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महंगाई के एक और झटके के लिए रहे तैयार, मक्के की 3 लाख हेक्टेयर फसल पर विदेशी कीड़े आर्मीवर्म का अटैक, होगा ये असर

Fall Armyworm damaging Maize crop in Chhindwara : छिंदवाड़ा के किसान अब मक्के की फसल में लगी विदेशी बीमारी फॉल आर्मीवर्म से परेशान हैं. फॉल आर्मीवर्म एक ऐसा कीट है जो शुरुआत में ही मक्का के पौधों को खराब कर देता है. हालांकि, कृषि वैज्ञानिकों और अधिकारियों ने फील्ड विजिट कर फसल की स्थिति का निरीक्षण कर किसानों को उचित सलाह दी है.

Chhindwara Fall Armyworm Attack in Maize
फॉल आर्मीवर्म का अटैक
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Aug 29, 2023, 7:18 AM IST

Updated : Aug 29, 2023, 12:53 PM IST

छिंदवाड़ा। विदेशों में फसलों को चौपट करने के बाद अब फॉल आर्मीवर्म नाम के कीट ने छिंदवाड़ा में दस्तक दी है, जो जिले के किसानों के लिए मुसीबत का सबब बने हुए हैं. लगभग जिले के हर कोने तक पहुंच चुकी इस बीमारी ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है क्योंकि प्रदेश में सबसे अधिक मक्का का उत्पादन करने वाला जिला छिंदवाड़ा है. अचानक आई इस बीमारी से किसानों को उपज की चिंता सता रही है.

करीब 3 लाख हेक्टेयर जमीन में लगाया गया है मक्का: कॉर्न सिटी के नाम से पहचान बना चुके छिंदवाड़ा के किसान अब मक्के की फसल में लगी बीमारी से परेशान हैं. अब तक बिना रोग की फसल कहलाने वाले मक्का को विदेशी कीड़ें ने जकड़ लिया है. यह ऐसा कीट है जो शुरुआत से ही मक्का के पौधों को खराब कर रहा है, जिसके चलते किसान अब चिंतित है कि आखिर इनसे कैसे छुटकारा पाया जा सके. सरकारी ऑकड़ों के हिसाब से जिले में करीब 3 लाख हजार हेक्टेयर जमीन में किसान मक्का लगाते हैं और फिलहाल जिले के कई गांवों में इस खतरनाक बीमारी ने दस्तक दे दी है.

Chhindwara fall Armyworm Attack in Maize
फॉल आर्मीवर्म नाम के कीट की छिंदवाड़ा में दस्तक

कृषि वैज्ञानिकों और अधिकारियों ने फील्ड विजिट कर फसल की स्थिति का किया निरीक्षण: उप संचालक कृषि जितेंद्र कुमार सिंह, सह संचालक आंचलिक कृषि अनुसंधान केन्द्र चंदनगांव एवं मक्का वैज्ञानिक डॉ.विजय कुमार पराड़कर एवं अन्य वैज्ञानिकों और अधिकारियों की डायग्नोस्टिक टीम द्वारा विकासखंड छिंदवाड़ा, मोहखेड़ और अमरवाडा के अनेक ग्रामों में फील्ड विजिट कर फसल स्थिति का निरीक्षण किया और किसानों से चर्चा कर आवश्यक सलाह दी गई.

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कृषि वैज्ञानिकों की किसानों को सलाह: उप संचालक कृषि ने बताया कि डॉयग्नेस्टिक टीम द्वारा किसानों को सलाह दी गई कि यदि कहीं फॉलआर्मी वर्म का प्रभाव दिखाई दे तो इमामेक्टिन बेंजोएट 5 SG 0.4 ग्राम कीटनाशक प्रति लीटर पानी या क्लोरोएंटोनीपोल 18.5 प्रतिशत SE 0.3 ML या थायोमेथॉक्जम प्लस लेमडासाइलोथ्रिल 0.5 ML प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव कर सकते हैं. मक्का की फसल अच्छी है और मक्का वैज्ञानिक डॉ.पराड़कर के अनुसार मक्के की फसल में अब यूरिया छिड़काव की आवश्यकता नहीं है, इसलिये किसान अनावश्यक यूरिया का छिड़काव नहीं करें. इससे खेती की लागत बढ़ेगी और कीटव्याधि का प्रकोप बढ़ता है. उप संचालक कृषि सिंह ने किसानों को संतुलित उर्वरक का उपयोग करने की समझाईश दी तथा किसानों से अपील की कि रबी सीजन में कम पानी वाले क्षेत्र के लिये कम लागत में सरसों की फसल बेहतर विकल्प है, इसलिये किसान सरसों फसल की बोनी जरूर करें. (Chhindwara fall armyworm in maize)

Fall Armyworm damaging Maize crop in Chhindwara
मक्के में विदेशी कीड़े फॉल आर्मीवर्म का अटैक

मक्के के दामों में आ सकती है तेजी, किसानों को उठाना पड़ेगा नुकसान : छिंदवाड़ा जिले का किसान खरीफ में पूरी तरह से मक्के की फसल पर ही निर्भर रहता है ऐसे में मक्के में आई इस विपदा के चलते किसान को चिंता है कि इस बीमारी से कैसे छुटकारा पाया जा सके, क्योंकि इसके पहले भी जिले के किसान सोयाबीन की इल्लियों से परेशान हो चुके हैं. कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि अगर इस बीमारी पर कंट्रोल नहीं पाया गया तो उत्पादन में काफी गिरावट आएगी. इसकी वजह से बाजार में मक्के की मांग होगी तो दाम एक बार फिर बढ़ेंगे और किसानों को उत्पादन कम होने से काफी घाटा सहना पड़ेगा.

