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Dasha mata Vrat 2023: आज कष्टों का नाश करेंगी दशा माता, जानें व्रत की विधि और शुभ मुहूर्त - दशा माता का पूजन

अपने घरों की गृह दशा सुधारने के लिए आज के दिन सभी महिलाएं ने परम्परानुसार व्रत रखकर दशा माता का पूजन करती हैं, इस दौरान महिलाएं पीपल के वृक्ष को सूत का धागा बांधकर 11 बार परिक्रमा करतीं हैं और साथ ही सूत के धागे को अपने गले में धारण भी करतीं हैं. कहते हैं इस पूजा से घर की दशा बदल जाती है. आइए जानते हैं दशा माता व्रत की विशेष पूजा, पूजन सामग्री और शुभ मुहुर्त के बारे में.

Dasha mata
दशा माता
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Published : Mar 17, 2023, 12:24 PM IST

छिंदवाड़ा। आज यानि 17 मार्च 2023 को हिन्दू धर्म में होली के 10वें दिन दशा माता को माता लक्ष्मी का रुप मानकर पूजा तथा व्रत करने का विधान है. माना जाता है कि जब मनुष्य की दशा ठीक होती है तो उसके सभी कार्य अनुकूल होते रहते हैं, और जब दशा ठीक नहीं होती है, तो उसके जीवन में परेशानी होने लगती है. इन्हीं परेशानियों से मुक्ति पाने के लिए तथा अपने घर परिवार की दशा सुधारने की कामना से घर की सुहागिन महिलाओं द्वारा इस व्रत को करने की मान्यता है.

पीपल के वृक्ष में धागा बांध कर की जाती है विशेष पूजा: इस दिन व्रत करने वाली महिला कच्चे सूत का डोरा जो या तो किसी ब्राम्हण द्वारा दिया गया हो या स्वयं बनाकर मंदिर ले जातीं हैं और वहां दशा माता की प्रतीक रुप में पूजा कर पुराणो में उल्लेखित राजा नल और रानी दमयंती की कथा सुनती एवं सुनाती हैं. इसके बाद पीपल के वृक्ष की पूजा-अर्चना कर, कच्चे सूत का धागा लपेटते हुए उसकी 11 परिक्रमा करती हैं और पीपल के वृक्ष की कुछ छाल सोना मानकर निकालकर घर लाती हैं.

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दशा माता व्रत की विधि और इन पूजन सामग्री का करें उपयोग: दशा माता के व्रत के दिन पीपल के वृक्ष की पूजा की जाती है, पीपल पर आटे के बने हुए फल व बर्तन चढ़ाए जाते हैं. पीपल के वृक्ष पर एक तिजोरी भी चढ़ाई जाती है, उसे वापस घर पर लाया जाता है. पीपल के वृक्ष पर महिलाएं 11 परिक्रमा करती हैं और 11 बार धागा लपेटती हैं. पीपल के वृक्ष पर 10 हल्दी की बिंदिया लगाई जाती है, घर की सुख समृद्धि की कामना की जाती है। इस दिन दशा माता का डोरा गले में धारण किया जाता है. पुराना डोरा पीपल के वृक्ष पर चढ़ा दिया जाता है, पीपल के वृक्ष पर अगरबत्ती, दीपक, रोली, चावल, मेहंदी, हल्दी और वस्त्र अर्पित किए जाते हैं, उसके पश्चात राजा नल और रानी दमयंती की कथा सुनी सुनाई जाती है.

दशा माता पूजा का शुभ मुहूर्त: दशा माता 2023 का व्रत 17 मार्च 2023, शुक्रवार यानि आज किया जाएगा, जिसकी व्रत प्रारंभ तिथि 16 मार्च 2023, शाम 4 बजे से समाप्ति तिथि 17 मार्च 2023, दोपहर 2 बजे तक शुभ मुहूर्त रहेगा. इस शुभ मौत में महिलाएं दशा माता व्रत की पूजन कर सकती हैं.

छिंदवाड़ा। आज यानि 17 मार्च 2023 को हिन्दू धर्म में होली के 10वें दिन दशा माता को माता लक्ष्मी का रुप मानकर पूजा तथा व्रत करने का विधान है. माना जाता है कि जब मनुष्य की दशा ठीक होती है तो उसके सभी कार्य अनुकूल होते रहते हैं, और जब दशा ठीक नहीं होती है, तो उसके जीवन में परेशानी होने लगती है. इन्हीं परेशानियों से मुक्ति पाने के लिए तथा अपने घर परिवार की दशा सुधारने की कामना से घर की सुहागिन महिलाओं द्वारा इस व्रत को करने की मान्यता है.

पीपल के वृक्ष में धागा बांध कर की जाती है विशेष पूजा: इस दिन व्रत करने वाली महिला कच्चे सूत का डोरा जो या तो किसी ब्राम्हण द्वारा दिया गया हो या स्वयं बनाकर मंदिर ले जातीं हैं और वहां दशा माता की प्रतीक रुप में पूजा कर पुराणो में उल्लेखित राजा नल और रानी दमयंती की कथा सुनती एवं सुनाती हैं. इसके बाद पीपल के वृक्ष की पूजा-अर्चना कर, कच्चे सूत का धागा लपेटते हुए उसकी 11 परिक्रमा करती हैं और पीपल के वृक्ष की कुछ छाल सोना मानकर निकालकर घर लाती हैं.

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दशा माता व्रत की विधि और इन पूजन सामग्री का करें उपयोग: दशा माता के व्रत के दिन पीपल के वृक्ष की पूजा की जाती है, पीपल पर आटे के बने हुए फल व बर्तन चढ़ाए जाते हैं. पीपल के वृक्ष पर एक तिजोरी भी चढ़ाई जाती है, उसे वापस घर पर लाया जाता है. पीपल के वृक्ष पर महिलाएं 11 परिक्रमा करती हैं और 11 बार धागा लपेटती हैं. पीपल के वृक्ष पर 10 हल्दी की बिंदिया लगाई जाती है, घर की सुख समृद्धि की कामना की जाती है। इस दिन दशा माता का डोरा गले में धारण किया जाता है. पुराना डोरा पीपल के वृक्ष पर चढ़ा दिया जाता है, पीपल के वृक्ष पर अगरबत्ती, दीपक, रोली, चावल, मेहंदी, हल्दी और वस्त्र अर्पित किए जाते हैं, उसके पश्चात राजा नल और रानी दमयंती की कथा सुनी सुनाई जाती है.

दशा माता पूजा का शुभ मुहूर्त: दशा माता 2023 का व्रत 17 मार्च 2023, शुक्रवार यानि आज किया जाएगा, जिसकी व्रत प्रारंभ तिथि 16 मार्च 2023, शाम 4 बजे से समाप्ति तिथि 17 मार्च 2023, दोपहर 2 बजे तक शुभ मुहूर्त रहेगा. इस शुभ मौत में महिलाएं दशा माता व्रत की पूजन कर सकती हैं.

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