छिंदवाड़ा। जिले के पांढुर्णा के मूर्तिकार गणपति और दुर्गा की मूर्ति बनाने को लेकर संशय में हैं. मूर्तिकारों को गणपति और नवरात्रि उत्सव को लेकर लॉकडाउन का डर सता रहा है. जिसके चलते मूर्तिकार मूर्ति को अंतिम रूप देने को लेकर टेंशन में हैं. हालांकि मूर्ति बनाने का काम शुरू कर दिया है.
दरअसल,पांढुर्णा के मूर्तिकार नामदेव खोड़े का कहना इस साल गणपति बाप्पा की 2500 मूर्तियां बनाई गई हैं. जिनको अंतिम रूप दिया जा रहा है. यह मूर्तियां 22 अगस्त को घर-घर विराजने वाली हैं. वही नवरात्र उत्सव 18 सितंबर को शुरू होने वाला है. लेकिन कोरोना वायरस की दहशत और लॉकडाउन के कारण मूर्तिकारों ने अब तक एक भी दुर्गा प्रतिमाएं नहीं बनाई हैं. जिसको लेकर यह मूर्तिकार पशोपेश में हैं कि दुर्गा प्रतिमाओं का निर्माण करें या नहीं करें. उनका कहना हैं कि प्रशासन यदि नवरात्र में लॉकडाउन लागू करेंगे तो नवरात्र उत्सव को सार्वजनिक जगहों पर पाबंदी लग जाएगी.
4 महीने में कैसे बनेंगी दुर्गा प्रतिमाएं , बढ़ा मूर्तिकारों का टेंशन
मूर्तिकारों का कहना है की गणेश उत्सव को तीन और नवरात्र उत्सव को चार माह का वक्त शेष बचा है. लेकिन कोरोना वायरस और लॉकडाउन के कारण दुर्गा प्रतिमाओं को आकार दें या नहीं इसको लेकर सभी मूर्तिकार परेशान हैं. मूर्तिकार नामदेव खोड़े का कहना है कि वे हर साल 70 से 80 बड़ी दुर्गा प्रतिमाओं को आकार देते हैं. लेकिन इस साल उन्होंने एक भी दुर्गा प्रतिमा नहीं बनाई हैं. उनके पास पिछले साल की केवल दो दुर्गा प्रतिमा रखी गई हैं. मूर्तिकारों का कहना हैं कि वे नवंबर माह से ही गणपति बाप्पा और दुर्गा प्रतिमाओं को आकार देना शुरू कर देते हैं. लेकिन इस वर्ष दुर्गा प्रतिमाएं एक भी नही बनाई गई हैं.
महाराष्ट्र के बड़े शहरों में विराजती हैं पांढुर्णा की दुर्गा प्रतिमाएं
पांढुर्णा के मूर्तिकार द्वारा बनाई गई दुर्गा प्रतिमाएं सबसे ज्यादा महाराष्ट्र के नागपुर , काटोल , सावनेर , मोर्शी , नरखेड़ दहेगाव सहित मध्यप्रदेश के बैतूल , मुलताई , सौंसर , पांढुर्णा सहित अन्य शहरों में विराजती हैं इन प्रतिमाओं को मूर्तिकार मनमोहक साज-सज्जा से सजाया जाता है लेकिन कोरोना वायरस और लॉकडाउन से मूर्तिकार टेंशन में हैं कि वे मूर्तियां बनाए या नहीं.