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ऑनलाइन तकनीक के सहारे चल रही घरों में कैद 'जिंदगी' - कोरोना संक्रमण

कोरोना संक्रमण काल में लोग घरों में कैद हो गए हैं. ऐसे में ऑनलाइन तकनीक के सहारे लोग जीवन व्यतीत करने को विवश हैं.

Children spending their time on mobile
घरों में कैद 'जिंदगी'
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Published : May 5, 2021, 2:54 PM IST

Updated : May 5, 2021, 3:01 PM IST

छिंदवाड़ा। कोरोना के बढ़ते खतरे ने भले ही लोगों के बीच दूरियां बढ़ा दी हों, लेकिन एक ऐसा दोस्त, जो हर किसी के बहुत नजदीक आ गया है. जी हां, अब मोबाइल लोगों के लिए जरूरत बन गया हैं.

बच्चों से लेकर बुजुर्गों के लिए सहारा बना मोबाइल
कोरोना वायरस के भारत में दस्तक देने के पहले अक्सर कहा जाता था कि मोबाइल और गैजेट्स से बच्चों को दूर रखें. बुजुर्गों को भी दूर रखें, ताकि उनकी आंखों पर प्रभाव न पड़े, लेकिन समय ने ऐसी करवट ली कि हर कोई मोबाइल जैसे डिवाइस के सहारे हैं. बच्चों की पढ़ाई हो या फिर बुजुर्गों की दवाई हर कोई मोबाइल की मदद से ही काम करवा रहा हैं.

बिजनेसमैन और नौकरी पेशा वालों के लिए ऑफिस बना मोबाइल
बिजनेसमैन को खरीदारी और बिक्री के लिए बाजार के चक्कर लगाने पड़ते थे, तो वहीं कर्मचारी और अधिकारियों को दफ्तर में ही बैठक काम करना पड़ता था. कोरोना वायरस संक्रमण के आने से अब सब कुछ बदल गया है. वर्तमान में ऑनलाइन मीटिंग और ऑनलाइन खरीदी-बिक्री को बढ़ावा दिया जा रहा हैं.

घरों में कैद 'जिंदगी'
जरूरत से ज्यादा गैजेट्स का उपयोग होगा खतरनाकबच्चों को ऑनलाइन पढ़ाने वाले शिक्षकों का कहना है कि कुछ काम तो रुक भी सकते हैं, लेकिन पढ़ाई ऐसी चीज है, जो अगर रुकी, तो बच्चों के भविष्य के लिए खतरनाक साबित हो सकता हैं. इसलिए ऑनलाइन पढ़ाई कराई जा रही है. हालांकि किसी भी चीज का जरूरत से ज्यादा उपयोग करना खतरनाक हो सकता हैं.

लिहाजा सरकार ने गाइडलाइन तय की है कि कितने घंटे बच्चों को पढ़ाना है और कितने घंटे बच्चों को गैजेट्स से जोड़े रखना हैं. इसके साथ ही जिम्मेदारी परिवार की भी होती है.

बच्चों को हो रही परेशानी, पेरेंट्स भी परेशान
बच्चों का भी कहना है कि स्कूलों में जो पढ़ाई होती है, वो यहां से बिल्कुल अलग है. मोबाइल में एकाग्र चित्त होना कठिन होता है. मानसिक परेशानी के साथ-साथ शारीरिक परेशानी भी होती है. वही पैरेंट्स का कहना है कि ऑनलाइन पढ़ाई से बच्चों को फायदा कम और दिक्कतें ज्यादा हो रही है.

खर्च भी हुआ ज्यादा
बदली जिंदगी में ऑनलाइन माध्यम जरूरी हो गया हैं, लेकिन इससे परिवार पर आर्थिक बोझ भी पड़ रहा है. जिस परिवार में अब तक एक मोबाइल के सहारे काम चलता था. अब वहां दो या तीन मोबाइल लग रहे हैं. इसलिए मोबाइल के खर्च के साथ-साथ हर महीने डाटा रिचार्ज का भी खर्च बढ़ गया हैं.

छिंदवाड़ा। कोरोना के बढ़ते खतरे ने भले ही लोगों के बीच दूरियां बढ़ा दी हों, लेकिन एक ऐसा दोस्त, जो हर किसी के बहुत नजदीक आ गया है. जी हां, अब मोबाइल लोगों के लिए जरूरत बन गया हैं.

बच्चों से लेकर बुजुर्गों के लिए सहारा बना मोबाइल
कोरोना वायरस के भारत में दस्तक देने के पहले अक्सर कहा जाता था कि मोबाइल और गैजेट्स से बच्चों को दूर रखें. बुजुर्गों को भी दूर रखें, ताकि उनकी आंखों पर प्रभाव न पड़े, लेकिन समय ने ऐसी करवट ली कि हर कोई मोबाइल जैसे डिवाइस के सहारे हैं. बच्चों की पढ़ाई हो या फिर बुजुर्गों की दवाई हर कोई मोबाइल की मदद से ही काम करवा रहा हैं.

बिजनेसमैन और नौकरी पेशा वालों के लिए ऑफिस बना मोबाइल
बिजनेसमैन को खरीदारी और बिक्री के लिए बाजार के चक्कर लगाने पड़ते थे, तो वहीं कर्मचारी और अधिकारियों को दफ्तर में ही बैठक काम करना पड़ता था. कोरोना वायरस संक्रमण के आने से अब सब कुछ बदल गया है. वर्तमान में ऑनलाइन मीटिंग और ऑनलाइन खरीदी-बिक्री को बढ़ावा दिया जा रहा हैं.

घरों में कैद 'जिंदगी'
जरूरत से ज्यादा गैजेट्स का उपयोग होगा खतरनाकबच्चों को ऑनलाइन पढ़ाने वाले शिक्षकों का कहना है कि कुछ काम तो रुक भी सकते हैं, लेकिन पढ़ाई ऐसी चीज है, जो अगर रुकी, तो बच्चों के भविष्य के लिए खतरनाक साबित हो सकता हैं. इसलिए ऑनलाइन पढ़ाई कराई जा रही है. हालांकि किसी भी चीज का जरूरत से ज्यादा उपयोग करना खतरनाक हो सकता हैं.

लिहाजा सरकार ने गाइडलाइन तय की है कि कितने घंटे बच्चों को पढ़ाना है और कितने घंटे बच्चों को गैजेट्स से जोड़े रखना हैं. इसके साथ ही जिम्मेदारी परिवार की भी होती है.

बच्चों को हो रही परेशानी, पेरेंट्स भी परेशान
बच्चों का भी कहना है कि स्कूलों में जो पढ़ाई होती है, वो यहां से बिल्कुल अलग है. मोबाइल में एकाग्र चित्त होना कठिन होता है. मानसिक परेशानी के साथ-साथ शारीरिक परेशानी भी होती है. वही पैरेंट्स का कहना है कि ऑनलाइन पढ़ाई से बच्चों को फायदा कम और दिक्कतें ज्यादा हो रही है.

खर्च भी हुआ ज्यादा
बदली जिंदगी में ऑनलाइन माध्यम जरूरी हो गया हैं, लेकिन इससे परिवार पर आर्थिक बोझ भी पड़ रहा है. जिस परिवार में अब तक एक मोबाइल के सहारे काम चलता था. अब वहां दो या तीन मोबाइल लग रहे हैं. इसलिए मोबाइल के खर्च के साथ-साथ हर महीने डाटा रिचार्ज का भी खर्च बढ़ गया हैं.

Last Updated : May 5, 2021, 3:01 PM IST
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