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हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से किया सवाल - छिंदवाड़ा जिले में 32 साल बाद भी पावर प्लांट क्यों नहीं बना

हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि बीते 32 सालों में छिंदवाड़ा जिले में प्रस्तावित पावर प्लांट का काम शुरू क्यों नहीं हुआ है. दरअसल पावर प्लांट बनाने का टेंडर अडानी ग्रुप ने लिया हुआ है. इसके चलते हाईकोर्ट ने छिंदवाड़ा कलेक्टर सहित कई अफसरों को नोटिस जारी किया है. (High Court questioned to state government) (why power plant not built in Chhindwara)

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Published : May 7, 2022, 4:28 PM IST

why power plant not built in Chhindwara
छिंदवाड़ा में 32 साल बाद भी पावर प्लांट क्यों नहीं

छिंदवाड़ा। छिंदवाड़ा जिले में प्रस्तावित पावर प्लांट का काम शुरू नहीं होने पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से सवाल किए हैं. ठेकेदार सहित अधिकारियों को जारी किए गए हैं. शुक्रवार को जस्टिस पुरुषेन्द्र कौरव की सिंगल बेंच ने मामले पर राज्य सरकार, कलेक्टर छिंदवाड़ा, भू अर्जन अधिकारी, मध्य प्रदेश पावर ट्रेडिंग कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर और मेसर्स अडानी पावर लिमिटेड भोपाल के एसोसिएट वाइस प्रेसिडेंट को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. मामले की अगली सुनवाई 21 जून को होगी.

सरपंचों ने दायर की थी याचिका : जिले की ग्राम पंचायत है हिवरखेड़ी की सरपंच संतोषी बाई, ग्राम पंचायत थावरी टेका के सरपंच गोपाल उइके, ग्राम पंचायत डागावानी पिपरिया सरपंच नीमबती चंद्रा व ग्राम पंचायत धनोरा की सरपंच उर्वशी वर्मा की ओर से याचिका दायर की गई थी. अधिववक्ता ने कोर्ट को बताया कि सरकार ने 1987 में थर्मल पावर प्लांट बनाने के लिए करीब 750 एकड़ जमीन अधिग्रहित की थी. सरकार ने 2009 में अडानी कंपनी के साथ इसके लिए एग्रीमेंट किया. इसके बाद आज तक पावर प्लांट के नाम पर कुछ नहीं हुआ. तर्क दिया गया कि अधिग्रहण की शर्त के तहत ग्रामीणों का पुनर्वास और परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने का वादा था गांव के सभी लोगों ने उच्चाधिकारियों को कई बार आवेदन दिया. धरना -आंदोलन भी किया लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई.

जमीन अधिग्रहण के बाद अडानी ग्रुप ने ऑफिस खोला : सरकार द्वारा टेंडर के बाद अडानी ग्रुप में सात से आठ गांवों की 750 एकड़ जमीन अधिग्रहण कर ली और कब्जे में लेकर चौसरा में अपना एक दफ्तर भी खोला है. शुरुआती कुछ दिनों तक जमीनों में फेंसिंग का काम हुआ लेकिन इसके बाद ठेकेदार द्वारा काम ठंडे बस्ते में डालकर सिर्फ सीएसआर के तहत कुछ एक्टिविटी संचालित की जा रही है.

किसानों का कहना है '' जमीन ले ली गई लेकिन काम शुरू हुआ जब तक काम शुरू नहीं हो जाता उन्हें उनकी जमीन पर खेती करने दिया जाए या फिर वादे के मुताबिक परिवार के एक सदस्य को नौकरी दी जाए ताकि उनके परिवार का भरण पोषण हो सके. कई किसान परिवार आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं ''.

(High Court questioned to state government) (why power plant not built in Chhindwara)

छिंदवाड़ा। छिंदवाड़ा जिले में प्रस्तावित पावर प्लांट का काम शुरू नहीं होने पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से सवाल किए हैं. ठेकेदार सहित अधिकारियों को जारी किए गए हैं. शुक्रवार को जस्टिस पुरुषेन्द्र कौरव की सिंगल बेंच ने मामले पर राज्य सरकार, कलेक्टर छिंदवाड़ा, भू अर्जन अधिकारी, मध्य प्रदेश पावर ट्रेडिंग कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर और मेसर्स अडानी पावर लिमिटेड भोपाल के एसोसिएट वाइस प्रेसिडेंट को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. मामले की अगली सुनवाई 21 जून को होगी.

सरपंचों ने दायर की थी याचिका : जिले की ग्राम पंचायत है हिवरखेड़ी की सरपंच संतोषी बाई, ग्राम पंचायत थावरी टेका के सरपंच गोपाल उइके, ग्राम पंचायत डागावानी पिपरिया सरपंच नीमबती चंद्रा व ग्राम पंचायत धनोरा की सरपंच उर्वशी वर्मा की ओर से याचिका दायर की गई थी. अधिववक्ता ने कोर्ट को बताया कि सरकार ने 1987 में थर्मल पावर प्लांट बनाने के लिए करीब 750 एकड़ जमीन अधिग्रहित की थी. सरकार ने 2009 में अडानी कंपनी के साथ इसके लिए एग्रीमेंट किया. इसके बाद आज तक पावर प्लांट के नाम पर कुछ नहीं हुआ. तर्क दिया गया कि अधिग्रहण की शर्त के तहत ग्रामीणों का पुनर्वास और परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने का वादा था गांव के सभी लोगों ने उच्चाधिकारियों को कई बार आवेदन दिया. धरना -आंदोलन भी किया लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई.

जमीन अधिग्रहण के बाद अडानी ग्रुप ने ऑफिस खोला : सरकार द्वारा टेंडर के बाद अडानी ग्रुप में सात से आठ गांवों की 750 एकड़ जमीन अधिग्रहण कर ली और कब्जे में लेकर चौसरा में अपना एक दफ्तर भी खोला है. शुरुआती कुछ दिनों तक जमीनों में फेंसिंग का काम हुआ लेकिन इसके बाद ठेकेदार द्वारा काम ठंडे बस्ते में डालकर सिर्फ सीएसआर के तहत कुछ एक्टिविटी संचालित की जा रही है.

किसानों का कहना है '' जमीन ले ली गई लेकिन काम शुरू हुआ जब तक काम शुरू नहीं हो जाता उन्हें उनकी जमीन पर खेती करने दिया जाए या फिर वादे के मुताबिक परिवार के एक सदस्य को नौकरी दी जाए ताकि उनके परिवार का भरण पोषण हो सके. कई किसान परिवार आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं ''.

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