छिंदवाड़ा जिले के लछुआ गांव के ग्रामीणों ने सोचा कि सरकार की मदद के साथ गांव के लोगों का भी सहयोग हो जाए तो मोक्ष धाम का कायाकल्प हो सकता है. लेकिन इसके बाद ग्रामीणों ने मनरेगा से मिली राशि और खुद के सहयोग से पौधारोपण के साथ ही मोक्ष धाम को सुंदर गार्डन में बदल दिया है.

किसी 'गार्डन' से कम नहीं है ये मोक्षधाम

महसूस होती है शांति

लोग श्मशान घाट में घूमने आते हैं, साथ ही फलों का मजा लेते हैं. आम तौर पर देखा जाता है कि शमशान घाट का नाम सुनते ही लोग छुआछूत मानते हैं लेकिन इस गांव के श्मशान घाट में लोग घूमने आते हैं और बाकायदा यहां पर बैठकर सुकून भी महसूस करते हैं. श्मशान घाट महिला की फलदार पौधों से निकलने वाली कटहल अमरूद और कई फल है जिसे लोग अपने घर लेकर जाते हैं। मनरेगा और ग्रामीणों की सहायता से बना मोक्ष धाम. मोक्ष धाम निर्माण के लिए सरकार ने 1 लाख 96000 स्वीकृत किए थे, जिसके तहत पौधरोपण होना था और पौध रोपण की 1लाख 61000 दिए गए थे. लेकिन मोक्ष धाम निर्माण के लिए और रुपए की जरूरत पड़ रही थी. जिसके चलते ग्रामीणों ने पैसे इकट्ठा किया और मोक्ष धाम को शांति धाम में तब्दील कर दिया.

भगवान शिव की प्रतिमा
भगवान शिव की प्रतिमा

कांग्रेस के गढ़ में कमल खिलाने की तैयारी में बीजेपी की तिकड़ी

मरने के बाद सभी इंसानों का होता है एक स्थान

ग्रामीण हंसलाल परते बताते हैं कि उन्होंने ग्रामीणों के साथ पंचायत में बैठकर विचार किया कि ऐसी कौन से अनोखी चीज है जिसे करने से सुकून मिल सकता है. पंचायत के तो सभी काम होते हैं जैसे- सड़क, पानी, नालियां और भवन निर्माण होते हैं. उन्होंने बताया कि जैसे हम लोग घर में साफ स्वच्छ रहते हैं लेकिन जब हम मरने है तो हमें वहां से साफ स्वच्छ रहना चाहिए. उन्होंने कहा कि मरने के बाद सभी इंसानों का स्थान एक ही है. तो क्यों ना हम उस घर को भी अंदर से सुंदर बनाएं.

Road to mokshadham
मोक्षधाम का रास्ता

मोक्ष धाम में शांति का अनुभव

एक अन्य ग्रामीण बलदेव डेहरिया ने बताया कि मुक्तिधाम बनने से पहले सभी ग्रामीणों ने मिलकर पंचायत में सरपंच और सचिव के साथ इससे बनाने के लिए खाका तैयार किया. प्लान तय हो जाने के बाद इस काम को साल 2016 से तैयार किया गया और आज यह मुक्तिधाम बनकर तैयार है. उन्होंने कहा कि इस मुक्तिधाम को बनाने में 1 लाख 91 हजार रुप लागत आई है. मुक्तिधाम को सुंदर बनाने के लिए यहां प्रजाति के पेड़ लगाए गए हैं जो ठंडी छाया देने के साथ मुक्तिधाम की सुंदरता बढ़ा रहे हैं. दूसरे ग्राम पंचायत के लिए यह एक मिशाल है. आए दिन खबरों में ग्राम पंचायतों और मोक्ष धाम में अव्यवस्थाओं मिलती है लेकिन लछुआ ग्राम पंचायत और ग्रामीणों की मदद से किए गए मोक्ष धाम का निर्माण ऐसे ग्राम पंचायतों के लिए मिसाल है, जो बजट का हवाला देकर अपने काम से पल्ला झाड़ते हैं.

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