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पिता-बेटा खो इंजीनियर बना किसान, लाखों की जॉब छोड़ पेस्टिसाइड फ्री ऑर्गेनिक फूड से बचा रहा लोगों की जान - Chhindwara Organic Farming

Engineer turned organic farmer: गंभीर बीमारियों से अपने पिता और मासूम बेटे को खोने के बाद लाखों रुपए की सैलरी पाने वाला इंजीनियर नौकरी छोड़कर जैविक खेती से लोगों की जिंदगी संवारने का नेक काम कर रहा है.

Engineer turned organic farmer
इंजीनियर बना किसान
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 16, 2024, 4:32 PM IST

Updated : Jan 16, 2024, 5:31 PM IST

छिन्दवाड़ा. राहुल वसूले नागपुर की एक कंपनी में इंजीनियर थे और लाखों रुपए कमाते थे, लेकिन अचानक उनके पिता की कैंसर की वजह से मौत हो गई. राहुल इस सदमे से बाहर भी नहीं आए थे कि उनके ढाई साल के बेटे को ब्रेन ट्यूमर हो गया और उन्होंने उसे भी खो दिया. पिता को कैंसर और ढाई साल के मासूम को कैसे ट्यूमर हो गया उन्हें समझ नहीं आ रहा था. डॉक्टर्स ने बताया कि आजकल सब्जियों और अनाज में उपयोग हो रहे अत्यधिक रासायनिक खाद और कीटनाशक की वजह से ऐसी बीमारियां हो रही हैं, इसके बाद राहुल की जिंदगी बदल गई.

नौकरी छोड़कर शुरू किया ये काम

डॉक्टर की बात राहुल के दिमाग में घर कर गई थी, वे जानते थे कि अपनों को खोने का दुख क्या होता है. इसी के बाद राहुल वसूले की जिंदगी में एक नया मोड़ आया और उन्होनें अपनी लाखों रुपए की नौकरी छोड़कर प्राकृतिक खेती (Organic Farming) करना शुरू कर दिया। राहुल वसूली ने ईटीवी भारत को बताया कि उनके पास करीब 10 एकड़ पुश्तैनी जमीन थी पिता और बेटे के खोने के बाद उन्होंने सोचा कि जिस वजह से उसने अपने पिता और मासूम बेटे को खोया है कम से कम आने वाली पीढ़ी और दूसरों के साथ ऐसा न हो.

pesticide free organic food in mp
अपने खेत पर राहुल वसूले

500 किसानों को साथ जोड़ा

राहुल ने इसके बाद प्राकृतिक खेती यानी आॉर्गेनिक फार्मिंग करना शुरू कर दिया और वे अब गौ आधारित खेती करते हैं. उन्होंने इस अभियान में करीब 500 किसानों को भी जोड़ा है जिनसे वे प्राकृतिक खेती करवा रहे हैं और उन्हें रोजगार भी दे रहे हैं. अधिक से अधिक किसान प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ें और लोगों तक जैविक उत्पाद पहुंच सके इसके लिए उन्होंने कई किसानों के साथ बाय बैक एग्रीमेंट भी किया है, जिसके तहत वे प्राकृतिक खेती से उपजे अनाज को किसान से खरीद लेते हैं, जिससे किसान को अपनी उपज बेचने में परेशानी न हो और वह और प्राकृतिक खेती की तरफ बढ़ सके.

farmer saving peoples lives
राहुल को 2022 में जैविक इंडिया अवॉर्ड भी मिल चुका है.

