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Tulsi Vivah 2023: एकादशी के दिन तुलसी विवाह का महत्व, जानिए शुभ मुहूर्त-पूजा विधि और महत्व - तुलसी विवाह शुभ मुहूर्त

23 नवंबर को देवउठनी एकादशी है. इस दिन तुलसी और सालिग्राम का विवाह किया जाता है. तुलसी विवाह का अपना अलग महत्व है. पढ़िए तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त और पूजा से जुड़ी सामग्री व महत्व.

Tulsi Vivah 2023
तुलसी विवाह
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Nov 22, 2023, 9:58 PM IST

छिंदवाड़ा। हिंदु धर्म में देवउठनी एकादशी का खास महत्व है. कार्तिक माह की एकादशी तिथि को देवउठनी मनाई जाती है. इस दिन तुलसी विवाह किया जाता है. 23 नवंबर को देवउठनी एकादशी है. तुलसी विवाह साथ ही सनातन परंपरा के अनुसार सभी शुभ कार्यों की शुरुआत हो जाती है. तुलसी विवाह का अपना अलग महत्व है. इससे जुड़े कई लाभ हैं. देवउठनी एकादशी के नाम से भी इस पूजा की पहचान होती है. पढ़िए तुलसी विवाह की पूजा-विधी मुहूर्त और लाभ क्या है.

तुलसी विवाह के दिन तुलसी पर अर्पित ना करें जल: ज्योतिषाचार्य डॉक्टर वैभव आलोणी ने बताया कि देवउठनी एकादशी यानि की तुलसी विवाह के दिन सभी शुभ कार्यों की शुरुआत होती है. खास बात यह है इस दिन तुलसी विवाह होता है. तुलसी विवाह के दिन तुलसी के पौधे पर जल अर्पित कर पूजा नहीं करनी चाहिए, क्योंकि इस दिन माता लक्ष्मी भगवान विष्णु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं. अगर इस पूजा के दौरान किसी ने तुलसी पौधे में जल अर्पित किया तो माता का व्रत खंडित हो जाता है और व्रतधारी महिला पुरुषों को इसका फल नहीं मिलता है.

तुलसी विवाह शुभ मुहूर्त: इस बार देवउठनी एकादशी दो दिन मनाई जाएगी. 22 नवंबर को रात 11 बजकर 3 मिनट पर एकादशी तिथि प्रारंभ होगी. जो 23 नवंबर को रात 9 बजे समाप्त होगा. इस दिन शाम को 6 बजकर 50 मिनट पर पूजा का समय है. जो 8 बजकर 9 मिनट पर समाप्त होगा. वहीं कई लोग एकादशी द्वादशी के दिन भी मनाते हैं. इस साल 23 नवंबर को रात 9 बजकर 1 मिनट से 24 नवंबर को शाम 7 बजकर 6 मिनट पर समाप्त होगा. शाम 5 बजकर 25 मिनट से शाम 6 बजकर 4 मिनट पर प्रदोष काल शुभ मुहूर्त बन रहा है.

शयनमुद्रा से उठते हैं भगवान शुभ कामों की होगी शुरुआत: गणेश मठ बिछुआ के ज्योतिषाचार्य डॉ वैभव अलौणी ने बताया कि भगवान देवशयनी एकादशी के बाद शयनमुद्रा में चले जाते हैं. जिसके बाद सभी शुभ मांगलिक काम वर्जित होते हैं. देव उठनी एकादशी तुलसी विवाह के दिन भगवान शयनमुद्रा से जागते हैं और शुभ कामों की शुरुआत होती है.

बेर भाजी आंवला और गन्ने से होती है पूजा,सजता है मंडप: तुलसी विवाह के दिन गन्ने से विवाह का मंडप तैयार किया जाता है. इसके बाद बेर, चने की भाजी और आंवला से भगवान का पूजन किया जाता है. तुलसी जी को गन्ना अधिक प्रिय है. इसलिए गन्ने का मंडप बनाया जाता है, तो वहीं एकादशी के बाद से चने की भाजी आंवला और बैंगन खाने की शुरुआत भी कर देते हैं. इसलिए इन्हें पूजा में विशेष रूप से शामिल किया जाता है.

तुलसी पूजा में इन सामग्री का करें उपयोग: हल्दी की गांठ, शालिग्राम, गणेशजी की प्रतिमा,श्रृगांर सामग्री, विष्णुजी की प्रतिमा, बताशा, फल-फूल, दीप हल्दी, हवन सामग्री, गन्ना, लाल चुनरी, अक्षत, रोली, कुमकुम, तिल, घी, आंवला, मिठाई, तुलसी का पौधा.

यहां पढ़ें...

घर में तुलसी का पौधा रखने से खत्म होती है नकारात्मक ऊर्जा: आपके घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव है या सकारात्मक ऊर्जा का इसका पता लगाने के लिए घर में तुलसी का पौधा काफी कारगर साबित होता है. ज्योतिष आचार्य ने बताया है कि अगर घर में तुलसी का पौधा है और वह हमेशा से हरा भरा है और कई सालों तक आपके आंगन या गमले में लहलहाता है, तो समझिए कि उसके आसपास सकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव है लेकिन अगर आपके घर में या गमले में तुलसी का पौधा ज्यादा दिनों तक नहीं रहता है या पनपने में दिक्कत होती है तो नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव होता है.

