छिन्दवाड़ा। हर राजनीतिक दल को मालूम है कि 2023 में अगर कोई सत्ता तक पहुंचाएगा तो वह है वनवासी समाज. इसी समाज को अपने पक्ष में करने के लिए दोनों दल जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं. प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने छिंदवाड़ा से वन अधिकार यात्रा को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया है जो आदिवासी अंचलों में पहुंचकर लोगों को वन अधिकार और उनके हितों के बारे में बताएगी.
15 जिलों की 36 विधानसभाओं में पहुंचेगी यात्रा: मध्य प्रदेश कांग्रेस वन एवं पर्यावरण प्रकोष्ठ के अध्यक्ष डॉ. एसपीएस तिवारी जुन्नारदेव विधानसभा के विधायक सुनील युईक के समन्वय से वन अधिकार यात्रा दिनांक 5 सितंबर को छिंदवाड़ा से निकली. इस यात्रा को मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. इसके बाद यह यात्रा परासिया से होकर जुन्नारदेव पहुंची, जहां पर एक आम सभा का भी आयोजन किया गया. यात्रा सिवनी, बालाघाट, मंडला, जबलपुर, नरसिंहपुर, डिंडोरी, अनूपपुर, शहडोल, उमरिया, कटनी, सीधी, सिंगरौली, रीवा और सतना सहित 15 जिलों की 36 विधानसभा क्षेत्र से होकर गुजरेगी. इस यात्रा का समापन चित्रकूट में 19 सितंबर को होगा. मध्य प्रदेश कांग्रेस वन एवं पर्यावरण प्रकोष्ठ द्वारा निकाली जा रही इस यात्रा का उद्देश्य वन क्षेत्र के निवासियों के हित में कांग्रेस सरकार द्वारा किए गए जनहित कार्यों और भाजपा सरकार द्वारा किए जा रहे अत्याचार एवं वन एवं पर्यावरण के साथ किए जा रहे खिलवाड़ को उजागर करना है.
भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों की आदिवासी वोट बैंक पर है नजर: 2018 के चुनाव में अधिकतर आदिवासी विधानसभा से कांग्रेस को फायदा मिला था. बीजेपी सरकार बनने से चूक गई थी इसीलिए अब भाजपा ने भी मध्य प्रदेश में आदिवासी बाहुल्य जिलों में फोकस करते हुए इन विधानसभाओं में अलग रणनीति के तहत काम करना शुरू किया है. जिसमें खुद प्रधानमंत्री से लेकर पन्ना प्रभारियों तक को लगाया गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शहडोल में बड़ा कार्यक्रम किया तो वहीं गृह मंत्री अमित शाह ने छिंदवाड़ा में भी आदिवासी वोटरों के लिए सभा की थी. कांग्रेस भी अपने वोट बैंक को साधने के लिए पहले आदिवासी सम्मान यात्रा निकाली गई और अब वन अधिकार यात्रा निकाली जा रही है.