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शिव'राज' में दिव्यांग की दुर्दशा, ट्राई साइकिल के लिए 2 साल से चक्कर काट रहा, कोई सुनवाई नहीं

मध्य प्रदेश में दिव्यांग पिछले 2 सालों से ट्राई साइकिल के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहा है, लेकिन आज तक उसे ट्राई साइकिल नहीं मिली.

plight of the handicapped
दिव्यांग की दुर्दशा
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Published : Aug 11, 2021, 5:16 PM IST

छिंदवाड़ा। मध्य प्रदेश सरकार दिव्यागों को हर संभव मदद देने की बात कहती है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही नजर आ रहा है, जिले का एक दिव्यांग आत्मनिर्भर होने के योजना के तहत ट्राई साइकिल की मांग पिछले 2 सालों से कर रहा है, लेकिन उसकी सुनवाई आज तक नहीं हुई, पैसों के तंगी आगे वह इतना मजबूर है कि उसे समझ नहीं आ रहा कि अब वह किससे मदद की गुहार लगाए.

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शिव'राज' में दिव्यांग की दुर्दशा

ट्राई साइकिल के लिए 2 सालों से दफ्तरों के चक्कर काट रहा दिव्यांग

दिव्यांगों के लिए चलाई जा रही सरकारी योजनाओं का लाभ दिव्यांगों तक नहीं पहुंच पा रहा है, इसका ही एक उदाहरण परासिया तहसील के वार्ड नंबर 06 का है, दिव्यांग रविंद्र मर्सकोले ने बताया कि वह 85% दिव्यांग है, रोजमर्रा और दिनचर्या के काम करने में उसे काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, उनके दो छोटे बच्चे भी हैं, वैसे ही कोरोना काल के समय कोई काम नहीं मिल रहा है, जैसे तैसे वो दो वक्त के खाने का इंतजाम करते हैं, लेकिन ट्राई साइकिल नहीं होने उन्हें काफी परेशानी होती है.

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शिव'राज' में दिव्यांग की दुर्दशा

मध्य प्रदेश दिव्यांग और ट्रांसजेंडर को पहचान पत्र देने में देश में अव्वल

दिव्यांग की नहीं सुनते अधिकारी

रविंद्र ने बताया कि उसे बहुत पहले ट्राई साइकिल दी गई थी, जो टूट चुकी है, वहीं नए ट्राई साइकिल के लिए वह लगभग 2 सालों से अधिकारियों के चक्कर काट रहा है, लेकिन अधिकारी ट्राई साइकिल नहीं होने की बात कहकर उसे वापस लौटा देते है, दिव्यांग ने बताया कि वह मदद मांगने कलेक्ट्रेट भी पहुंचे, लेकिन वहां से भी कोई मदद उन्हें नहीं मिली.

छिंदवाड़ा। मध्य प्रदेश सरकार दिव्यागों को हर संभव मदद देने की बात कहती है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही नजर आ रहा है, जिले का एक दिव्यांग आत्मनिर्भर होने के योजना के तहत ट्राई साइकिल की मांग पिछले 2 सालों से कर रहा है, लेकिन उसकी सुनवाई आज तक नहीं हुई, पैसों के तंगी आगे वह इतना मजबूर है कि उसे समझ नहीं आ रहा कि अब वह किससे मदद की गुहार लगाए.

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शिव'राज' में दिव्यांग की दुर्दशा

ट्राई साइकिल के लिए 2 सालों से दफ्तरों के चक्कर काट रहा दिव्यांग

दिव्यांगों के लिए चलाई जा रही सरकारी योजनाओं का लाभ दिव्यांगों तक नहीं पहुंच पा रहा है, इसका ही एक उदाहरण परासिया तहसील के वार्ड नंबर 06 का है, दिव्यांग रविंद्र मर्सकोले ने बताया कि वह 85% दिव्यांग है, रोजमर्रा और दिनचर्या के काम करने में उसे काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, उनके दो छोटे बच्चे भी हैं, वैसे ही कोरोना काल के समय कोई काम नहीं मिल रहा है, जैसे तैसे वो दो वक्त के खाने का इंतजाम करते हैं, लेकिन ट्राई साइकिल नहीं होने उन्हें काफी परेशानी होती है.

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शिव'राज' में दिव्यांग की दुर्दशा

मध्य प्रदेश दिव्यांग और ट्रांसजेंडर को पहचान पत्र देने में देश में अव्वल

दिव्यांग की नहीं सुनते अधिकारी

रविंद्र ने बताया कि उसे बहुत पहले ट्राई साइकिल दी गई थी, जो टूट चुकी है, वहीं नए ट्राई साइकिल के लिए वह लगभग 2 सालों से अधिकारियों के चक्कर काट रहा है, लेकिन अधिकारी ट्राई साइकिल नहीं होने की बात कहकर उसे वापस लौटा देते है, दिव्यांग ने बताया कि वह मदद मांगने कलेक्ट्रेट भी पहुंचे, लेकिन वहां से भी कोई मदद उन्हें नहीं मिली.

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