छिंदवाड़ा। कुछ लोग जीते जी तो बहुत अच्छा काम करते हैं, लेकिन मरने के बाद भी समाज के काम आते हैं. ऐसे लोगों में जो अपनी मौत के बाद अपने अंग दान कर देते हैं या फिर कॉलेजों में अपनी देह दान कर मेडिकल स्टडी कर रहे बच्चों के काम आते हैं. यहां हम बताने वाले हैं कि दान किया हुई देह मेडिकल स्टूडेंट्स के लिए कितनी मददगार होती है. छिंदवाड़ा मेडिकल इंस्टिट्यूट ऑफ साइंसेज के डीन डॉ गिरीश बी. रामटेके ने बताया कि किस तरह देह दान के बाद शरीर को उपयोग में लाया जाता है या कोई देहदान करना चाहता हैं तो उन्हें किन प्रक्रिया का पालन करना होता है.
देह दान से मिलता है मरने के बाद भी सम्मान, जानें कितना काम आता है मृत शरीर
छिंदवाड़ा मेडिकल इंस्टिट्यूट ऑफ साइंसेज के डीन डॉ. गिरीश बी. रामटेके ने बताया कि किस तरह देह दान के बाद शरीर को उपयोग में लाया जाता है.
छिंदवाड़ा। कुछ लोग जीते जी तो बहुत अच्छा काम करते हैं, लेकिन मरने के बाद भी समाज के काम आते हैं. ऐसे लोगों में जो अपनी मौत के बाद अपने अंग दान कर देते हैं या फिर कॉलेजों में अपनी देह दान कर मेडिकल स्टडी कर रहे बच्चों के काम आते हैं. यहां हम बताने वाले हैं कि दान किया हुई देह मेडिकल स्टूडेंट्स के लिए कितनी मददगार होती है. छिंदवाड़ा मेडिकल इंस्टिट्यूट ऑफ साइंसेज के डीन डॉ गिरीश बी. रामटेके ने बताया कि किस तरह देह दान के बाद शरीर को उपयोग में लाया जाता है या कोई देहदान करना चाहता हैं तो उन्हें किन प्रक्रिया का पालन करना होता है.
Body:छिन्दवाड़ा मेडिकल इंस्टिट्यूट ऑफ साइंसेज़ के डीन डॉ गिरीश बी.रामटेके ने बताया कि किस तरह देह दान के बाद शरीर को उपयोग में लाया जाता है या कोई देहदान करना चाहता है तो उन्हें किन प्रक्रिया का पालन करना होता है।
मौत के 6 घंटे के भीतर दे जानकारी तो बेहतर है।
डॉ गिरीश बी.रामटेके ने बताया कि अगर कोई मौत के बाद देहदान करना चाहता है तो परिजनों को 6 घंटे के भीतर संबंधित मेडिकल कॉलेज को इसकी जानकारी दे सकता है तो बेहतर क्योंकि इसके बाद बॉडी डिकम्पोज होने लगती है या फिर डीप फ्रीजर के माध्यम से हम 48 घंटों के भीतर देहदान कर सकते हैं।
2 साल से 5 साल तक बच्चों के काम आता है शरीर।
सिर्फ जिंदा रहते हैं आपका शरीर लोगों के काम नहीं आता है मौत के बाद भी आप देह दान करके कई लोगों के काम आते हैं छिंदवाड़ा मेडिकल कॉलेज के डीन बताते हैं कि एक शरीर पर बच्चे 2 साल से 5 साल तक प्रैक्टिकल कर सकते हैं इसके लिए वे शरीर की हर हिस्से को बारीकी से जान सकते हैं।
Conclusion:स्टूडेंट डेडबॉडी को सिर्फ शरीर नहीं,जीवित व्यक्ति से ज्यादा ईज्जत दें।
डॉ रामटेके बताते हैं कि शरीर का दान सबसे बड़ा पूण्य है जब भी कोई मेडिकल स्टूडेंट किसी के शरीर पर रिसर्च करे तो उसको जीवित व्यक्ति से ज्यादा ईज्जत के साथ पेश आए क्योंकि ऐसा लगना चाहिए कोई हमारे सामने लेता है और हम उनसे कुछ सीख रहे हैं।
बाइट-गिरीश बी.रामटेके,डीन, छिन्दवाड़ा इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज़