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निगम के टैक्स के मारे 24 गांव वाले, पहले खुशी-अब गम, निगम बना तो ग्रामीण बेदम - Chhindwara away from development

नगर निगम बनने के बाद भी आज छिन्दवाड़ा उस मुहाने पर खड़ा है जहां उसे विकास की सच्चे मायने में जरुरत है. लेकिन सही मायने में छिंदवाड़ा विकास के पास जाने की बजाए दूर होता जा रहा है. यहां लोग मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं.

Chhindwara needs development
छिंदवाड़ा को विकास की एक दरकार है
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Published : Dec 7, 2019, 10:11 AM IST

Updated : Dec 7, 2019, 3:30 PM IST

छिन्दवाड़ा। मुख्यमंत्री कमलनाथ के गृह जिले छिंदवाड़ा को स्मार्ट सिटी घोषित किया जा चुका है. बावजूद शहर में पानी, बिजली, सड़क, रोजगार और अन्य जरुरी सुविधाएं लोगों के लिए दूर की कौड़ी बनीं हुई है. लोगों के मुताबिक जनप्रतिनिधि विकास की बड़ी-बड़ी बातें तो करते हैं लेकिन सच्चाई ये है कि छिंदवाड़ा को विकास की सच्ची दरकार है.

स्थानीय लोगों के मुताबिक यहां का आम नागरिक मूलभूत सुविधाओं के लिए परेशान हो रहा है, इसके बाद भी स्थिति बद से बदतर है.

टैक्स भरपूर, सुविधाओं से कोसों दूर
छिंदवाड़ा नगर निगम में शामिल किए गए 24 गांव आज भी विकास की ओर ताक रहे हैं, स्थानीय लोगों का कहना है कि नगर निगम बनने के बाद सिर्फ उनसे टैक्स लिया जा रहा है लेकिन प्रशासन स्थानीय विकास की ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है. आलम ये है कि लोगों को गर्मी के मौसम में पीने के पानी के लिए संघर्ष करना पड़ता है.

छिंदवाड़ा को विकास की एक दरकार है

निगम से तो अच्छी पंचायत थी
लोगों के मुताबिक जब ग्राम पंचायत के अधीन थे तब टैक्स कम लगता था और उनकी समस्याएं पर अमल किया जाता था लेकिन नगर निगम बनने के बाद प्रशासन सिर्फ और सिर्फ टैक्स बटोर रहा है.

बता दें कि 2014 में छिंदवाड़ा नगर पालिका को नगर निगम घोषित किया गया था जिसके लिए छिंदवाड़ा के अगल-बगल के 24 गांवों को शामिल किया गया था.

छिन्दवाड़ा। मुख्यमंत्री कमलनाथ के गृह जिले छिंदवाड़ा को स्मार्ट सिटी घोषित किया जा चुका है. बावजूद शहर में पानी, बिजली, सड़क, रोजगार और अन्य जरुरी सुविधाएं लोगों के लिए दूर की कौड़ी बनीं हुई है. लोगों के मुताबिक जनप्रतिनिधि विकास की बड़ी-बड़ी बातें तो करते हैं लेकिन सच्चाई ये है कि छिंदवाड़ा को विकास की सच्ची दरकार है.

स्थानीय लोगों के मुताबिक यहां का आम नागरिक मूलभूत सुविधाओं के लिए परेशान हो रहा है, इसके बाद भी स्थिति बद से बदतर है.

टैक्स भरपूर, सुविधाओं से कोसों दूर
छिंदवाड़ा नगर निगम में शामिल किए गए 24 गांव आज भी विकास की ओर ताक रहे हैं, स्थानीय लोगों का कहना है कि नगर निगम बनने के बाद सिर्फ उनसे टैक्स लिया जा रहा है लेकिन प्रशासन स्थानीय विकास की ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है. आलम ये है कि लोगों को गर्मी के मौसम में पीने के पानी के लिए संघर्ष करना पड़ता है.

छिंदवाड़ा को विकास की एक दरकार है

निगम से तो अच्छी पंचायत थी
लोगों के मुताबिक जब ग्राम पंचायत के अधीन थे तब टैक्स कम लगता था और उनकी समस्याएं पर अमल किया जाता था लेकिन नगर निगम बनने के बाद प्रशासन सिर्फ और सिर्फ टैक्स बटोर रहा है.

बता दें कि 2014 में छिंदवाड़ा नगर पालिका को नगर निगम घोषित किया गया था जिसके लिए छिंदवाड़ा के अगल-बगल के 24 गांवों को शामिल किया गया था.

Intro:छिन्दवाड़ा । मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार आने के बाद छिंदवाड़ा को मिनी स्मार्ट सिटी घोषित किया गया है जिसके लिए शहर के चौक चौराहे चकाचक किए जा रहे हैं वार्डो की हालत आज भी बद्तर है। जनता से टैक्स भरपूर लिया है लेकिन सुविधाओं से कोसो दूर रखा जा रहा है।


Body:साल 2014 में छिंदवाड़ा नगर पालिका को नगर निगम घोषित किया गया जिसके लिए छिंदवाड़ा के अगल-बगल के 24 गांवों को शामिल किया गया था उम्मीद थी कि 24 गांव का नगर निगम बनने के बाद विकास होगा लेकिन वहां के हालात देखकर लगता है कि इन गांवों को सिर्फ राजनीतिक स्वार्थ के चलते नगर निगम में शामिल किया गया है इनके पास ना के बराबर है।

टैक्स भरपूर,सुविधाओं से कोसों दूर

नगर निगम में शामिल किए गए 24 गांव की जमीनी हकीकत जानने जब ईटीवी भारत पहुंचा तो हकीकत कुछ और ही निकली स्थानीय निवासियों का कहना है कि नगर निगम बनने के बाद सिर्फ उनसे टैक्स ज्यादा लिया जा रहा है सुविधाओं में कुछ नहीं दी जा रही है हालात यही कि वह पीने के पानी और सड़क जैसी बुनियादी सुविधाओं के लिए भी तरस रहे हैं।




Conclusion:निगम से भले पंचायत में ही थे

निवासियों का कहना है कि जब ग्राम पंचायत के अधीन थे तब उन्हें टैक्स कम लगता था और उनकी समस्याएं सुन ली जाती थी अब नगर निगम बनने के बाद टैक्स में भारी बढ़ोतरी हुई है लेकिन उनकी समस्याएं सुनने वाला कोई नहीं है इसलिए उन्हें लगता है कि नगर निगम से ठीक उनका ग्राम पंचायत ही था।
wt
Last Updated : Dec 7, 2019, 3:30 PM IST
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