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कॉमर्शियल माइनिंग का सांसद ने किया विरोध, संसद में उठाएंगे मुद्दा

छिंदवाड़ा सांसद नकुल नाथ ने कोयला खदानों में कॉमर्शियल माइनिंग करने का विरोध करते हुए सांसद ने कोयला मजदूरों को समर्थन देने की बात कही है. वहीं सांसद ने श्रम संगठनों के कोयला उद्योग में हड़ताल के निर्णय को सही कदम बताया है.

Chhindwara MP opposes commercial mining in coal mines
कोयला खदानों में कमर्शियल माइनिंग का सांसद ने किया विरोध
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Published : Jul 4, 2020, 8:43 PM IST

छिंदवाड़ा। छिंदवाड़ा के सांसद नकुल नाथ ने कोयला उद्योगों में कॉमर्शियल माइनिंग लागू किए जाने का एक तरफा निर्णय लेने का विरोध किया है. जिसमें सांसद ने कोयला मजदूरों के हित में सभी श्रम संगठनों को अपना समर्थन देने की बात कही है. सांसद ने इस संसद में मुद्दे को उठाने की भी बात कही है.

नकुल नाथ ने कहा है, वे कोयला उद्योग में कॉमर्शियल माइनिंग वापस लिए जाने के लिए संसद में अपना पक्ष रखेंगे. दरअसल, 18 जून 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कोयला मंत्री की मौजूदगी में संपन्न हुई. वर्चुअल बैठक के माध्यम से 51 ब्लॉकों की नीलामी कॉमर्शियल माइनिंग के तहत की गई. जिसके कारण कोयला उद्योग में कोयला मजदूरों को मिली सभी सहूलियत और सुविधाओं को अहित होने और भविष्य में कोयला के निजीकरण की ओर बढ़ने की संभावनाओं को देखते हुए सांसद नकुलनाथ ने इस एक तरफा निर्णय का विरोध किया है. साथ ही उन्होंने सभी श्रम संगठनों द्वारा कोयला उद्योग में देशव्यापी हड़ताल के निर्णय को कोयला मजदूरों के हित में सही कदम बताया है. उन्होंने कहा कि हम सभी मिलकर भारत सरकार को कॉमर्शियल माइनिंग वापस लिए जाने के लिए बाध्य करेंगे.

सन् 1972 में देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कोयला खदानों में काम करने वाले कामगारों को निजी मालिकों के शोषण से बचाने के लिए खदानों का राष्ट्रीयकरण किया था. जिसका लाभ सभी वर्ग के अधिकारी और कामगारों को आज भी मिल रहा है. लेकिन वर्तमान भारत सरकार 2014 से लगातार कोयला खदानों के खनिज और वाणिज्य कार्यों को नीलाम कर राष्ट्रीयकरण सुविधा को समाप्त कर पूंजी पतियों के दबाव में कामगारों का अहित कर रही है.

छिंदवाड़ा। छिंदवाड़ा के सांसद नकुल नाथ ने कोयला उद्योगों में कॉमर्शियल माइनिंग लागू किए जाने का एक तरफा निर्णय लेने का विरोध किया है. जिसमें सांसद ने कोयला मजदूरों के हित में सभी श्रम संगठनों को अपना समर्थन देने की बात कही है. सांसद ने इस संसद में मुद्दे को उठाने की भी बात कही है.

नकुल नाथ ने कहा है, वे कोयला उद्योग में कॉमर्शियल माइनिंग वापस लिए जाने के लिए संसद में अपना पक्ष रखेंगे. दरअसल, 18 जून 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कोयला मंत्री की मौजूदगी में संपन्न हुई. वर्चुअल बैठक के माध्यम से 51 ब्लॉकों की नीलामी कॉमर्शियल माइनिंग के तहत की गई. जिसके कारण कोयला उद्योग में कोयला मजदूरों को मिली सभी सहूलियत और सुविधाओं को अहित होने और भविष्य में कोयला के निजीकरण की ओर बढ़ने की संभावनाओं को देखते हुए सांसद नकुलनाथ ने इस एक तरफा निर्णय का विरोध किया है. साथ ही उन्होंने सभी श्रम संगठनों द्वारा कोयला उद्योग में देशव्यापी हड़ताल के निर्णय को कोयला मजदूरों के हित में सही कदम बताया है. उन्होंने कहा कि हम सभी मिलकर भारत सरकार को कॉमर्शियल माइनिंग वापस लिए जाने के लिए बाध्य करेंगे.

सन् 1972 में देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कोयला खदानों में काम करने वाले कामगारों को निजी मालिकों के शोषण से बचाने के लिए खदानों का राष्ट्रीयकरण किया था. जिसका लाभ सभी वर्ग के अधिकारी और कामगारों को आज भी मिल रहा है. लेकिन वर्तमान भारत सरकार 2014 से लगातार कोयला खदानों के खनिज और वाणिज्य कार्यों को नीलाम कर राष्ट्रीयकरण सुविधा को समाप्त कर पूंजी पतियों के दबाव में कामगारों का अहित कर रही है.

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