छिंदवाड़ा। विदेशों में फसलों को चौपट करने के बाद अब फॉल आर्मीवर्म नाम के कीट ने छिंदवाड़ा में दस्तक दी है, जो जिले के किसानों के लिए मुसीबत का सबब बने हुए हैं. लगभग जिले के हर कोने तक पहुंच चुकी इस बीमारी ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है क्योंकि प्रदेश में सबसे अधिक मक्का का उत्पादन करने वाला जिला छिंदवाड़ा है. अचानक आई इस बीमारी से किसानों को उपज की चिंता सता रही है.

करीब 3 लाख हेक्टेयर जमीन में लगाया गया है मक्का: कॉर्न सिटी के नाम से पहचान बना चुके छिंदवाड़ा के किसान अब मक्के की फसल में लगी बीमारी से परेशान हैं. अब तक बिना रोग की फसल कहलाने वाले मक्का को विदेशी कीड़ें ने जकड़ लिया है. यह ऐसा कीट है जो शुरुआत से ही मक्का के पौधों को खराब कर रहा है, जिसके चलते किसान अब चिंतित है कि आखिर इनसे कैसे छुटकारा पाया जा सके. सरकारी ऑकड़ों के हिसाब से जिले में करीब 3 लाख हजार हेक्टेयर जमीन में किसान मक्का लगाते हैं और फिलहाल जिले के कई गांवों में इस खतरनाक बीमारी ने दस्तक दे दी है.

Chhindwara fall Armyworm Attack in Maize
फॉल आर्मीवर्म नाम के कीट की छिंदवाड़ा में दस्तक

कृषि वैज्ञानिकों और अधिकारियों ने फील्ड विजिट कर फसल की स्थिति का किया निरीक्षण: उप संचालक कृषि जितेंद्र कुमार सिंह, सह संचालक आंचलिक कृषि अनुसंधान केन्द्र चंदनगांव एवं मक्का वैज्ञानिक डॉ.विजय कुमार पराड़कर एवं अन्य वैज्ञानिकों और अधिकारियों की डायग्नोस्टिक टीम द्वारा विकासखंड छिंदवाड़ा, मोहखेड़ और अमरवाडा के अनेक ग्रामों में फील्ड विजिट कर फसल स्थिति का निरीक्षण किया और किसानों से चर्चा कर आवश्यक सलाह दी गई.

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कृषि वैज्ञानिकों की किसानों को सलाह: उप संचालक कृषि ने बताया कि डॉयग्नेस्टिक टीम द्वारा किसानों को सलाह दी गई कि यदि कहीं फॉलआर्मी वर्म का प्रभाव दिखाई दे तो इमामेक्टिन बेंजोएट 5 SG 0.4 ग्राम कीटनाशक प्रति लीटर पानी या क्लोरोएंटोनीपोल 18.5 प्रतिशत SE 0.3 ML या थायोमेथॉक्जम प्लस लेमडासाइलोथ्रिल 0.5 ML प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव कर सकते हैं. मक्का की फसल अच्छी है और मक्का वैज्ञानिक डॉ.पराड़कर के अनुसार मक्के की फसल में अब यूरिया छिड़काव की आवश्यकता नहीं है, इसलिये किसान अनावश्यक यूरिया का छिड़काव नहीं करें. इससे खेती की लागत बढ़ेगी और कीटव्याधि का प्रकोप बढ़ता है. उप संचालक कृषि सिंह ने किसानों को संतुलित उर्वरक का उपयोग करने की समझाईश दी तथा किसानों से अपील की कि रबी सीजन में कम पानी वाले क्षेत्र के लिये कम लागत में सरसों की फसल बेहतर विकल्प है, इसलिये किसान सरसों फसल की बोनी जरूर करें. (Chhindwara fall armyworm in maize)

Fall Armyworm damaging Maize crop in Chhindwara
मक्के में विदेशी कीड़े फॉल आर्मीवर्म का अटैक

मक्के के दामों में आ सकती है तेजी, किसानों को उठाना पड़ेगा नुकसान : छिंदवाड़ा जिले का किसान खरीफ में पूरी तरह से मक्के की फसल पर ही निर्भर रहता है ऐसे में मक्के में आई इस विपदा के चलते किसान को चिंता है कि इस बीमारी से कैसे छुटकारा पाया जा सके, क्योंकि इसके पहले भी जिले के किसान सोयाबीन की इल्लियों से परेशान हो चुके हैं. कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि अगर इस बीमारी पर कंट्रोल नहीं पाया गया तो उत्पादन में काफी गिरावट आएगी. इसकी वजह से बाजार में मक्के की मांग होगी तो दाम एक बार फिर बढ़ेंगे और किसानों को उत्पादन कम होने से काफी घाटा सहना पड़ेगा.

Last Updated : Aug 29, 2023, 12:53 PM IST
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