छिंदवाड़ा। अभी वो दिन बीते ज्यादा वक्त भी नहीं हुआ जहां लोग बाढ़ और बरसात से परेशान थे. मानसून पूरे तरह से अलविदा भी नहीं बोला की लोगों को पीने के पानी की समस्या होने लगी है. ऐसा ही कुछ हाल है छिंदवाड़ा का जहां विकास के लाखों दावे किए जाते हैं, प्रदेश भर में कई मॉडलों का प्रचार किया जाता है, लेकिन छिंडवाड़ा शहर के ही काफी लोग सालों से पानी की किल्लत से जूझ रहे हैं.
यहां नहीं है पेयजल की व्यवस्था
शहर में कुछ इलाके आज भी ऐसे हैं जहां लोग पीने के पानी के लिए भी तरसते हैं. सिवनी रोड के वार्ड नंबर 17 में पटाखा गोदाम के आसपास नल कनेक्शन की व्यवस्था नहीं है, जिसके चलते नगर निगम 2 दिनों के अंतराल में टैंकरों के सहारे पानी की व्यवस्था कराता है, जहां लोगों को लाइन में लग कर पानी का इंतजाम करना पड़ता है.
50 सालों से लोग परेशान
ईटीवी भारत ने जब स्थानीय लोगों से इसकी जानकारी ली तो उन्होंने बताया कि वे कई साल से इस इलाके में रहते हैं, लेकिन पानी के लिए इसी तरह जूझना पड़ता है. नल नहीं होने से टैंकर के सहारे जो पानी मिलता है, उसे स्टॉक करने की मजबूरी होती है.
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पानी के लिए छोड़ना पड़ता है काम
जिस इलाके में अब तक नल कनेक्शनों की व्यवस्था नहीं हो पाई है, वहां के अधिकतर लोग मजदूरी कर जीवन यापन करते हैं. लेकिन पानी की आस के चलते उन्हें हर 2 दिन में अपनी 1 दिन की मजदूरी छोड़ना पड़ता है. ताकि वह पीने के पानी की जुगाड़ कर सकें लेकिन इसके लिए खाने की जुगाड़ का नुकसान हो जाता है.
जिम्मेदार दे रहे झुठी तसल्ली
लोगों को हो रही समस्या को लेकर जिम्मेदार जमानों से आस्वासन दे रहे हैं. ईटीवी भारत ने जब नगर निगम अध्यक्ष धर्मेंद्र मिगलानी से बात की तो उन्होंने कहा कि माचागोरा डैंम के छिदवाड़ा और आस-पास के इलाकों के लिए पानी लाने का प्रोजेक्ट चल रहा है, जो जल्द ही पूरा हो जाएगा. इस प्रोजेक्ट के पूरा होने के साथ ही पानी की समस्या का निदान हो जाएगा.
80 करोड़ की लागत सुधरेंगे हालात
ईटीवी भारत को नगर निगम अध्यक्ष धर्मेंद्र मिगलानी ने बताया कि छिंदवाड़ा शहर में जलापूर्ति की योजना 50 साल पुरानी है. लेकिन शिवराज सरकार ने माचागोरा डैम से पानी लाने के लिए 80 करोड़ की जल आवर्धन योजना बनाई है. जिसके बाद अब जल्द ही नगर निगम क्षेत्र में हर व्यक्ति को शुद्ध पीने का पानी मिलेगा.
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कब बनी थी योजना
साल 2015 में छिंदवाड़ा नगर पालिका को नगर निगम का दर्जा दिया गया था, जिसमें 24 गांवों को मिला के कुल 48 वार्ड बनाए गये थे. नगर निगम क्षेत्र में बढ़ी इसी आबादी के लिए माचागोरा डैम से पानी लाने की योजना बनाई गई थी, जो अभी तक पूरी नहीं हो पाई है. अब देखना होगा जनप्रतिनिधियों की झूठी तसल्ली के बाद यहां के लोगों को पानी की समस्या से कब आजादी मिलती है.