ETV Bharat / state

नशा निवारण की गतिविधियों के बाद नहीं हो पा रहा सुधार, 272 जिलों में छिंदवाड़ा शामिल

नशा निवारण की गतिविधियों के बाद भी छिंदवाड़ा में आदतों में सुधार नहीं हो पा रहा है. देश के 272 नशा करने वाले जिलों में छिंदवाड़ा का नाम भी शामिल है.

author img

By

Published : Apr 19, 2023, 10:35 PM IST

Chhindwara News
272 नशा करने वाले जिलों में छिंदवाड़ा शामिल

छिंदवाड़ा। देश के 272 नशा करने वाले जिलों में छिंदवाड़ा का नाम भी शामिल है. नशा निवारण की गतिविधियों के बाद भी लोगों की आदतों में सुधार नहीं हो पा रहा है. सामाजिक न्याय विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार साल 2020 में केंद्र सरकार की ओर से नशे में लिप्त 272 जिलों की सूची जारी की गई थी. इस सूची में मध्य प्रदेश के 15 जिले भी शामिल हैं. इनमें छिंदवाड़ा का नाम प्रमुख था.

2000 करोड़ का तो सिर्फ शराब का होता है नशा: जिले की जनसंख्या करीब 23 लाख से ज्यादा है. जिले में महुआ शराब परंपरागत है. इसके साथ ही आबकारी विभाग की देसी और विदेशी शराब पर टैक्स के आंकड़ों का ग्राफ हर साल बढ़ रहा है. जिले की आबकारी आय 345 करोड़ रुपए हो गई है. इससे शराब का अनुमानित का कारोबार करीब 2000 करोड़ रुपये सालाना है.

नशा रोकने के लिए चलाया जाएगा अभियानः जिले में लोग बीड़ी, सिगरेट, तंबाकू व गुटखा से लेकर कई तरह के नशों में लिप्त है. ऐसे में जिला सूची से बाहर नहीं निकल पा रहा है. सामाजिक न्याय विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार साल 2020 में केंद्र सरकार की ओर से नशे में लिप्त 272 जिलों की सूची जारी की गई थी. इस सूची में मध्य प्रदेश के 15 जिले भी शामिल है, जिसमें छिंदवाड़ा का नाम प्रमुख है. एक बार फिर सामाजिक न्याय विभाग हॉटस्पॉट चिन्हित करना सीढ़ियों के लिए 15 अगस्त तक अभियान चलाएगा.

21 प्रकार का होता है नशाः सामाजिक न्याय विभाग के उपसंचालक एसके गुप्ता ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा आए पत्र में बताया गया था कि देश भर में 21 प्रकार का नशा किया जाता है. सर्वेक्षण में सर्वाधिक नशा छिंदवाड़ा में पाया गया, तब से ही जिले को सुधारने के लिए नशा निवारण की गतिविधियां चल रही है. जिले में शराब, तंबाकू, सिगरेट, बीड़ी और गुटका जैसे नशा सबसे ज्यादा है. जिले में हर पांचवा व्यक्ति के इस नशे के सेवन में लिप्त बताया गया है. इसके अलावा सीमित मात्रा में दवाइयां और अन्य प्रकार के नशे भी किए जा रहे हैं. बच्चों से लेकर युवा पीढ़ी तेजी से इसका शिकार हो रही है.

ये भी पढ़ें :-

मीठी सुपारी से होती है नशे की लतः डॉ. नितिन उपाध्याय ने बताया कि स्कूली बच्चे मीठी सुपारी से ही नशा करना सीखने लगते हैं. पढ़ने वाले बच्चों के पास नामचीन कंपनियों की सुपारी पाई जा रही है. इसमें नशे की लत का सूक्ष्म तत्व मौजूद होता है. आगे इलाज बढ़ते बढ़ते गुटखा और तंबाकू पर आ रही है. बच्चे किशोर होते-होते नशे की गिरफ्त में आ जाते हैं.

छिंदवाड़ा। देश के 272 नशा करने वाले जिलों में छिंदवाड़ा का नाम भी शामिल है. नशा निवारण की गतिविधियों के बाद भी लोगों की आदतों में सुधार नहीं हो पा रहा है. सामाजिक न्याय विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार साल 2020 में केंद्र सरकार की ओर से नशे में लिप्त 272 जिलों की सूची जारी की गई थी. इस सूची में मध्य प्रदेश के 15 जिले भी शामिल हैं. इनमें छिंदवाड़ा का नाम प्रमुख था.

2000 करोड़ का तो सिर्फ शराब का होता है नशा: जिले की जनसंख्या करीब 23 लाख से ज्यादा है. जिले में महुआ शराब परंपरागत है. इसके साथ ही आबकारी विभाग की देसी और विदेशी शराब पर टैक्स के आंकड़ों का ग्राफ हर साल बढ़ रहा है. जिले की आबकारी आय 345 करोड़ रुपए हो गई है. इससे शराब का अनुमानित का कारोबार करीब 2000 करोड़ रुपये सालाना है.

नशा रोकने के लिए चलाया जाएगा अभियानः जिले में लोग बीड़ी, सिगरेट, तंबाकू व गुटखा से लेकर कई तरह के नशों में लिप्त है. ऐसे में जिला सूची से बाहर नहीं निकल पा रहा है. सामाजिक न्याय विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार साल 2020 में केंद्र सरकार की ओर से नशे में लिप्त 272 जिलों की सूची जारी की गई थी. इस सूची में मध्य प्रदेश के 15 जिले भी शामिल है, जिसमें छिंदवाड़ा का नाम प्रमुख है. एक बार फिर सामाजिक न्याय विभाग हॉटस्पॉट चिन्हित करना सीढ़ियों के लिए 15 अगस्त तक अभियान चलाएगा.

21 प्रकार का होता है नशाः सामाजिक न्याय विभाग के उपसंचालक एसके गुप्ता ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा आए पत्र में बताया गया था कि देश भर में 21 प्रकार का नशा किया जाता है. सर्वेक्षण में सर्वाधिक नशा छिंदवाड़ा में पाया गया, तब से ही जिले को सुधारने के लिए नशा निवारण की गतिविधियां चल रही है. जिले में शराब, तंबाकू, सिगरेट, बीड़ी और गुटका जैसे नशा सबसे ज्यादा है. जिले में हर पांचवा व्यक्ति के इस नशे के सेवन में लिप्त बताया गया है. इसके अलावा सीमित मात्रा में दवाइयां और अन्य प्रकार के नशे भी किए जा रहे हैं. बच्चों से लेकर युवा पीढ़ी तेजी से इसका शिकार हो रही है.

ये भी पढ़ें :-

मीठी सुपारी से होती है नशे की लतः डॉ. नितिन उपाध्याय ने बताया कि स्कूली बच्चे मीठी सुपारी से ही नशा करना सीखने लगते हैं. पढ़ने वाले बच्चों के पास नामचीन कंपनियों की सुपारी पाई जा रही है. इसमें नशे की लत का सूक्ष्म तत्व मौजूद होता है. आगे इलाज बढ़ते बढ़ते गुटखा और तंबाकू पर आ रही है. बच्चे किशोर होते-होते नशे की गिरफ्त में आ जाते हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.