छिंदवाड़ा। हिंदु धर्म में देवउठनी एकादशी का खास महत्व है. कार्तिक माह की एकादशी तिथि को देवउठनी मनाई जाती है. इस दिन तुलसी विवाह किया जाता है. 23 नवंबर को देवउठनी एकादशी है. तुलसी विवाह साथ ही सनातन परंपरा के अनुसार सभी शुभ कार्यों की शुरुआत हो जाती है. तुलसी विवाह का अपना अलग महत्व है. इससे जुड़े कई लाभ हैं. देवउठनी एकादशी के नाम से भी इस पूजा की पहचान होती है. पढ़िए तुलसी विवाह की पूजा-विधी मुहूर्त और लाभ क्या है.

तुलसी विवाह के दिन तुलसी पर अर्पित ना करें जल: ज्योतिषाचार्य डॉक्टर वैभव आलोणी ने बताया कि देवउठनी एकादशी यानि की तुलसी विवाह के दिन सभी शुभ कार्यों की शुरुआत होती है. खास बात यह है इस दिन तुलसी विवाह होता है. तुलसी विवाह के दिन तुलसी के पौधे पर जल अर्पित कर पूजा नहीं करनी चाहिए, क्योंकि इस दिन माता लक्ष्मी भगवान विष्णु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं. अगर इस पूजा के दौरान किसी ने तुलसी पौधे में जल अर्पित किया तो माता का व्रत खंडित हो जाता है और व्रतधारी महिला पुरुषों को इसका फल नहीं मिलता है.

तुलसी विवाह शुभ मुहूर्त: इस बार देवउठनी एकादशी दो दिन मनाई जाएगी. 22 नवंबर को रात 11 बजकर 3 मिनट पर एकादशी तिथि प्रारंभ होगी. जो 23 नवंबर को रात 9 बजे समाप्त होगा. इस दिन शाम को 6 बजकर 50 मिनट पर पूजा का समय है. जो 8 बजकर 9 मिनट पर समाप्त होगा. वहीं कई लोग एकादशी द्वादशी के दिन भी मनाते हैं. इस साल 23 नवंबर को रात 9 बजकर 1 मिनट से 24 नवंबर को शाम 7 बजकर 6 मिनट पर समाप्त होगा. शाम 5 बजकर 25 मिनट से शाम 6 बजकर 4 मिनट पर प्रदोष काल शुभ मुहूर्त बन रहा है.

शयनमुद्रा से उठते हैं भगवान शुभ कामों की होगी शुरुआत: गणेश मठ बिछुआ के ज्योतिषाचार्य डॉ वैभव अलौणी ने बताया कि भगवान देवशयनी एकादशी के बाद शयनमुद्रा में चले जाते हैं. जिसके बाद सभी शुभ मांगलिक काम वर्जित होते हैं. देव उठनी एकादशी तुलसी विवाह के दिन भगवान शयनमुद्रा से जागते हैं और शुभ कामों की शुरुआत होती है.

बेर भाजी आंवला और गन्ने से होती है पूजा,सजता है मंडप: तुलसी विवाह के दिन गन्ने से विवाह का मंडप तैयार किया जाता है. इसके बाद बेर, चने की भाजी और आंवला से भगवान का पूजन किया जाता है. तुलसी जी को गन्ना अधिक प्रिय है. इसलिए गन्ने का मंडप बनाया जाता है, तो वहीं एकादशी के बाद से चने की भाजी आंवला और बैंगन खाने की शुरुआत भी कर देते हैं. इसलिए इन्हें पूजा में विशेष रूप से शामिल किया जाता है.

तुलसी पूजा में इन सामग्री का करें उपयोग: हल्दी की गांठ, शालिग्राम, गणेशजी की प्रतिमा,श्रृगांर सामग्री, विष्णुजी की प्रतिमा, बताशा, फल-फूल, दीप हल्दी, हवन सामग्री, गन्ना, लाल चुनरी, अक्षत, रोली, कुमकुम, तिल, घी, आंवला, मिठाई, तुलसी का पौधा.

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घर में तुलसी का पौधा रखने से खत्म होती है नकारात्मक ऊर्जा: आपके घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव है या सकारात्मक ऊर्जा का इसका पता लगाने के लिए घर में तुलसी का पौधा काफी कारगर साबित होता है. ज्योतिष आचार्य ने बताया है कि अगर घर में तुलसी का पौधा है और वह हमेशा से हरा भरा है और कई सालों तक आपके आंगन या गमले में लहलहाता है, तो समझिए कि उसके आसपास सकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव है लेकिन अगर आपके घर में या गमले में तुलसी का पौधा ज्यादा दिनों तक नहीं रहता है या पनपने में दिक्कत होती है तो नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव होता है.

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