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कोयला खदानों में मजदूरों ने बंद किया काम, हो सकता है भारी नुकसान

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Published : Jul 2, 2020, 8:52 PM IST

छिंदवाड़ा जिले के परासिया में कोयला खदानों के मजदूरों ने हड़ताल शुरू कर दी है. खदान पर काम बंद होने से सरकार को अरबों रुपए का नुकसान होगा. मजदूरों ने सरकार से कॉमर्शियल कानून वापस लेने की मांग की है.

छिंदवाड़ा। मजदूर यूनियन ने भारत सरकार के कॉमर्शियल कानून के लाने का विरोध जताया है. इसे लेकर जिले के परासिया में वेस्टन कोल्ड फील्ड लिमिटेड कोयला खदानों में तीन दिवसीय हड़ताल शुरू कर दी गई है. हड़ताल का आज पहला दिन है, इस हड़ताल से भारत सरकार को अरबों रुपए का नुकसान हो सकता है. संयुक्त मोर्चा मजदूरों की यूनियन ने अपनी मांगों को लेकर हड़ताल शुरू की है. मजदूरों का कहना है कि केंद्र सरकार ने कॉमर्शियल कानून बनाया, जिसमें मजदूरों का शोषण होगा इसीलिए, इस कानून के विरोध में हड़ताल की है.

मजदूर यूनियन ने भारत सरकार के कॉमर्शियल कानून के लाने पर विरोध जताते हुए कोयला मंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा था, लेकिन केंद्र सरकार द्वारा कानून को वापस न लेने पर मजदूर यूनियन ने हड़ताल शुरू कर दी है. मजदूर यूनियन ने सरकार को चेतावनी दी है कि अभी तीन दिवसीय हड़ताल की जा रही है. इसके बाद भी अगर सरकार ने कानून को वापस नहीं लिया तो हड़ताल को आगे भी बढ़ाया जाएगा, जिससे सरकार को भारी नुकसान झेलना पडे़ सकता है.

छिंदवाड़ा। मजदूर यूनियन ने भारत सरकार के कॉमर्शियल कानून के लाने का विरोध जताया है. इसे लेकर जिले के परासिया में वेस्टन कोल्ड फील्ड लिमिटेड कोयला खदानों में तीन दिवसीय हड़ताल शुरू कर दी गई है. हड़ताल का आज पहला दिन है, इस हड़ताल से भारत सरकार को अरबों रुपए का नुकसान हो सकता है. संयुक्त मोर्चा मजदूरों की यूनियन ने अपनी मांगों को लेकर हड़ताल शुरू की है. मजदूरों का कहना है कि केंद्र सरकार ने कॉमर्शियल कानून बनाया, जिसमें मजदूरों का शोषण होगा इसीलिए, इस कानून के विरोध में हड़ताल की है.

मजदूर यूनियन ने भारत सरकार के कॉमर्शियल कानून के लाने पर विरोध जताते हुए कोयला मंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा था, लेकिन केंद्र सरकार द्वारा कानून को वापस न लेने पर मजदूर यूनियन ने हड़ताल शुरू कर दी है. मजदूर यूनियन ने सरकार को चेतावनी दी है कि अभी तीन दिवसीय हड़ताल की जा रही है. इसके बाद भी अगर सरकार ने कानून को वापस नहीं लिया तो हड़ताल को आगे भी बढ़ाया जाएगा, जिससे सरकार को भारी नुकसान झेलना पडे़ सकता है.

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