छिंदवाड़ा। मंगलवार को "हम बच्चों का एक ही नारा शिक्षा का अधिकार हमारा" का नारा लगाते हुए स्कूली बच्चे अपने परिजनों के साथ कलेक्ट्रेट पहुंचे और प्रदर्शन पर बैठ गए. दरअसल, आदिवासी विधानसभा पांढुरना के काराघाट कामठी के गांव में पहली से बारहवीं तक यहां पर स्कूल तो है, लेकिन पढ़ाने के लिए एक भी नियमित शिक्षक नहीं है. इस समस्या को लेकर बच्चों और ग्रामीणों ने कई बार कलेक्टर को शिकायत भी की थी, लेकिन कोई हल न निकलने के कारण आखिरकार ग्रामीण बच्चों को लेकर कलेक्ट्रेट के सामने धरना प्रदर्शन कर दिया.
शिक्षक नहीं होने से टूट रहे सपनेः कक्षा सातवीं में पढ़ने वाली सोनिका ऊइके का सपना है कि वह पढ़-लिख कर कुछ बन सके और अपने मां-बाप की परेशानियों को दूर कर सके. क्योंकि मुश्किल से उसके मां-बाप बेटी की पढ़ाई का खर्चा जुटा पाते हैं, लेकिन इसके बाद जब वह स्कूल जाती है तो उसके सपने टूटते हुए नजर आते हैं. सोनिका का कहना है कि स्कूल में नियमित शिक्षक नहीं होने की वजह से पढ़ाई ठीक से नहीं हो पाती है. करीब 3 किलोमीटर से पैदल चलकर स्कूल पहुंचती है, ताकि पढ़ाई करने के बाद कुछ बन जाऊं, लेकिन उसकी मेहनत भी बेकार हो जाती है. शिक्षक नहीं होने से पढ़ाई नहीं हो पा रही है, जिसके कारण उनका भविष्य अंधकार में जा रहा है. इसलिए सरकार से गुहार है कि नियमित शिक्षक की नियुक्ति की जाए.
अतिथि शिक्षकों के भरोसे 300 बच्चों की पढ़ाईः बच्चों के साथ कलेक्टर कार्यालय पहुंचे ग्रामीणों का कहना था कि गांव में करीब 5 साल से एक भी नियमित शिक्षक की भर्ती नहीं हुई है. अतिथि शिक्षकों के भरोसे पहली से बारहवीं तक के करीब 300 बच्चों की पढ़ाई हो रही है. उन्होंने कहा कि जैसे-तैसे हमारी जिन्दगी बिना पढ़ाई की बीत गई, लेकिन अब हम नहीं चाहते हैं कि हमारे बच्चे भी इस तरह की परेशानियों से झेले.
ग्रामीणों का कहना था कि शिक्षकों की मांग के लिए पहले भी कई बार शिक्षा अधिकारी से लेकर जनसुनवाई में कलेक्टर को आवेदन दिया जा चुका है, लेकिन कलेक्टर ने इस मामले में कोई भी व्यवस्था नहीं की. आखिरकार ग्रामीण बच्चों को लेकर कलेक्टर कार्यालय पहुंचे और कलेक्टर कार्यालय के सामने धरना प्रदर्शन किया. इस धरने की जानकारी मिलने पर एसडीएम मौके पर पहुंचे और ग्रामीणों व स्कूली बच्चों के धरने को समाप्त कराया.
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ग्रामीणों ने दी चेतावनीः ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि अगर गांव के स्कूल की व्यवस्था नहीं ठीक हुई तो स्कूली बच्चों के साथ सड़कों पर प्रदर्शन किया जाएगा. साथ में ग्रामीणों ने कहा कि एक तरफ मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपनी भांजीयों को हर प्रकार की मदद की बात करते हैं. यह सारी बातें मंचों पर अच्छी लगती होगी, लेकिन ग्रामीण इलाकों के हालात यह हैं कि शिक्षक नहीं है तो उनकी भांजिया कैसे आगे बढ़ेगी.
शिक्षकों की हो चुकी है नियुक्ति: इस मामले पर एसडीएम अतुल सिंह ने ग्रामीणों से चर्चा के दौरान बताया, ''स्कूल में शिक्षकों की नियुक्ति हो चुकी है जिसके आदेश भी जारी हो गए हैं. इतना ही नहीं एक शिक्षक ने ज्वाइन भी कर लिया है. जल्द ही फिर से स्कूल में व्यवस्थित तरीके से पढ़ाई शुरू होगी.