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छिंदवाड़ा: पुराने सामान को संजोकर रखने का था शौक, देखते ही देखते घर बन गया म्यूजियम

छिंदवाड़ा जिले के वंसत चावक ने पुरानी चीजों को संजोकर एक म्यूजियम बनाया है , जिसमें विंटेज कार और उनके परदादा के द्वारा लिखी गई गीता आकर्षण का केंद्र है

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Published : Aug 22, 2019, 2:36 PM IST

वसंत की 91 साल पुरानी विंटेज कार

छिंदवाड़ा। किसी को गाने-बजाने शौक होता है, तो किसी को खाना बनाने का. बहुत कम लोग होते है जिनको पुरानी चीजें संजोकर रखने का शौक होता है , उन्हीं में से एक हैं छिंदवाड़ा जिले के रहने वाले वंसत चावक.

वसंत हर पुरानी चींज को संजोकर रखते हैं और तो और उन अब तक पुरानी चीजों का एक म्यूजियम बना दिया है. वंसत चावक के परिवार का कहना है कि, जो भी सामान घर आ जाता है, उसे वे कभी पुराना या कबाड़ मान कर बाहर नहीं फेंकते हैं.
वंसत के बनाए गए म्यूजियम मे वो सारी चीजें देखने को मिल जाएंगी, जिनका जिक्र हमने सिर्फ किताबों में पढ़ा है. म्यूजियम मे पुराने टाइप राइटर, ग्रामोफोन, हारमोनियम जैसे कई चीजें चालू हालात में देखने को मिलती हैं .

पुराने सामान संजोकर रखने के शौकीन है
वसंत चावक बताते है म्यूजियम को दो चीजें बहुत खास बनाती हैं, पहली उनके पर दादा द्वारा लिखी गई 170 साल पुरानी गीता , दूसरी विंटेज कार है, जो कि 1929 के मॉडल की है. दिलचस्प बात ये है कि कार की उम्र वंसत चावक से 5 साल ज्यादा है .वे बताते है कि विंटेज कार को खरीदने के लिए लोग 1 करोड़ रूपए तक की पेशकश कर चुके हैं, पर उन्होंने अपने और अपने परिवार के सिद्धांत को मद्देनजर रखते हुए कार को नहीं बेचा.

वंसत चावक 86 साल के होते हुए भी टेक्नोलॉजी में काफी रूचि रखते हैं , वो अपने ज्यादातर काम कम्पयूटर और एंड्रायड मोबाइल से ही करते हैं.

छिंदवाड़ा। किसी को गाने-बजाने शौक होता है, तो किसी को खाना बनाने का. बहुत कम लोग होते है जिनको पुरानी चीजें संजोकर रखने का शौक होता है , उन्हीं में से एक हैं छिंदवाड़ा जिले के रहने वाले वंसत चावक.

वसंत हर पुरानी चींज को संजोकर रखते हैं और तो और उन अब तक पुरानी चीजों का एक म्यूजियम बना दिया है. वंसत चावक के परिवार का कहना है कि, जो भी सामान घर आ जाता है, उसे वे कभी पुराना या कबाड़ मान कर बाहर नहीं फेंकते हैं.
वंसत के बनाए गए म्यूजियम मे वो सारी चीजें देखने को मिल जाएंगी, जिनका जिक्र हमने सिर्फ किताबों में पढ़ा है. म्यूजियम मे पुराने टाइप राइटर, ग्रामोफोन, हारमोनियम जैसे कई चीजें चालू हालात में देखने को मिलती हैं .

पुराने सामान संजोकर रखने के शौकीन है
वसंत चावक बताते है म्यूजियम को दो चीजें बहुत खास बनाती हैं, पहली उनके पर दादा द्वारा लिखी गई 170 साल पुरानी गीता , दूसरी विंटेज कार है, जो कि 1929 के मॉडल की है. दिलचस्प बात ये है कि कार की उम्र वंसत चावक से 5 साल ज्यादा है .वे बताते है कि विंटेज कार को खरीदने के लिए लोग 1 करोड़ रूपए तक की पेशकश कर चुके हैं, पर उन्होंने अपने और अपने परिवार के सिद्धांत को मद्देनजर रखते हुए कार को नहीं बेचा.

वंसत चावक 86 साल के होते हुए भी टेक्नोलॉजी में काफी रूचि रखते हैं , वो अपने ज्यादातर काम कम्पयूटर और एंड्रायड मोबाइल से ही करते हैं.

Intro:आमतौर प देखा जाता है कि अगर हमारे घर में कोई चीज पुरानी हो जाए तो हम उसे कबाड़ समझ लेते है...लेकिन छिंदवाड़ा में एक ऐसा शख्स है जो हर पुरानी जीच को संजोकर रखता है और बकायदा एक म्यूजिम भी बना ऱखा है इस म्यूजिम जिन सामानों के बारे में हम किताबों में पढ़ते वो सही सलामत देखने को मिलती है ।

Body:छिंदवाड़ा के रहने वाले वसंत चावक के परिवार में रिवाज है कि जो सामान उनके घर में आया फिर उसे ना तो खराब मानते हैं और ना ही उसको हटाते हैं बस इसी नियम ने उनके घर में ऐसा म्यूजिम तैयार कर लिया है जिसमें आपको वो अद्भुत चीजें देखने को मिलेगी जो हम सिर्फ किताबों में पढ़ते हैं..उनके म्यूजिम में टाइप राइटर,ग्रामोफोन,हारमोनियम,रेडियों के अलावा कई चीजें है और वो भी सब चालू हालात में हैं..पेशे से इंजीनियर वसंत चावक 86 साल की उम्र में आज भी सभी टेक्नॉलॉजी को पीछे छोड़ते हैं और सभी काम कम्प्यूटर,एंड्रायड मोबाइल के जरिए करते हैं।

170 साल पुरानी गीता है खास

वसंत चावक के म्यूजिम में दो खास चीजें है जो देश में कई जगह नाम कमा चुकी है...170 साल पुरानी हाथों से लिखी गीता जो उनके दादा के दादाजी ने लिखी थी वो आज भी सुरक्षित है और दूसरी एक विंटेज कार 1929 के मॉडल की जो खुद वसंत चावक की उम्र से 5 साल बड़ी है आज ये कार देश में कम ही देखने को मिलती है चावक बताते हैं कि इस कार की कीमत 1 करोड़ तक लग चुकी है लेकिन उनके परिवार के रिवाज के हिसाब से वे कोई भी पुराना सामान नहीं बेचते हैं इसलिए उन्होंने इसे बेचा नहीं ।Conclusion: 86 साल की उम्र के दौरान कई सामान वसंत चावक ने इकट्टे किए और विंटेज कार की कीमत करोड़ो में आने के बाद भी परिवार का रिवाज और शौक ने वाकई इस परिवार की देश में अलग मिशाल दी है और चार पीढ़ियों की विरासत संभालना किसी चुनौती से कम नहीं है

महेन्द्र राय ईटीवी भारत छिंदवाड़ा
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