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खेती को बनाया लाभ का धंधा

राहुल वसूले बताते हैं की शुरुआत में उन्हें भी लागत को लेकर काफी परेशानी होती थी क्योंकि प्राकृतिक खेती में उपज कम और लागत अधिक आती है. उन्होंने प्राकृतिक खेती को और बढ़ावा देने के लिए सरकार के सहयोग से आटा प्लांट की शुरुआत की है,जिसमें मोटे अनाज को मिलाकर नवरत्न आटा तैयार किया जाता है. ठंडा आटा देने वाले इस प्लांट की खासियत यह है कि इसमें छिलके सहित मोटे अनाज को पीसकर आटा बनाया जाता है. ठंडा आटा होने की वजह से आटे के पोषक तत्व को नुकसान नहीं पहुंचता है।


छिन्दवाड़ा. राहुल वसूले नागपुर की एक कंपनी में इंजीनियर थे और लाखों रुपए कमाते थे, लेकिन अचानक उनके पिता की कैंसर की वजह से मौत हो गई. राहुल इस सदमे से बाहर भी नहीं आए थे कि उनके ढाई साल के बेटे को ब्रेन ट्यूमर हो गया और उन्होंने उसे भी खो दिया. पिता को कैंसर और ढाई साल के मासूम को कैसे ट्यूमर हो गया उन्हें समझ नहीं आ रहा था. डॉक्टर्स ने बताया कि आजकल सब्जियों और अनाज में उपयोग हो रहे अत्यधिक रासायनिक खाद और कीटनाशक की वजह से ऐसी बीमारियां हो रही हैं, इसके बाद राहुल की जिंदगी बदल गई.

नौकरी छोड़कर शुरू किया ये काम

डॉक्टर की बात राहुल के दिमाग में घर कर गई थी, वे जानते थे कि अपनों को खोने का दुख क्या होता है. इसी के बाद राहुल वसूले की जिंदगी में एक नया मोड़ आया और उन्होनें अपनी लाखों रुपए की नौकरी छोड़कर प्राकृतिक खेती (Organic Farming) करना शुरू कर दिया। राहुल वसूली ने ईटीवी भारत को बताया कि उनके पास करीब 10 एकड़ पुश्तैनी जमीन थी पिता और बेटे के खोने के बाद उन्होंने सोचा कि जिस वजह से उसने अपने पिता और मासूम बेटे को खोया है कम से कम आने वाली पीढ़ी और दूसरों के साथ ऐसा न हो.

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अपने खेत पर राहुल वसूले

500 किसानों को साथ जोड़ा

राहुल ने इसके बाद प्राकृतिक खेती यानी आॉर्गेनिक फार्मिंग करना शुरू कर दिया और वे अब गौ आधारित खेती करते हैं. उन्होंने इस अभियान में करीब 500 किसानों को भी जोड़ा है जिनसे वे प्राकृतिक खेती करवा रहे हैं और उन्हें रोजगार भी दे रहे हैं. अधिक से अधिक किसान प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ें और लोगों तक जैविक उत्पाद पहुंच सके इसके लिए उन्होंने कई किसानों के साथ बाय बैक एग्रीमेंट भी किया है, जिसके तहत वे प्राकृतिक खेती से उपजे अनाज को किसान से खरीद लेते हैं, जिससे किसान को अपनी उपज बेचने में परेशानी न हो और वह और प्राकृतिक खेती की तरफ बढ़ सके.

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राहुल को 2022 में जैविक इंडिया अवॉर्ड भी मिल चुका है.

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खेती को बनाया लाभ का धंधा

राहुल वसूले बताते हैं की शुरुआत में उन्हें भी लागत को लेकर काफी परेशानी होती थी क्योंकि प्राकृतिक खेती में उपज कम और लागत अधिक आती है. उन्होंने प्राकृतिक खेती को और बढ़ावा देने के लिए सरकार के सहयोग से आटा प्लांट की शुरुआत की है,जिसमें मोटे अनाज को मिलाकर नवरत्न आटा तैयार किया जाता है. ठंडा आटा देने वाले इस प्लांट की खासियत यह है कि इसमें छिलके सहित मोटे अनाज को पीसकर आटा बनाया जाता है. ठंडा आटा होने की वजह से आटे के पोषक तत्व को नुकसान नहीं पहुंचता है।


Last Updated : Jan 16, 2024, 5:31 PM IST
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